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खात्मे के कगार पर ISIS, गढ़ में दाखिल हो चुकी है इराकी सेना

क़रीब दो साल से दुनिया में अमन-चैन का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका आतंकवादी संगठन आईएसआईएस अब घुटनों के बल आ चुका है. सीरिया हो या इराक अपने हर गढ़ में उसे लगातार शिकस्त मिल रही है. और तो और अपने 45 हज़ार आतंकवादियों के मारे जाने के बाद अब बाकी बचे-खुचे इलाक़ों में भी ये चारों तरफ़ से घिर चुका है. ऐसे में आईएस के पास अब बस दो ही रास्ते बचे हैं. या तो हथियार डाल कर सरेंडर कर दे या फिर गोलियों का निशाना बने. यानी कुल मिला कर आईएसआईएस का खेल अब बस ख़त्म होने वाला है.

ISIS के गढ़ में दाखिल हो चुकी है इराकी सेना ISIS के गढ़ में दाखिल हो चुकी है इराकी सेना
शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 04 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

क़रीब दो साल से दुनिया में अमन-चैन का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका आतंकवादी संगठन आईएसआईएस अब घुटनों के बल आ चुका है. सीरिया हो या इराक अपने हर गढ़ में उसे लगातार शिकस्त मिल रही है. और तो और अपने 45 हज़ार आतंकवादियों के मारे जाने के बाद अब बाकी बचे-खुचे इलाक़ों में भी ये चारों तरफ़ से घिर चुका है. ऐसे में आईएस के पास अब बस दो ही रास्ते बचे हैं. या तो हथियार डाल कर सरेंडर कर दे या फिर गोलियों का निशाना बने. यानी कुल मिला कर आईएसआईएस का खेल अब बस ख़त्म होने वाला है.

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अनगिनत बेगुनाहों की मौत का ज़िम्मेदार और दुनिया के सबसे बड़े जल्लाद अबु बकर-अल-बगदादी के खात्मे के दिन लगातार क़रीब आ रहे हैं. इराक़ के मैदान-ए-जंग यानी मोसुल से अब नई ख़बर ये है कि बग़दादी का दायां हाथ और आईएसआईएस का नंबर दो अयाद अल जुमैली इराक़ी फोर्सेज़ के हमले में मारा गया है. आईएसआईएस जैसे किसी आतंकवादी संगठन के नंबर टू के मारे जाने का मतलब क्या होता है, ये किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है. ये हाल के चंद महीनों में आईएसआईएस की सबसे बड़ी शिकस्त है और इसी के साथ इस जल्लाद गैंग के खात्मे का काउंटडाउन तेज़ हो गया है. सूत्रों की मानें तो इराक़ के अल कायम में जुमैली अपने कुछ साथियों के साथ तब मारा गया, जब आसमान से इराकी फाइटर जेट्स ने उसके ठिकाने को नेस्तनाबूद कर दिया. जुमैली का ठिकाना ही जुमैली का क़ब्रगाह साबित हुआ.

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IS के गढ़ में दाखिल हो गई इराकी फौज
दहशत का जो चेहरा कल तक पूरी दुनिया के लिए एक छलावा बना था, आख़िरकार इराक़ी फ़ौज उस तक पहुंच ही गई. इराक़ में आईएसआईएस के सबसे बड़े गढ़ यानी मोसुल में आख़िरकार बग़दादी घिर ही गया. यानी अब आईएसआईएस का खेल ख़त्म समझिए. जी हां, आईएसआईएस के जिस खलीफ़ा अबु बकर-अल-बग़दादी ने सिर्फ़ अपनी सनक के चलते सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतरवा दिया. जिसने सीरिया और इराक़ जैसे मुल्कों को गृहयुद्ध की आग में झोंक कर लाखों लोगों बेघर कर दिया, आख़िरकार आठ से नौ महीने बाद इराक़ी फ़ौज ने उसे ढूंढ़ निकालने में कामयाबी हासिल कर ही ली. अब नई ख़बर ये है कि इराकी फ़ौज और कुर्दिश पेशमगरा लड़ाकों ने उसे चारों तरफ़ से घेर लिया है. ऐसे में अब आईएसआईएस की हार तय है. बस अब देखना ये है कि बग़दादी अपने आतंकवादियों के साथ आख़िर कितने दिनों तक मोसुल में टिका रहता है.

