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रेलवे स्टेशन पर स्वच्छता का संदेश दे रहे बाहुबली और भगत सिंह

स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों के 60 प्रतिशत शौचालय अब तक इस्तेमाल ही नहीं किए गए. लोगों में व्यवहारिक बदलावों को प्रेरित करने के लिए रेलवे मंत्रालय को बचाने के लिए एक स्टार्टअप कंपनी इन्नोवेटिव कम्युनिकेशन मॉड्यूल लेकर आई है.

रेलवे स्टेशन पर गंदगी रोकने के लिए लगाए गए प्रेणदायक होर्डिंग रेलवे स्टेशन पर गंदगी रोकने के लिए लगाए गए प्रेणदायक होर्डिंग
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 3:53 PM IST

स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों के 60 प्रतिशत शौचालय अब तक इस्तेमाल ही नहीं किए गए. लोगों में व्यवहारिक बदलावों को प्रेरित करने के लिए रेलवे मंत्रालय को बचाने के लिए एक स्टार्टअप कंपनी इन्नोवेटिव कम्युनिकेशन मॉड्यूल लेकर आई है.

इस मॉड्यूल में महात्मा गांधी, बीआर अम्बेडकर और भगत सिंह जैसे राष्ट्रीय आइकन और बाहुबली जैसे वर्तमान एक्टर्स को लिया गया है. ताकि लोगों को पब्लिक में कूड़े-कचरा फेंकने से रोका जा सके. उन्हें गंदगी करने से रोकने के लिए प्ररित किया जा सके. 

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बता दें कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रेरणादायक पोस्टर और होर्डिंग लगाए गए है. ताकि लोग गांधी, अम्बेडकर और भगत सिंह की तरह देश को साफ रख सके. इन पोस्टर्स में लिखा हुआ है-"बाहुबली की तरह अपने देश का एक महान सैनिक बनिए. गंदगी के खिलाफ इस महान अभियान में अपना योगदान दें"

"स्वच्छ भारत मिशन ज्यादातर शौचालय का ढांचा बनाने के लिए सीमित है. इन सुविधाओं का उपयोग करने के लिए लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए भी बहुत कुछ किया गया है. परिणामस्वरूप, बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं किया जाता है.

"स्टार्टअप के संस्थापक सौरव पांडा ने कहा, यह स्वच्छता के संदेश को फैलाने के लिए लागू और सामाजिक मनोविज्ञान, व्यवहार अर्थशास्त्र का उपयोग करता है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान, दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता कार्यक्रम माना गया है, जो कि लोगो के व्यवहार को बदलने के लिए आरक्षित कुल बजट का करीब आठ प्रतिशत है. पिछले तीन सालों में, टॉयलेट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया कैसे लोगों का दिमाग इनके उपयोग के प्रति बदल सकते हैं.

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सूत्रों का कहना है कि इस मिशन के तहत बनाए गए कुल शौचालयों में से लगभग 60 प्रतिशत उपयोग नहीं किया जा रहा है क्योंकि अप्रयुक्त शौचालयों को भंडारण स्थान में परिवर्तित किया जा रहा है और इस प्रकार जनता के लिए भारी नुकसान हो रहा है.

सभी बीमारियों में से 70 प्रतिशत स्वच्छता से संबंधित हैं. भारत स्वच्छता के बारे में जागरूकता की कमी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पर 2.2 खरब डॉलर खर्च का सामना कर रहा है.

बता दें कि रेलवे ने भी कई कदम उठाए हैं, जिसमें स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छ ईंधन के उपयोग शामिल हैं. रेलवे ने सितंबर 2019 तक सभी गाड़ियों में जैव-शौचालय प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. अपने सभी कोचों में जैव-शौचालयों के प्रावधान के साथ, ट्रेनों से जमीन पर कचरा फेंकने को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा, जिससे बदले में मदद मिलेगी. स्वच्छता में सुधार लाने कार्यक्रम के साथ तालमेल रखने में, भारतीय रेल ने सभी स्टेशनों पर सफाई अभियान चलाया.

 

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