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IAS के बाद अब IPS अफसर की बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में

आज के समय में अमीर और उचे पद पर बेठे लोग अपने बच्चों को एक अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं. लेकिन जब कोई एक आईपीएस अधिकारी अपने बच्चे का दाखिला एक सरकारी स्कूल में कराता है तो इससे बड़ी मिसाल सायद ही कुछ और हो सकती हो. जी हां ये मामला छत्तीसगढ़ राज्य से है जहां आईएएस और आईपीएस अफसर अब अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने की दिलचस्पी ले रहे हैं.

एसपी डी. रविशंकर अपनी बेटी दिव्यांजलि के साथ एसपी डी. रविशंकर अपनी बेटी दिव्यांजलि के साथ
सुनील नामदेव
  • छत्तीसगढ़,
  • 04 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 9:45 PM IST

आज के समय में अमीर और उचे पद पर बेठे लोग अपने बच्चों को एक अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं. लेकिन जब कोई एक आईपीएस अधिकारी अपने बच्चे का दाखिला एक सरकारी स्कूल में कराता है तो इससे बड़ी मिसाल सायद ही कुछ और हो सकती हो. जी हां ये मामला छत्तीसगढ़ राज्य से है जहां आईएएस और आईपीएस अफसर अब अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने की दिलचस्पी ले रहे हैं.

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तो वही अब एक मामला छत्तीसगढ़ के स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्यूरों के एसपी डी. रविशंकर का है. बता दें कि रायपुर में पदस्थ डी. रविशंकर ने अपनी बेटी दिव्यांजलि का दाखिला उसी शहर के शांति नगर स्थित एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में कराया है. उन्होंने अपनी बेटी दिव्यांजलि का दाखिला कक्षा दूसरी में कराया है.

बता दें कि इससे पहले छत्तीसगढ़ के ही बलरामपुर जिले के कलेक्टर अविनाश शरण ने भी अपनी बेटी वेदिका का दाखिला सरकारी स्कूल में कराकर एक नई पहल शुरु की थी. इसके बाद संसदीय सचिव शिवशंकर पैकरा ने अपने बेटे का दाखिला पत्थलगांव के एक सरकारी स्कूल में कराया था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट दे दाखिलें पर दिया था आदेश

स्कूलों में दाखिला से सम्बंधित लगभग दो साल पहले इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि नौकरशाहों, नेताओं और सरकारी खजानों से वेतन और मानदेह पाने वाले प्रत्येक मुलाजिम के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य किया जाए. इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया जाने की बात भी अदालत ने की थी. इस फैसले के बाद देश में सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को लेकर बहस छिड़ गई थी. लेकिन हुआ कुछ नहीं, हालांकि छत्तीसगढ़ के अधिकारी इस फैसले से प्रेरित होकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों का रास्ता दिखा रहे हैं.

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