
ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को एयर स्ट्राइक में मारने के बाद अमेरिका युद्ध के मुहाने पर खड़ा है. ईरान की तरफ से 'कड़ा इंतकाम' लेने का प्रण लिया गया है तो डोनाल्ड ट्रंप ने भी कह दिया है 'कुछ किया तो तबाह कर देंगे.' इस पूरे संघर्ष के बीच इराक ने अमेरिकी सेना को अपनी धरती से बाहर करने का जो फैसला लिया है, उस पर हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. पहले अमेरिकी सेना ने इराक छोड़ने के लिए कहा और बाद में कहा गया कि यह लेटर गलती से लिखा गया.
दरअसल, शुक्रवार को अमेरिका ने हवाई हमला कर ईरानी कुद्स सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया. जिस वक्त सुलेमानी पर हमला किया गया वह इराक एयरपोर्ट पर थे. सुलेमानी की मौत को ईरान ने तो गंभीरता से लिया ही, साथ ही इराक ने भी अमेरिका के इस एक्शन की आलोचना की. सिर्फ इतना ही नहीं, रविवार को इराक की संसद में अमेरिकी सेना को अपनी जमीन से बाहर करने के लिए बाकायदा प्रस्ताव भी पास किया गया.
इराकी संसद में यह प्रस्ताव पास होने के बाद जानकारी आई कि अमेरिकी सेना की इराक टास्क फोर्स के ब्रिगेडियर जनरल विलियम सिली ने रविवार को इराकी सेना को एक पत्र लिखा. इस पत्र में ब्रिगेडियर विलियम ने बताया कि अमेरिकी सेना इराक से जाने के लिए तैयार है.
वॉशिंगटन ने बताया गलती
इराक में अमेरिकी सेना टास्क फोर्स के इंचार्ज के लेटर में भले ही इराक छोड़ने की बात कही गई हो लेकिन वॉशिंगटन की तरफ से जो बयान आया उसमें इसे गलती बताया गया. सोमवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने पत्र को अमेरिका का स्टैंड नहीं बताते हुए कहा कि इराक छोड़ने का कोई निर्णय नहीं हुआ है.
वहीं, पेंटागन ज्वाइंट चीफ चेयरमैन मार्क मिली ने बताया कि पत्र महज 'ड्राफ्ट' था, जो भेजा नहीं जाना चाहिए था. मार्क मिली ने कहा, 'यह एक गलती है, एक ईमानदार गलती, बिना साइन वाला पत्र था, क्योंकि हम सेना को मूव करने में लगे हैं.'
तो क्या इराक नहीं छोड़ेगी अमेरिकी सेना?
मार्क मिली ने इराकी सेना को भेजे गए लेटर को पूरी तरह से गलती करार दिया है. इसका मतलब ये हुआ कि इराकी संसद में विदेशी सैनिकों को बाहर भेजने का प्रस्ताव पास होने के बावजूद भी अमेरिका अपनी फोर्स को हटाने के पक्ष में नहीं है. बता दें कि फिलहाल करीब 5200 अमेरिकी सैनिक इराक में तैनात हैं. ये सैनिक इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए इराकी फोर्स को ट्रेनिंग दे रहे हैं. लेकिन इराक की सरकार ने सेना को बाहर करने का फैसला लिया है.
रविवार को जब इराकी संसद में विदेशी सैनिकों को इराक की धरती से बाहर भेजने का प्रस्ताव पास किया गया तो प्रधानमंत्री अब्दुल अल महदी ने साफ कहा कि उनके पास दो विकल्प थे कि या तो सेना को बाहर करने का फैसला किया जाए या उन्हें सिर्फ ट्रेनिंग तक सीमित रखा जाए. महदी ने कहा है कि मैंने दो विकल्प होने के बावजूद पहला विकल्प चुना जो विदेशी सैनिकों को इराक की धरती से बाहर भेजने वाला है. इराकी सरकार ने यह भी कहा कि अब ISIS का वजूद खत्म हो चुका है, ऐसे में अमेरिकी सैनिकों की वहां आवश्यकता नहीं है.
इसी क्रम में इराकी टास्क फोर्स की कमान संभाल रहे अमेरिकी ब्रिगेडियर जनरल विलियम सिली ने इराक की सेना को लेटर लिखकर वहां से जाने की बात कही. लेकिन बाद में पेंटागन की तरफ से इस लेटर को गलती बता दिया गया. ऐसे में अब भी सबकी नजर इस बात पर है कि इराक की संसद में जो फैसला किया गया है, उस पर अमल कैसे और कब तक होगा.