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दुनिया का नक्‍शा बदलना चाहता है बगदादी

पिछले एक महीने से पूरी दुनिया उसे ढूंढ रही है. पिछले एक महीने से पूरे इराक में उसने कोहराम मचा रखा है. वो दुनिया के दर्जनभर मुल्कों पर कब्जा कर एक इस्लामिक देश बनाना चाहता है, जिसका खलीफा वो खुद बनना चाहता है. कहते हैं वो ओसामा से भी खतरनाक है.

aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 06 जुलाई 2014,
  • अपडेटेड 7:09 AM IST

पिछले एक महीने से पूरी दुनिया उसे ढूंढ रही है. पिछले एक महीने से पूरे इराक में उसने कोहराम मचा रखा है. वो दुनिया के दर्जनभर मुल्कों पर कब्जा कर एक इस्लामिक देश बनाना चाहता है, जिसका खलीफा वो खुद बनना चाहता है. कहते हैं वो ओसामा से भी खतरनाक है. अब तक पहेली बना दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी अबु बकर अल बगदादी शुक्रवार को अचानक सामने आ गया.

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पिछले एक महीने से पूरी दुनिया उसे ढूंढ रही है. पिछले एक महीने से पूरे इराक में उसने कोहराम मचा रखा है. वो दुनिया के दर्जनभर मुल्कों पर कब्जा कर एक इस्लामिक देश बनाना चाहता है, जिसका खलीफा वो खुद बनना चाहता है. कहते हैं वो ओसामा से भी खतरनाक है. मगर अब तक वो खुद कभी सामने नहीं आया. बस तक उसकी दो ही तस्वीरें दुनियाभर की खुफिया एजेंसियों के पास थीं. मगर हैरतअंगेज तौर पर दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी अबु बकर अल बगदादी शुक्रवार को अचानक इराक की एक मस्जिद में पहुंच गया.

बगदादी ने बगदाद की गद्दी को हिलाकर रख दिया है. उसने इराक में कत्ल-ए-आम मचा रखा है. उसके सिर पर 60 करोड़ का इनाम घोषित है. उसे दुनिया का सबसे बेरहम आतंकवादी कहा जाता है बगदादी पिछले महीने भर से इराक में चलने वाली हर गोली और गिरने वाली हर लाश का गुनहगार है.

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बगदाद के बाद इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल की नूरुद्दीन मस्जिद में जुमे की नमाज से ठीक पहले बगदादी अपने सुरक्षा दस्‍ते के साथ अचानक वहां आ पहुंचा. इसके बाद जुमे की नमाज से पहले उसने वहां नमाज पढ़ने आए लोगों को संबोधित किया. उसके संबोधन के दौरान मस्जिद के अंदर बहुत सारे नमाजी थे. करीब 20 मिनट के संबोधन के बाद बगदादी नीचे उतरा और फिर वहीं जुमे की नमाज अदा की. यानी वो इस मसजिद में इमाम की हैसियत से आया था.

ये पहला मौका है जब बगदादी सार्वजनिक रूप से सामने आया है. वो ना सिर्फ सामने आया बल्कि खुद अपना वीडियो भी शूट कराया. जाहिर है ये वीडियो उसकी मर्जी के बिना ना शूट हुआ है ना सामने आया है. जिस मोसुल शहर का ये वीडियो है, इराक का वो शहर भी बगदादी के कब्जे में है. इस, वीडियो में जुमे की नमाज के बाद बगदादी ने दुनियाभर के सुन्नी मुसलमानों से अपील की कि वो उसकी जंग में शामिल हों. उसने ऐलान किया कि जैसे ही उसका एक इस्लामिक देश बनाने का सपना पूरा होगा, वैसे ही दुनियाभर के मुसलमानों को उनकी इज्‍जत, मान-सम्मान, अधिकार सब मिल जाएगा.

वैसे कुछ दिन पहले अनबार में आईएसआईएस और इराकी फौज के बीच लड़ाई के बाद ये अटकलें लगाई जा रही थी कि इस लड़ाई में बगदादी बुरी तरह से जख्मी हो गया है. अंदेशा जताया जा रहा है कि बगदादी उन अटकलों को गलत साबित करना चाहता है और इसीलिए इस वीडियो के जरिए वो खुद दुनिया के सामने आया है.

