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क्या गद्दाफी की मौत मरेगा खुद को खलीफा कहने वाला बगदादी?

1969 में लीबिया में इदरिस का तख्तापलट करके गद्दाफी ने खुद को लीबिया का तानाशाह घोषित कर दिया था. उसके बाद लीबिया का पत्ता भी उसके इशारे के बगैर नहीं खड़कता था. सब कुछ गद्दाफी का. तेल गद्दाफी का. सत्ता का खेल गद्दाफी का. और देश भी गद्दाफी का. लेकिन 20 अक्टूबर 2011 को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर वो गद्दाफी मारा गया. अब उसी तरह बगदादी भी मारा जाएगा. इसके लिए कार्रवाई शुरु हो चुकी है.

अबू बकर अल बगदादी अबू बकर अल बगदादी
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के मारे जाने के साढ़े चार साल बाद लीबिया आज भी अशांति और अराजकता की आग में जल रहा है. इसे आईएसआईएस का सबसे बड़ा आतंकवादी सरगना अबू बकर अल बगदादी जला रहा है. ऐसे में अब अमेरिका बगदादी को गद्दाफी के गढ़ में ही मार गिराने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए अमेरिकी फौज की एक टुकड़ी ने लीबिया में काम करना शुरु कर दिया है. बगदादी के अड्डों की तलाश जारी है.

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1969 में लीबिया में इदरिस का तख्तापलट करके गद्दाफी ने खुद को लीबिया का तानाशाह घोषित कर दिया था. उसके बाद लीबिया का पत्ता भी उसके इशारे के बगैर नहीं खड़कता था. सब कुछ गद्दाफी का. तेल गद्दाफी का. सत्ता का खेल गद्दाफी का. और देश भी गद्दाफी का. लेकिन 20 अक्टूबर 2011 को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर वो गद्दाफी मारा गया. अब उसी तरह बगदादी भी मारा जाएगा. इसके लिए कार्रवाई शुरु हो चुकी है.

अमेरिका का कहना है कि बगदादी गद्दाफी की तरह ही मारा जाएगा. गद्दाफी को गुमान था कि तेल के कुओं से निकले पैसे की गर्मी उसके लिए सुरक्षा कवच बनेगी. यही सोच बगदादी की भी है, जिसने इराक और सीरिया के बहुत सारे तेल कुओं पर जबरन कब्जा कर रखा है. अब लीबिया में अपना कब्जा बढ़ाने की फिराक में है. अमेरिका एक तीर से दो निशाने साधना चाह रहा है. बगदादी का खात्मा और तेल के कुओं पर कब्जा.

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लीबिया में फैलाया आतंक का साम्राज्य
दरअसल गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया में एक शून्य पैदा हुआ. तानाशाही से मुक्त देश समझ ही नहीं पाया कि आगे का रास्ता कैसा होगा. इस उहापोह का फायदा उठाते हुए बगदादी ने अपने आतंक का साम्राज्य लीबिया में फैला लिया. अब अमेरिकी सुरक्षा विभाग पेंटागन बगदादी के खिलाफ सैनिक कार्रवाई करने के मूड में है. उसका मानना है कि गद्दाफी को निपटाना आसान होगा क्योंकि यहां तेल के कुओं से ही उसकी जेब भारी है.

आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई
पिछले हफ्ते अमेरिका के ज्वाइंट चीफ स्टाफ चेयरमैन जनरल जोसेफ डनफोर्ड और फ्रांसीसी अधिकारी ने आईएसआईएस के खिलाफ निर्णायक सैनिक कार्रवाई का एलान किया. अमेरिका को गुस्सा इस बात से भी है कि लीबिया में उसके चार नागरिक मारे गए हैं, जिनमें एक अमेरिकी राजदूत भी शामिल है. अब अमेरिका इनका खात्मा चाहता है. इसीलिए सीरिया और इराक से आगे बगदादी को नेस्तनाबूद कर देना चाहता है.

पूरी दुनिया पर लगी बगदादी की निगाह
अमेरिका ने बगदादी के खात्मे की मुनादी कर दी है. लीबिया तो बहाना भर है. बगदादी जहां भी छुपा होगा, उसका अंत उसके गुप्त ठिकाने की तरफ बढ़ रहा है. अरब देशों में बैठे बगदादी की निगाह पूरी दुनिया पर लगी है. लेकिन दुनिया का महाशक्तियों की निगाह बगदादी पर लगी है.. इराक की धरती पर बगदादी ने अपना काला साम्राज्य खड़ा किया. इसके बाद सीरिया में उसने पैर पसारे, जहां गद्दाफी का राज चला करता था.

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हमले से घटी आईएसआईएस की आमदनी
आईएसआईएस कच्चे तेल की बिक्री से रोजाना 8 करोड़ 86 लाख 66 हजार रुपये कमाता था. लेकिन हवाई हमलों के बाद उसके प्रोडक्शन पर असर पड़ा है. दिसंबर में रोजाना आमदनी घटकर करीब 7 करोड़ रुपये हो गई. हवाई हमलों के बाद पेंटागन के मुताबिक आईएसआईएस का रोजाना प्रोडक्शन घटकर 45 हजार बैरल से 34 हजार बैरल प्रतिदिन हो गया है. हवाई हमलों में ट्रकों को निशाना बनाए जाने से तेल की बिक्री भी घटी है.

हवाई हमले से आईएसआईएस को नुकसान
आईएसआईएस जिन व्यापारियों को तेल बेचता है उनके ट्रकों को हवाई हमलों में नष्ट कर दिए जाने से व्यापारियों ने खरीददारी से हाथ खींच लिया है. अब मजबूरन आईएसआईएस को निकाला गया तेल गड्ढे खोदकर उनमें भरना पड़ रहा है. लीबिया, सीरिया और इराक में अमेरिका और फ्रांस की हवाई कार्रवाई से आईएसआईएस को खासा नुकसान हुआ है. लेकिन अब उसके सरगना बगदादी की कमर तोड़ने का प्लान अमेरिका ने बना लिया है.

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