दोनों ही सूरत में तय है IS की हार
वो फ़ौज से टकराता है या फिर हथियार डाल देता है, क्योंकि आईएसआईएस के लिए तो दोनों ही सूरत में हार तय है. अगर बग़दादी मारा जाए, तो भी और अगर वो खुद को फ़ौज के हवाले कर दे तो भी. आज वही कायर पीठ दिखा कर भाग रहे हैं. खुद को अपने ही घर में घिरता देख कर इन कायरों की नींद उड़ गई है. हालत ये है कि कोई बुर्के में छिप रहा है तो किसी ने बेगुनाह शहरियों और यहां तक कि औरतों और बच्चों की ही अपनी ढाल बना लिया है. इराक़ और सीरिया की तस्वीर इन दिनों एक सी है. आईएसआईएस जिसे कल तक लोग इस दुनिया के सबसे ख़ौफ़नाक आतंकवादी संगठन के तौर पर जानते थे, आज कायरों की फ़क़त एक ऐसी टोली बन कर रह गई है. जिसे इन दोनों ही मुल्कों में जान के लाले पड़ गए हैं. हालत ये है कि सीरिया से लेकर इराक़ तक उसके तमाम किले दरक चुके हैं और ये आतंकवादी संगठन अब आख़िरी हिचकी ले रहा है.

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IS से लड़ाई में मित्र देश कर रहे हैं मदद
इराक़ में आईएसआईएस जहां अपने सबसे बड़े गढ़ और बग़दादी की इस्लामी हुकूमत की राजधानी मोसुल में ही घुटनों के बल आ चुका है. वहीं सीरिया में वो 6 लाख 22 हज़ार वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में अलग-अलग फ़ौजों से घिर कर पनाह मांग रहा है. अमेरिका की अगुवाई में मित्र देशों की फ़ौज के साथ मिल कर इराक़ी फ़ौज और कुर्दिश फाइटरों ने आईएसआईएस को बुरी तरह जकड़ लिया है. हालत ये है कि आतंकवादियों का पीछा करती फ़ौजें अब इराकी शहर मोसुल के एक बड़े इलाक़े में दाखिल हो चुकी हैं. उन्होंने यहां टीवी स्टेशन समेत कई सरकारी इमारतों पर वापस कब्ज़ा हासिल कर लिया है. इराक़ी प्रधानमंत्री हैदर-अल-अबादी ने ये साफ़ कर दिया है कि अब आईएसआईएस के आतंकवादियों के पास दो ही रास्ते हैं, या तो वो आत्मसमर्पण कर दें या फिर मरने के लिए तैयार रहें.

IS पर हावी हो चुकी है इराकी फौज
जानकारों की मानें तो फौजें बेशक अब आईएसआईएस पर हावी हो चुकी हों, लेकिन असली चुनौती अभी बाकी है, क्योंकि मोसुल के जिन रिहायशी इलाकों में अब आगे की लड़ाई लड़ी जानी है, वहां करीब पंद्रह लाख लोगों की आबादी है. ऐसे में शहरियों के रहते हुए आतंकवादियों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतारना ज़रा मुश्किल काम है. फ़ौज की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर आतंकवादियों ने भी अब शहरियों को ढाल बनाकर छुपना शुरू कर दिया है. जाते-जाते वो तेल के कुओँ में भी आग लगा रहे हैं, ताकि बर्बादी तो हो ही. धुएं का फ़ायदा उठाकर उन्हें निकल भागने में भी आसानी हो. गौरतलब है कि सीरिया की कहानी ज़रा दूसरी है. जिस सीरिया में कभी सरकार से खफ़ा लोगों ने आईएसआईएस का साथ दिया था, जब उसी आईएसआईएस और बग़दादी का असली चेहरा लोगों के सामने आया, तो लोग सहम गए थे.