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आईएसआईएस के सरगना अबू बकर अल बगदादी का मकसद सिर्फ इराक में खून-खराबा भर नहीं है. उसके इरादे इससे कहीं ज्यादा खतरनाक हैं. बगदाद तो बगदादी की शुरुआत भर है, दरअसल वो बगदाद के रास्ते सीरिया होते हुए लेवेंट मुल्कों यानी साइप्रस, इजरायल, जॉर्डन, लेबनान, फिलिस्तीन और टर्की को मिलाकर एक इस्लामिक अमीरात बनाना चाहता है और उसने बाकायदा इस नए देश का ऐलान भी कर दिया है.

16 मई 2010 को आईएसआईएस के मुखिया के तौर पर दुनिया के इस सबसे अमीर आतंकवादी संगठन की कमान संभालने वाला बगदादी पहले से अलकायदा के कमांडर ओसमा बिन लादेन का मुरीद रहा है. वो अल-कायदा के आका की मौत का बदला लेना चाहता है.

बगदादी का असल मकसद तीन चरणों में बंटा है.

पहला मकसद
बगदादी अपने खतरनाक मंसूबे में कामयाबी पाने के लिए पहले तो इराक और सीरिया पर कब्जा करना चाहता है. सच ये है कि वो अपने इस मकसद में काफी हद तक कामयाब भी हो चुका है. उसके लड़ाकों ने सीरिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर रखा है. इसके साथ ही इराक के कई शहरों पर भी आईएसआईएस के आतंकवादी कब्जा जमाए बैठे हैं.

दूसरा मकसद
बगदादी का दूसरा मकसद सिर्फ और सिर्फ इराक और सीरिया को जीतना नहीं है बल्कि वो तो तमाम लेवेंट मुल्कों यानी साइप्रस, इजरायल, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, फिलिस्तीन और टर्की को मिलाकर एक इस्लामिक अमीरात बनाना चाहता है.

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तीसरा मकसद
बगदादी का सपना इतना ही नहीं है. वो इन मुल्कों पर कब्जा करने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान को भी अपने कब्जे में करना चाहता है. बगदादी अपना साम्राज्य हिन्‍दुस्तान में गुजरात समेत उत्तर पश्चमी राज्यों तक फैलाना चाहता है और यही बगदादी का असल मकसद भी है. जानकारों की मानें तो बगदादी ‘द इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासान’ बनना चाहता है. अगर अबू बकर अल बगदादी अपने मकसद में कामयाब हो गया तो यकीनन दुनिया का नक्शा बदल जाएगा.

लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि भारत के काफी आतंकवादी आईएसआईएस में शामिल हो चुके हैं. कुछ महीने पहले सीरिया के राजदूत इस बात का खुलासा भी कर चुके हैं कि हिन्‍दुस्तान के जेहादी उनके देश मे बशर सरकार के खिलाफ जंग में शामिल हो चुके हैं. अगर ये बात सच है तो एक बात तो तय है कि आने वाले वक्त में आईएसआईएस भारत के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है.

लेकिन इराक पर कब्जा करने के इरादे से कत्ल-ए-आम मचा रहा बगदादी अपने टार्गेट में ना सिर्फ बहुत आगे निकल चुका है, बल्कि इराक के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए एक सिरदर्द साबित होने वाला है. क्योंकि वो कुछ दिन पहले ही एक अलग देश ‘द इस्लामिक स्टेट’ बनाने का ऐलान कर चुका है और उसके इस देश में सीरिया और इराक के वो इलाके और शहर शामिल हैं जिन पर वो और उसके आतंकवादी कब्जा जमा चुके हैं.

