
अमेरिका ने ईरान के सैन्य प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी पर हमले के वक्त सोचा भी नहीं था कि उन्हें इसका करारा जवाब मिलेगा. लेकिन ईरान ने पड़ोसी मुल्क ईराक में स्थापित अमेरिका के दो अहम सैन्य ठिकानों को अपना निशाना बनाया. अब इस ईरानी पलटवार में अगर अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने की ख़बर आती है तो यकीनन ये अमेरिका के लिए बड़ा झटका होगा. मुमकिन है कि अमेरिका इस हमले का जवाब एक और हमला करके दे. लिहाज़ा ईरान भी इस अमेरिकी जवाब के लिए तैयार है.
भूकंप के झटके या कुछ और?
दुनिया को ईरानी तैयारी पर शक तब और हुआ जब अमेरिकी बेस पर हमले के महज़ दो घंटे बाद ईरानी न्यूक्लियर पावर प्लांट के नज़दीक भूकंप के झटके महूसस किए गए. ये भूकंप के झटके कुदरती थे. या इन झटकों का सच कुछ और है ये साफ होना अभी बाकी है.
नहीं हुआ कोई नुकसान
एक तरफ ईरान ने इराक में मौजूद अमेरिकी एयरबेस पर 22 मिसाइलें दागकर रात के अंधेरे में बारूदी उजाला कर किया तो वहीं दूसरी तरफ चंद घंटों बाद ईरान में भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए. ये झटके इतने तेज़ नहीं थे कि इसमें जान-माल का नुकसान होता मगर इतने हलके भी नहीं थे कि जिसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाए.
न्यूक्लियर पावर प्लांट के पास था भूकंप!
यूं तो अक्सर ईरान में भूकंप आते रहते हैं मगर इस बार आए भूकंप के झटकों पर दुनिया की नज़र आकर टिक गई है क्योंकि झटके कहीं और नहीं बल्कि ईरान के न्यूक्लियर पावर प्लांट के बिल्कुल नज़दीक महसूस किए गए हैं. लिहाज़ा भूकंप के इन झटकों को समझने ज़रूरी है.
8 जनवरी 2020, सुबह 5 बजे, बुशहर, ईरान
इराक में अमेरिकी ठिकानों के हमले के महज़ दो घंटे के बाद फारस की खाड़ी के बिलकुल नज़दीक बुशहर शहर के ईरानी न्यूक्लियर पावर प्लांट के नज़दीक रिक्टर स्केल पर 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप सुबह 5 बजे आया और उसका केंद्र बुशहर से 53 किलोमीटर दूर बोराजन इलाका था.
बोराजन में है ईरान का न्यूक्लियर पावर प्लांट
आपको बता दें कि बोराजन में ही ईरान का न्यूक्लियर पावर प्लांट है. लिहाज़ा यहां आए भूकंप के इन झटकों से दुनिया की भंवे तन गईं. ऐसा अंदेशा जताया जाने लगा कि कहीं फाइव प्लस वन देशों के साथ हुए न्यूक्लियर समझौते से बाहर आते ही ईरान ने न्यूक्लियर हथियार तैयार करना तो शुरु नहीं कर दिया है या फिर कोई परीक्षण किया हो?
अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने का दावा
ये अंदेशा इसलिए भी ज़्यादा गहरा जाता है क्योंकि जनरल सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने जो मिसाइलें दागीं उसमें उसने 80 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है. अगर ये दावा सही है तो अमेरिका यकीनन इसका जवाब देने की कोशिश करेगा. ईरान ने भी इराक में अमेरिकी सैनिक ठिकानों पर हमला करने से पहले कोई ना कोई बैक अप प्लान ज़रूर बनाया होगा. और इसका अंदाज़ा ईरानी विदेश मंत्री और इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड के बयानों से लगाया जा सकता है.
नफा-नुकसान को देखकर ही होगी जंग
एक तरफ ईरानी विदेश मंत्री जहां इस मामले को यहीं खत्म करने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ ईरान की इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स का कहना है कि ये तो बस जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने की शुरुआत है. हालांकि दूसरी तरफ मंगलवार को आल इज़ वेल का ट्विट करने के बाद ट्रंप अगले दिन सुबह तैश में नज़र आए. यानी जंग के खतरे के बीच अमेरिका और ईरान दोनों पूरी तरह से मोर्चाबंदी करने में लगे हुए हैं. लेकिन ज़ाहिर है दोनों देश इस जंग के नफा-नुकसान को देखकर ही इस आग में कूदेंगे.
भूकंप के बाद विमान क्रैश
मगर बुधवार की सुबह ईरानी जनता अपने सबसे लोकप्रिय जनरल की मौत के बदले पर इत्मिनान कर पाती. उसे एक के बाद एक दो बुरी खबरें मिलीं. एक तो भूकंप के झटकों से ईरान थर्रा गया. वहीं राजधानी तेहरान के पास यूक्रेन का एक यात्री विमान क्रैश हो गया. यूक्रेन का ये यात्री विमान उड़ाने भरने के थोड़ी ही देर बाद क्रैश हो गया. इस विमान में कुल 170 यात्री सवार थे और इन सभी मुसाफिरों के मारे जाने की खबर है.
मारे गए कई ईरानी नागरिक
बताया गया कि मारे गए लोगों में सबसे ज़्यादा तादाद ईरानी लोगों की है. आपको बता दें कि इससे पहले मंगलवार को भी जनरल कासिम सुलेमानी के ज़नाज़े में मची भगदड़ में भी 50 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने और 200 से ज्यादा लोगों के ज़ख्मी होने की खबर आई थी.