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अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस: आधे से ज्यादा स्कूलों में नहीं लड़कियों के लिए टॉयलेट

आज अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस है और पूरा विश्व आज यह दिवस मना रहा है. 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने निर्णय लिया था कि हर साल 11 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाएगा, उसके बाद से 11 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जा रहा है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
मोहित पारीक
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  • 11 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 3:51 PM IST

आज अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस है और पूरा विश्व आज यह दिवस मना रहा है. 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने निर्णय लिया था कि हर साल 11 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाएगा, उसके बाद से 11 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जा रहा है. दुनिया भले ही यह दिवस मना रही हो, लेकिन देश और दुनिया में बालिकाओं की स्थिति खराब है. भारत में आज भी शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियां काफी पीछे है और आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण है. आइए जानते हैं भारत में लड़कियों की शिक्षा और नौकरी से जुड़े अहम तथ्य...

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- भारत में करीब 74 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं, जबकि 88 फीसदी पुरुष साक्षर हैं. वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों में लड़कियों का प्रतिशत कम है.

-भारत में कई लड़कियां स्कूल तो जाती है, लेकिन उन्हें पर्याप्त सुविधाएं प्राप्त नहीं है. ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत की 55.7 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है.

- भारत में प्राथमिक स्तर पर 4.7 लड़कियां और लड़के स्कूल छोड़ देते हैं. जबकि ऊपर के स्तर पर 4 फीसदी बालिकाएं और 2.3 लड़कें पढ़ाई छोड़ देते हैं.

- वहीं भारत में श्रम बल में 53 फीसदी पुरुष की हिस्सेदारी है, जबकि 26 फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी है.

- औसत वेतन के मामले में भी महिलाएं काफी पीछे हैं. इसमें पुरुषों को औसत 289 रुपये वेतन जबकि महिला को 208 रुपये वेतन मिलता है. वहीं आईटी क्षेत्र में कुल 34 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि आईटी में पुरुषों को 361 रुपये और महिलाओं को 240 रुपये दिया जाता है.

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-एक ग्लोबल रिपोर्ट में कहा गया है कि जब बात महिलाओं के शीर्ष पद संभालने पर आती है, तो भारत तीसरा सबसे बड़ा खराब मुल्क है. यहां महिलाओं की भागीदारी 34 फीसदी है.

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