
महाराष्ट्र में आईपीएल और सूखे को लेकर छिड़ी बहस के बीच एक नया मुद्दा सामने आया है. महाराष्ट्र में पानी संकट के लिए आईपीएल के बजाय वहां की सरकार और उसकी नीतियां जिम्मेदार हैं.
'इंडिया टुडे' की एक पड़ताल में सामने आया है कि महाराष्ट्र में पानी के लिए असल जिम्मेदार सरकार की पॉलिसी है. राज्य में गन्ने की खेती के लिए पानी की खपत काफी ज्यादा है. हर एक किलोग्राम चीनी बनाने में करीब 2068 लीटर पानी की खपत होती है, जिसका मतलब है एक टन चीनी बनाने में करीब 20 लाख लीटर पानी खर्च होता है.
ये है आईपीएल में पानी का कुल खर्च
अगर आईपीएल से तुलना की जाए तो कुछ अलग ही कहानी सामने आती है. एक आईपीएल मैच के लिए कुल 0.3 मिलियन लीटर पानी खर्च होता है. यानी कुल 20 मैचों के लिए 60 लाख लीटर पानी खर्च होगा. जो कि गन्ने की खेती के लिए खर्च किए जा रहे पानी का 0.0000038 फीसदी है.
बॉम्बे हाई कोर्ट मे BCCI को दिया था निर्देश
महाराष्ट्र में चीनी के कारोबारी अधिकतर बड़े नेता हैं, या फिर उनके करीबी. जिसका सीधा मतलब है उनकी ओर कोई उंगली नहीं उठा सकता. एक ओर जहां बॉम्बे हाईकोर्ट बीसीसीआई से मैचों को राज्य से बाहर शिफ्ट करने के लिए कह रहा है तो दूसरी ओर राज्य में पानी संकट के लिए जिम्मेदार लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है.
देखें पूरी रिपोर्ट यहां-