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सीरियाई सरकार ने बगदादी के खिलाफ़ खोला मोर्चा
लेकिन अब तक शायद उनके पास कोई चारा नहीं था. अब रूस की मदद से सीरियाई सरकार ने बगदादी के खिलाफ़ मोर्चा खोला है, तो आम लोग भी हथियारों के साथ आतंकवादियों के खिलाफ़ मैदान ए जंग में उतर आए हैं. हालत ये है कि जिस रक्का और एलेप्पो जैसे शहरों में कल तक आईएसआईएस की मर्जी के बग़ैर पत्ता भी नहीं हिलता था, वहीं अब बगदादी का किला ताश के पत्तों की तरह हिलने लगा है. कुछ दिनों पहले ये ख़बर आई थी कि मोसुल में खुद को घिरता देख कर बग़दादी इराक़ से भाग कर सीरिया के रक्का में ही कहीं आ छुपा है. लेकिन अब रक्का में भी उस पर कसता शिकंजा इस बात का सुबूत है कि अब उसके दिन बस गिनती के ही रह गए हैं. सीरिया और इराक़ में अब बेशक आईएसआईएस के पांव उखड़ने लगे हों, लेकिन असली लड़ाई अभी बाकी है. ये लड़ाई है मोसुल की.

मोसुल को घोषित की थी राजधानी
दरअसल, इराक़ का मोसुल ही वो शहर है जिसे बग़दादी ने अपनी तथाकथित इस्लामी हुकूमत की राजधानी घोषित कर रखा था. लेकिन अब फ़ौज ने मोसुल को चारों ओर से घेर लिया है और अपनी मौत क़रीब देख कर ये आतंकवादी अब इस शहर के 15 लाख बेगुनाह शहरियों को अपनी ढाल बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इसका अंजाम क्या होगा, कोई नहीं जानता. मोसुल में आईएसआईएस और फ़ौज के बीच असली लड़ाई अब शुरू होने वाली है. वजह सीधी सी है. अब तक ये जंग इस शहर के आस-पास के इलाकों और खाली जगहों पर हो रही थी. लेकिन अब ये लड़ाई मोसुल के उस घनी रिहायशी इलाक़े में होने वाली है, जहां लाखों लोग रह रहे हैं. जानकारों की मानें तो बेगुनाह शहरियों को अपनी ढाल बना कर फौज से बचने की कोशिश करना आईएसआईएस के बुजदिल आतंकवादियों की पुरानी मॉडस ऑपरेंडी रही है.

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मोसुल में 15 लाख से ज्यादा लोग रह रहे हैं
शायद यही वजह है कि यूएन समेत मानवाधिकार के लिए काम करने वाले तमाम संगठनों ने आने वाले दिनों में एक भयानक शरणार्थी संकट की आहट महसूस करते हुए पूरी दुनिया को पहले ही तैयार रहने के लिए आगाह कर दिया है. क्योंकि इस वक्त मोसुल में 15 लाख से भी ज़्यादा लोग रह रहे हैं और वो इस जंग में नए सिरे से फंस सकते हैं. वैसे 15 लाख की आबादी वाला ये शहर दो सालों से बारूद की गंध और दहशत के बीच ही जी रहा है. बगदादी ने यहां अपने करीब 7 हजार आतंकियों की फौज तैयार कर रखी थी. लेकिन अब चुन-चुनकर सारे आतंकी मारे जा रहे हैं. हालांकि इराकी सरकार और कुर्दिश लड़ाकों ने अब तक इस जंग में मरने वालों का कोई सही-सही आंकड़ा जारी नहीं किया है. लेकिन मित्र देश जिस तरह से यहां आतंकवादियों पर हवाई हमले कर रहे हैं, उसे देख कर अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि आईएसआईएस का दि एंड अब बिल्कुल क़रीब आ चुका है.

IS के कब्जे से छुड़वाए कस्बे और गांव
वैसे तो फ़ौज ने बहुत से छोटे-मोटे कस्बों और गांवों को आईएसआईएस के कब्ज़े से आज़ाद करा लिया है लेकिन इन हालात में सबसे बुरी हालत इस इलाके में रहने वाली महिलाओं और बच्चों की हैं. हज़ारों बेगुनाह लोग इस असमंजस में हैं कि अब वो अपना घर छोड़ कर जाएँ या फिर आईएसआईएस के सफ़ाए के बाद इत्मीनान से नई ज़िंदगी की शुरुआत करें. जबकि मोसुल की सड़कों पर अब भी हज़ारों बेघर लोग अपने-अपने घरों को लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं. वो लोग बीमारी और भूख से बुरी तरह घिरे हैं और वक़्त बदलने का इंतज़ार कर रहे हैं.

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