
एनआईए की जांच में तमिलनाड़ु से गिरफ्तार आईएसआईएस के आतंकी सुब्हानी हाजा मोईद्दीन का बड़ा खुलासा हुआ है. पूछताछ के दौरान सुब्हानी ने बताया कि मोसुल में ट्रेनिंग में शामिल 500 लड़ाकों को तीन ग्रुप में बांटा गया था. इन तीनों ग्रुप के किसी भी सदस्य ने आईएसआईएस सरगना अबू बक्र अल बगदादी को नहीं देखा था. लड़ाई के दौरान भी कभी बगदादी सामने नहीं आया. सुब्हानी के खुलासे से अब ये शक पैदा हो गया है कि बगदादी जिंदा है या नहीं.
ट्रेनिंग के दौरान पाकिस्तानी आतंकी से हुई थी दोस्ती
तीन ग्रुप में मोसुल की लड़ाई में हिस्सा ले रहे इन आईएसआईएस के लड़ाकों में सबसे ज्यादा संख्या तजाकी लड़ाकों की है. दूसरे नंबर पर अरब देशों से ताल्लुक रखने वाले युवा हैं. तीसरे ग्रुप के रूप में सबड़े बड़ी संख्या ईस्ट एशियन देशों के लड़़ाकों की है. आतंकी ट्रेनिंग के दौरान सुब्हानी की पाकिस्तान के रहने वाले अबू उस्मान से दोस्ती हो गई थी. फिलहाल अबू उस्मान फ्रांस में हुए सबसे बड़े हमले की जांच में फ्रांस की जांच एजेंसी के कब्जे में है.
ग्रुप लीडर से मिलने आता था फ्रांस हमले में शामिल आतंकी
सुब्हानी के ग्रुप का नाम उमर इब्नू खताब खतीबा था. आईएसआईएस अपने आतंकियों को अलग-अलग नाम भी देते हैं. सुब्हानी को आईएसआईएस ने अबू जस्मीन नाम दिया था, जबकि अबू सुलेमान अल फ्रांसीसी उसका ग्रुप लीडर था. फांस हमले में शामिल आंतकी उमर इस्माइल मुस्तफी अक्सर सुलेमान से मिलने आता था. मुस्तफी फ्रांस के थियेटर में हुए आतंकी हमले में शामिल था. इसमें 80 लोगों की जान चली गई थी.
मिलती थी 100 डॉलर की पगार
सुब्हानी के मुताबिक, मोसुल के जिस घर में उसको रखा गया था, उस घर में एक बड़ा स्विमिंग पूल, जिम्नेजियम और पार्क था. उसे ट्रेनिंग के बाद 200 डॉलर महीने की पगार पर नियुक्त किया गया था. हालांकि, बाद में इसको आधा कर 100 डॉलर कर दिया गया था. सुब्हानी और उसका ग्रुप एक निश्चित दायरे में घूम सकता था और नियत समय पर मार्केट भी जाता था.
इंटरनेट के जरिए आईएसआईएस से किया था संपर्क
सुबाहानी के ग्रुप के साथ जिस दूसरे ग्रुप को तैनात किया था, उसका नाम गुर्बा खतीबा था. इस ग्रुप में सिर्फ यूरोपियन को ही शामिल किया गया था. तीसरे ग्रुप इब्नू जियाद खतीबा में इंग्लिश और अरेबिर जानने वाले लड़ाकों को शामिल किया गया था. सुब्हानी ने सीरिया पहुंचने से पहले इंटरनेट के जरिए आईएसआईएस से संपर्क किया था.