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...तो अपने ही आतंकियों की जिंदगी छीन लेता है बगदादी!

बगदादी अपने आतंक के रास्ते का पत्थर मानता है, उनको मार डालता है. जो उसको खलीफा मानने से इंकार कर देते हैं, उनको भी मार डालता है. वह उन आतंकियों को भी ऐसे ही मार डालता है, जो उसके लिए लड़ते हैं, लेकिन बीच में वापस लौटना चाहते हैं. उसके आतंक के कारोबार में अपनापन तो उन आतंकियों के लिए भी नहीं है, जो उस शैतान के लिए अपनी जिंदगी झोंक देते हैं. उसने बीस आतंकियों को हैवानियत की हद तक जाकर मार डाला.

बगदादी ने 20 आतंकियों को मार डाला बगदादी ने 20 आतंकियों को मार डाला
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

पुरानी कहावत है खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे. लेकिन बार-बार अपनी हार से खिसियाया हुआ बगदादी अपने आतंकियों की जिंदगी ही नोच लेता है. यदि सीरिया-इराक की फौज के आगे बगदादी के आतंकी टिक नहीं पाते और वो मैदान छोड़कर भागते हैं, तो वह उन्हें बहुत बड़ी सजा देता है. ऐसी सजा कि उन्हें आग में जलाता है और फिर जिंदा मार डालता है. मोसूल में यही हुआ, जहां बगदादी ने 20 आतंकियों को मार डाला. इनमें चार भारतीय शामिल हैं.

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बगदादी अपने आतंक के रास्ते का पत्थर मानता है, उनको मार डालता है. जो उसको खलीफा मानने से इंकार कर देते हैं, उनको भी मार डालता है. वह उन आतंकियों को भी ऐसे ही मार डालता है, जो उसके लिए लड़ते हैं, लेकिन बीच में वापस लौटना चाहते हैं. उसके आतंक के कारोबार में अपनापन तो उन आतंकियों के लिए भी नहीं है, जो उस शैतान के लिए अपनी जिंदगी झोंक देते हैं. उसने बीस आतंकियों को हैवानियत की हद तक जाकर मार डाला.

बगदादी द्वारा मारे गए बीस आतंकियों में चार भारतीयों के शामिल होने का अंदेशा है. खुफिया एजेंसियों को खबर मिली है कि ये आतंकी मोसूल में बगदादी के लिए लड़ रहे थे. सीरिया और इराक में बगदादी के ठिकानों पर रूस, अमेरिका और यूरोपीय देशों ने ताबड़तोड़ हमले कर रखे हैं. कई जगहों पर उसके तेल के कुओं से लेकर हथियारों के उसके जखीरे भस्म हो चुके हैं. वह इस कदर तबाह हो चुका है कि उसने अपने आतंकियों की तनख्वाह तक कम कर दी है.

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मौत देख कांप आतंकियों का कलेजा
सीरिया और इराक के बाद लीबिया में उसने अपना गढ़ बनाना चाहा लेकिन अमेरिका ने वहां उसकी जमीन तैयार होने से पहले ही उखाड़ दिया है. इसीलिए अपनी पाप की दुनिया को बचाने के लिए उसने आतंकियों को भेजा कि वो पश्चिमी देशों की मिसाइलों का मुकाबला करें. लेकिन आसमान से बरसती मौत को देखकर आतंकियों का कलेजा कांप गया. वो वापस आईएसआईएस के कैंप में आए. लेकिन यहां उन्हें और भी बुरी मौत मिली.

बगदादी ने पार की हैवानियत की हदें
गृह मंत्रालय की ही रिपोर्ट है कि बगदादी के लिए लड़ने गए 23 हिंदुस्तानी नौजवानों में से 6 की मौत हो चुकी है. बगदादी के आतंकी बने वो लड़के बेमौत मारे गए. ये रिपोर्ट और बगदादी की बर्बरता की ताजा कहानी ये इशारा करती है कि उसने कैसे हैवानियत की सारी हदें पार कर दी है. वहां सबसे बुरा हाल तो उन हिंदुस्तानी युवकों का होता है, जो बगदादी के आतंकी ब्रिगेड में शामिल होने के लिए जाते हैं. हिंदुस्तानी आतंकियों को दोयम दर्जे का मान जाता है.

