
नोटबंदी के ऐलान को 14 दिन हो चुके हैं. अर्थव्यवस्था में कई वर्षों से संचालित 500 और 1000 रुपये की नोट गैरकानूनी करार दी गई है. इस फैसला का सबसे बड़ा असर देश के शेयर बाजार पर दिखाई दे रहा है. फैसले के बाद से जहां शेयर बाजार 1800 अंक लुढ़क चुका है. शेयर बाजार में मची इस अफरा-तफरी में बीते 14 दिनों शेयरों में आई बिकवाली में निवेशकों को लगभग 10 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है.
मंगलवार को शेयर बाजार में शुरुआती गिरावट दर्ज हुई लेकिन दिन के कारोबार में संभलते हुए संवेदी सूचकांक 200 अंको की बढ़त के साथ बंद हुआ.
इससे पहले सोमवार तक बाजार में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी रहा. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज(बीएसई) के आंकड़ों के मुताबिक बीएसई पर लिस्डेट कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 8 नवंबर को लगभग 112 लाख करोड़ रुपये था. 14 दिन से जारी नोटबंदी संकट के बाद 21 नवंबर को यह गिरकर 102 लाख करोड़ रुपये रह गया. यानी इन 14 दिनों के दौरान इन कंपनियों के शेयर में निवेश कर बैठ लोगों को लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.
देश का सबसे महत्वपूर्ण संवेदी सूचकांक 8 नवंबर को 27,591 के स्तर पर था. इन 14 दिनों की नोटबंदी के दौरान यह लगभग 1800 अंकों की गिरावट देखते हुए 25,765 के स्तर पर पहुंच गया. साल और तारीख के अनुपात में सेंसेक्स पर लगभग 2 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है.
एक साल पहले के आंकड़ों को देखे तो 21 नवंबर 2015 को प्रमुख सूचकांक 26,000 के स्तर के निचे था. मार्च 2016 में बजट के दबाव में शेयर बाजार गोते खाता हुआ 23,000 के स्तर के निचे पहुंत गया था.
लेकिन इसके बाद शेयर बाजार ने अगले 8 महीनों (8 नवंबर) तक लंबी छलांग लगाते हुए 29,000 के उच्च स्तर को छू लिया. इस छलांग में माना जा रहा था कि बाजार अगले बजट (फरवरी 2017) तक 30,000 के स्तर को पार कर लेगा. लेकिन नोटबंदी के फैसले ने बाजार का सेंटीमेंट इस कदर खराब किया कि बीते 8 महीनों के दौरान निवेशकों को हुआ सारा मुनाफा बराबर हो गया और बाजार एक बार फिर 2015 के स्तर पर पहुंच गया.
हालांकि शेयर बाजार के जानकारों के मुताबिक बीते 14 दिनों से जारी गिरावट यह गिरावट सिर्फ नोटबंदी के चलते नहीं है. इस गिरावट के लिए कुछ हद तक अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत और एक बार फिर से इस कयास का लगना कि अमेरिकी केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर सकती है भी जिम्मेदार है.
शेयर बाजार में आई इस गिरावट का सबसे ज्यादा खामियाजा रियल एस्टेट, कंज्यूमर प्रोडक्ट और ऑटो कंपनियों को उठाना पड़ा है. बीएसई पर लिस्टेड महत्वपूर्ण 500 कंपनियों के इंडेक्स को सम्मिलित तौर पर लगभग 25 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है.
बहरहाल, इस गिरावट के बाद मंगलवार का कारोबार बाजार पर कुछ रौनक लेकर आया. बाजार के जानकारों के मुताबिक वैश्विक बाजारों में आई तेजी के असर से भारतीय बाजार एक लंबे अंतराल के बाद हरे निशान में बंद हुआ है.