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...इन तीन चीजों से बेइंतहा मोहब्बत करते थे खुशवंत सिंह

देश के जाने-माने लेखक, कवि और स्तंभकार खुशवंत सिंह का जन्म आज ही के दिन 2 फरवरी 1915 में हुआ था.

Khushwant Singh Khushwant Singh
अनुज कुमार शुक्ला
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

देश के जाने-माने लेखक, पत्रकार और स्तंभकार खुशवंत सिंह का जन्म आज ही के दिन 2 फरवरी 1915 में हुआ था. वह भारतीय लेखकों और पत्रकारों में हर समय सर्वोपरि रहने वालों में से एक थे. उन्होंने ट्रेन टू पाकिस्तान और कंपनी ऑफ वूमन जैसी बेस्ट सेलर किताब दी हैं. साथ ही 80 किताबें भी लिखीं. 20 मार्च 2014 में ह्रदय गति रुक जाने के कारण पत्रकार खुशवंत सिंह का निधन 99 साल में  हो गया था.

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जानते हैं खुशवंत सिंह के बारे में...

- खुशवंत सिंह का जन्म पाकिस्तान के पंजाब में हदाली नाम की जगह पर हुआ था. वह 'योजना' के फाउंडर एडिटर और 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया', नेशनल हेराल्ड और हिंदुस्तान टाइम्स के एडिटर रहे हैं.

- उन्होंने 'ट्रेन टु पाकिस्तान', 'आई शैल नॉट हियर द नाइटिंगल' और 'डेल्ही' जैसी क्लासिक किताबें लिखी हैं.

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- 95 साल की उम्र में उन्होंने 'द सनसेट क्लब' नॉवेल लिखा था. नॉन फिक्शन में उन्होंने सिख धर्म, संस्कृति, दिल्ली, प्रकृति, करेंट अफेयर्स और उर्दू कविता पर भी काम किया है. इसमें दो खंडों वाली किताब 'अ हिस्ट्री ऑफ द सिख्स' भी शामिल है.

- 2002 में उनकी ऑटोबायोग्राफी 'ट्रुथ, लव एंड अ लिटिल मैलिस' छपकर आई थी. खुशवंत सिंह 1980 से 1986 तक सांसद भी रहे हैं.

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- 1974 में ही उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था लेकिन 1984 में अमृतसर के 'स्वर्ण मंदिर' में केंद्र सरकार की कार्रवाई के विरोध में उन्होंने यह पुरस्कार लौटा दिया था.

- साल 2007 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया.

- अपने कॉलम और किताबों में संता-बंता के चरित्र से उन्होंने लोगों को गुदगुदाया. आज उन्हें ऐसे शख़्स के तौर पर पहचाना जाता है, जो लोगों को चेहरे पर मुस्कान ला दें.

- उन्होंने करियर की शुरुआत बतौर पत्रकार की. 1951 में वे आकाशवाणी से जुड़े थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र 'योजना' का संपादन किया.

- वह 1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संपादक भी वही थे. तभी से वे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय 'कॉलम' लिखते हैं, जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है.

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- अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा. वह 99 साल की उम्र तक भी सुबह चार बजे उठ कर लिखना पंसद करते थे.

- उन्हें नेचर से बेहद प्यार था, अक्‍सर प्रेरणा लेने के लिए वो घंटों-घंटों बगीचे में बैठे रहते थे.

- 'हिस्ट्री ऑफ सिख' नाम से इन्होंने सिखों का इतिहास भी लिखा, जो काफी सराहा गया.

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- खुशवंत तीन चीजों से बेहद प्यार करते थे. पहला दिल्ली दूसरा लेखन और तीसरा, खूबसूरत महिलाएं. वो खुद को दिल्ली का सबसे यारबाज और दिलफेंक बूढ़ा मानते थे.

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