धर्म के नाम पर बरगलाता है बगदादी
बीते 2 सालों में आईएसआईएस ने इराक में लगभग 19 हजार लोगों की हत्या की है. सीरिया में लगभग 3500 बेगुनाहों को मार डाला है. आईएसआईएस के प्रोपेगेंडा में फंसकर दुनिया भर से युवा उसके साथ जुड़ रहे हैं. जिस धर्म के नाम पर बरगलाकर उन्हें लड़ने बुलाया जाता है. उसी धर्म को भूलकर सीरिया जाते ही उनके साथ नस्ल और संप्रदाय के आधार पर भेदभाव किया जाता है. खास तौर से भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के युवाओं के साथ.

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भारतीय उपमहाद्वीप के युवाओं से भेदभाव
भारतीय गृहमंत्रालय को इंटेलिजेंस शेयर से मिली जानकारी बताती है कि भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान से गए युवाओं को निचले दर्जे का काम मिलता है. सीनियर पदों पर अरब और सीरिया के आतंकी रहते हैं. उन्हें बेहतर हथियार, सुरक्षित काम और बढ़िया वेतन मिलता है. भारतीय उपमहाद्वीप और अफ्रीकी मूल के आतंकियों से भेड़ बकरियों सा बरताव होता है. लड़ाई के मैदान में उन्हें आगे रखा जाता है. ताकि अरब आतंकियों की मौत कम हो जाए.

धोखे से युवाओं को बनाया आत्मघाती
इन युवाओं को आत्मघाती हमले के लिए धोखे से इस्तेमाल किया जाता है. बारूद भरी गाड़ी देकर उन्हें कहा जाता है कि वो खास जगह पर जाकर अपने मोबाइल से खास नंबर डायल करें. फिर उन्हें टारगेट बता दिया जाएगा. वहां वो फिदायीन को गाड़ी देकर वापस लौट सकते हैं. लेकिन जैसे ही ट्रेनी आतंकी कॉल करते हैं. गाड़ी में रखा बारूद डेटोनेट होकर ब्लास्ट हो जाता है. युवाओं को जिन्न का हवाला देकर डराया जाता है.

दो लड़कियों को बनाया पोस्टर गर्ल
अप्रैल 2014 में ऑस्ट्रिया की समारा केसिनोविच और सबीना सेलिमोविच आईएसआईएस में भर्ती हुई थीं. बगदादी ने इन्हें पोस्टर गर्ल बना दिया गया. सबीना गोली लगने से मर गई. लेकिन समारा ने अत्याचारों से तंग आकर रक्का से भागने की कोशिश की तो आतंकियों ने उसे इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई. इतना ही नहीं इन दोनों की तस्वीरों को बगदादी ने सेक्स स्लेव के तौर पर प्रचारित किया. ताकि अय्याशी का लालच देकर युवाओं को जोड़ा जा सके.

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सीरिया में लड़ रहे हैं 17 हिंदुस्तानी
आजतक के हाथ ये एक्सक्लूसिव जानकारी लगी है कि बगदादी का आतंकी बने 17 हिंदुस्तानी आज भी सीरिया में हैं. खुफिया एजेंसियों को लगता है कि जिन बीस आतंकियों को बगदादी ने मारा है, उनमें चार हिंदुस्तानी भी थे. हालांकि हिंदुस्तान से भटकने वाले नौजवानों की संख्या कम है, लेकिन बगदादी उनके साथ जैसा बर्ताव करता है, वो सबकी आंखें खोल देने के लिए काफी है. उसके दरिंदगी की कहानी चीख-चीख कर कह रहे हैं.

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