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मिडिल ईस्ट को 12वीं शताब्दी में ले गया आईएसआईएस

12वीं शताब्दी में मंगोल जब कत्लेआम करते थे, तो वे उसे ज्यादा से ज्यादा विभत्स और खौफनाक बनाने की कोशिश करते थे. इब्न तमैय्या ने तब उसे इस्लाम के लिए खतरा बताया था. अब उसी इस्लाम के नाम पर आईएसआईएस मंगोलों की तरह हो गया है.

आईएसआईएस आईएसआईएस
धीरेंद्र राय
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2015,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

जॉर्डन के फाइटर पायलट मुआथ अल-कसासबेह को आईएसआईएस ने जिंदा जला दिया. एक मिनट 24 सेकंड के इस दिल दहलाने वाले वीडियो के अंत में अरबी भाषा में दो पंक्तियां उभरती हैं. आईएसआईएस ने इन्हें लिया है 12वीं शताब्दी के मुस्लिम स्कॉलर इब्न तमैय्या के न्यायशास्त्र से-

"यदि किसी अपवित्र शरीर के खौफनाक अंत से काफिरों को इस्लाम पर भरोसा होता है या उनका आक्रमण कमजोर होता है, तो ऐसी सजा जारी रहना चाहिए और जेहाद में इसकी कानूनन इजाजत है".

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तब 12वीं शताब्दी में...
इब्न तमैय्या ने यह बात उस दौर में कही थी, जब मंगोलों के खौफनाक हमले मध्य और मध्य-पूर्व एशिया ही नहीं भारत में भी हुआ करते थे. वे लूट-पाट, पुरुषों और बच्चों का कत्लेआम और महिलाओं से दुष्कर्म करते हुए आगे बढ़ते चले जाते. सीरिया के रहने वाले इब्न तमैय्या ही पहले शख्स थे, जिन्होंने मंगोलों के खिलाफ फतवा जारी किया और उन्हें गैर-इस्लामिक करार दिया. खून-खराबा करने वाले मंगालों ने कभी इसकी परवाह नहीं की और वे अपना काम करते रहे. कत्लेआम.

अब 21वीं शताब्दी में...
आईएसआईएस ने इस्लामिक देश की स्थापना करने की मंशा से उत्तरी सीरिया से अपना खूनी अभियान शुरू किया. नारा दिया कि नए देश में सिर्फ शरीयत के आधार पर शासन होगा. गैर-मुस्लिमों के लिए उसमें कोई जगह नहीं होगी. अपने इस अभियान में उन्होंने सीरिया से लेकर इराक तक खूनखराबे का नया इतिहास रच दिया. ज्यादातर शिकार बने इराकी सेना, पुलिस और अन्य महकमों में काम करने वाले लोग. सब मुस्लिम. उन्होंने शिया, कुर्द और यजीदी जातियों के भी अनगिनत लोगों की जान ली. खास बात यह रही कि हर कत्लेआम, भले शिकार मुस्लिम हो या गैर-मुस्लिम, उसका वीडियो जरूर बनाया. उसे इंटरनेट पर अपलोड किया गया.

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हर वीडियो में इस्लाम के नाम पर पहले संदेश दिया, अमेरिका और यूरोपीय देशों को धमकाया और फिर दोनों हाथ बांधकर घुटनों के बल बैठाए गए लोगों को मौत दे दी. कहीं सिर पर गोली मारी गई, कहीं धीरे-धीरे गला रेंता गया, कहीं तलवार से एक झटके में गर्दन अलग कर दी गई. हर बार नयापन.

ताजा वीडियो है जॉर्डन के पायलट अल-कसासबेह को जिंदा जलाए जाने का. 27 साल के इस पायलट को कुरान कंठस्थ थी. आईएसआईएस की कैद में आने के बाद वह लगातार कुरान पढ़ता रहा. लेकिन उसके कातिलों ने तर्क दिया कि वह भले कुरान पढ़ता है, लेकिन अमेरिका का दोस्त होना उसके लिए गैर-इस्लामिक है. और उसे मरना होगा.

कसासबेह के अंत का वह 1.24 मिनट का वीडियो किसी फिल्म का हिस्सा लगता है. हर एंगल से उसे फिल्माया गया है. किसी प्रोफेशनल की तरह. पिंजरे में खड़ा कसासबेह. पेट्रोल में भीगा हुआ. उसके नीचे जमीन पर बारूद बिछी हुई है. उसी बारूद के एक सिरे को दस फीट दूरी से एक आईएसआईएस का आतंकी घुटनों के बल बैठकर मशाल से आग लगाता है. बताया गया है कि वह कोई महिला है. आग धीरे-धीरे पिंजरे में पहुंचती है और लपटें कसासबेह को घेर लेती है. कसासबेह पहले लपटों को हाथ से दूर करने की कोशिश करता है, फिर उनसे बचने के लिए अपना हाथ से छुपा लेता है. स्लोमोशन वाले इस वीडियो में कसासबेह की तड़प, उसके घुटनों पर बैठने और फिर लाश हो जाने तक मंजर है. आखिर में जब इब्न तमैय्या की कही गई लाइनें वीडियो पर उभरती हैं तो उसके पीछे झुलसे हुए कसासबेह का चेहरा नजर आता है.

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इतिहासकारों के अनुसार 12वीं शताब्दी में मंगोल भी जब कत्लेआम करते थे, तो वे उसे ज्यादा से ज्यादा विभत्स और खौफनाक बनाने की कोशिश करते थे. इब्न तमैय्या ने तब उसे इस्लाम के लिए खतरा बताया था. अब उसी इस्लाम के नाम पर आईएसआईएस मंगोलों की तरह हो गया है.

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