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ये अबु बकर अल बगदादी ही है, जिसकी अगुवाई में आईएसआईएस के आतंकवादियों ने ना सिर्फ़ इराक के दूसरे बड़े शहर मोसुल को अपने कब्जे में कर लिया, बल्कि मोसुल के सेंट्रल बैंक से 500 बिलियन इराकी दीनार यानी तकरीबन 25 सौ करोड़ रुपये लूट कर दुनिया की सबसे बड़ी बैंक लूट का इतिहास भी अपने नाम कर लिया है.

इराक में एक तरफ बगदादी का कहर है तो दूसरी तरफ बगदाद बेबस है. जून का पूरा महीना गुजर गया है, मगर ना तो बगदादी का कहर रुका और ना ही बगदाद उसके कहर को रोक पाया है. नतीजा ये हुआ कि अकेले इस एक महीने में इराक की सड़कों पर ढाई हजार से ज्यादा लोग मारे गए. मौत का ये आंकड़ा और भी डरावना हो सकता है. क्योंकि बकौल संयुक्त राष्ट्र इराक में सुन्नी बहुल बहुत से इलाके अब भी ऐसे हैं जहां तक पहुंचना मुश्किल है और खबर ये है कि इन इलाकों में आज भी सड़कों पर लाशें पड़ी हैं जिन्हें उठाने वाला कोई नहीं है. क्‍योंकि इराकी फौज या दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वहां तक पहुंच ही नहीं है.

द इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट के आतंकवादी जिन शहरों पर कब्जा कर रहे हैं वहां पर वो मौत का खूनी खेल रहे हैं. वो पकड़े गए इराकी सैनिकों का सरेआम शहर की सड़कों पर कत्ल कर रहे हैं. इराक में यूनाइटिड नेशनस के प्रतिनिधि निकोलय म्लादिनोव के मुताबिक अकेले जून में आईएसआईएस और इराकी सेना के बीच चल रही लड़ाई में 2417 लोग मारे जा चुके हैं. मरने वालों में 1531 आम नागरिक और 886 सैनिक हैं. इन आम नागरिकों मे कितने इराकी और कितने विदेशी हैं ये फिलहाल पता नहीं चल पा रहा है.

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भारतीय आतंकवादी भी बदगदादी की फौज में
सूत्रों की माने तो हिन्‍दुस्तान के कुछ आतंकवादी भी अबू-बकर-अल-बगदादी का साथ दे रहे हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भारतीय मूल के एक शख्स के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर निकाला हुआ है. इस शख्स का नाम हाजी फकरुद्दीन उस्मान अली बताया जा रहा है. उनके मुताबिक ये शख्स भारत में घुसने की फिराक में है और इसीलिए देश के हर एयरपोर्ट और बंदरगाह पर उसकी तलाश की जा रही है.

खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक ये शख्स तमिलनाडु का रहने वाला है और कुछ साल पहले वो बिज़नेस के सिलसिले में सिंगापुर चला गया था. वहां पर इसकी मुलाकात बगदादी के एक गुर्गे से हुई और उस्मान अली बगदादी के कहने पर सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध में आईएसआईएस की तरफ से जंग में शरीक हो गया. लेकिन वो भारत में किस मकसद से आ रहा है ये अब तक किसी को भी नहीं पता है. लेकिन खुफिया एजेंसियों को डर है कि उस्मान अली बगदादी के ही इशारे पर हिन्‍दुस्तान आ रहा है और उसका मकसद यहां आकर दहशत फैलाना है.

वैसे भारतीय खुफिया एजेंसियां इस बात का अनुमान नहीं लगा पाईं हैं कि इराक और सीरिया में कितने भारतीय अबू-बकर-अल-बगदादी की मदद कर रहे हैं या फिर उसकी तरफ से लड़ रहे हैं. लेकिन उनके मुताबिक भारत से बड़ी तादाद में कम उम्र के लड़के पश्चिम एशिया गए हैं और इनमें से कुछ लड़कों को आतंकवादियों ने मिलिट्री ट्रेनिंग भी दी है.

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जाहिर है अगर अबू-बकर-अल-बगदादी के बढ़ते कदमों को जल्दी नहीं रोका गया तो वो अल-कायदा के बाद पूरी दुनिया के लिए एक नया सिरदर्द बन जाएगा.

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