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SC-ST एक्ट में बदलाव, दलितों के खिलाफ मामलों में 60 दिनों में सौंपनी होगी चार्जशीट

सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय ने एससी-एसटी (उत्पीड़न निरोधक) एक्ट में सुधार कर 14 अप्रैल, 2016 को नए नियम को लागू कर दिया. साल 1989 में बने इस कानून को संसद में इस साल सुधार के लिए पेश किया गया था. नए नियम में ऐसे उत्पीड़न के मामलों में सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.

दलितों के खिलाफ मामले में 60 दिनों में जांच निपटानी होगी दलितों के खिलाफ मामले में 60 दिनों में जांच निपटानी होगी
केशव कुमार/राहुल कंवल
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 8:03 PM IST

अब दलितों के खिलाफ हुए मामलों में दो महीने के भीतर जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल करना होगा. केंद्र सरकार ने इसको अनिवार्य कर दिया है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजातियों (एससी-एसटी) के उत्पीड़न से जुड़े मामलों के कानून में संशोधन कर नए नियम की नोटिफिकेशन जारी कर दी.

सुधारा गया 1989 में एससी-एसटी एक्ट
सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय ने एससी-एसटी (उत्पीड़न निरोधक) एक्ट में सुधार कर 14 अप्रैल, 2016 को नए नियम को लागू कर दिया. साल 1989 में बने इस कानून को संसद में इस साल सुधार के लिए पेश किया गया था. नए नियम में ऐसे उत्पीड़न के मामलों में सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.

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महिला अपराधों में बरती जाएगी सख्ती
एससी-एसटी और महिलाओं को बड़ी राहत देनेवाले इस नियम के मुताबिक अब कानूनी शिकायतों का जल्द निपटारा हो सकेगा. इसके साथ ही पीड़ितों को एक तय अवधि में राहत मिलना सुनिश्चित हो जाएगा. ऐसे मामले में 60 दिनों में जांच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करनी होगी. इसके साथ ही महिला अपराधों में खासतौर पर सख्ती बरती जाएगी. पीड़ित महिलाओं को खासतौर पर कानूनी मदद की जाएगी.

मामले की समीक्षा करेगी विभिन्न स्तरों पर बनी समिति
एससी-एसटी के खिलाफ मामलों में पीड़ितों को अपना केस लड़ने के लिए आर्थिक मदद भी की जाएगी. पीड़ित और उनके आश्रितों को मिलने वाली राहत की रकम को भी बढ़ाया गया है. अपराध की प्रकृति के आधार पर इस रकम को बढ़ाया भी जा सकता है. इसके अलावा पीड़ितों और गवाहों के इंसाफ का हक सुनिश्चित करने और कार्रवाई की समीक्षा करने के लिए राज्य, जिला और अनुमंडल स्तर पर समिति बनाकर उसकी नियमित बैठक का भी प्रावधान किया गया है.

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