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पढ़ें: भारत के लिए क्यों जरूरी है इजरायल, क्या है उसकी डिफेंस नीति और ताकत?

इजरायल अपने रक्षा बजट पर काफी ध्यान देता है. 2016 में इजरायल ने 17.8 बिलियन डॉलर रुपये अपने रक्षा बजट में खर्च किए थे, जो कि उसकी जीडीपी की 5.8 फीसदी है. वहीं भारत ने 2016 में 55.9 बिलियन डॉलर अपने रक्षा बजट पर खर्च किए थे, जो कि जीडीपी का मात्र 2.5 फीसदी है.

क्यों जरूरी है इजरायल, क्या है इसकी ताकत.. क्यों जरूरी है इजरायल, क्या है इसकी ताकत..
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 7:50 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को इजरायल पहुंचेंगे, जो एक ऐतिहासिक यात्रा बताई जा रही है. इजरायल दुनियाभर में अपने हथियारों और रक्षा नीति के लिए मशहूर है. अमेरिका और जर्मनी जैसे देश भी इजरायल से हथियार खरीदते हैं. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल के साथ संबंध मजबूत करना चाहते हैं.

आखिर, भारत के लिए इजरायल इतना क्यों जरुरी है. आखिर इजरायल के पास ऐसा क्या है कि हम उससे अपने रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं. आइए, समझते हैं..

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इजरायल की सेना जिसे इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) के रूप में जाना जाता है, इजरायल छोटा देश होने के बावजूद अपनी सेना को लेकर बेहद सतर्क रहता है. इजरायल के ऊपर किसी देश का हमला करना आसान नहीं है क्योंकि यह चारों तरफ से एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस है. इजरायल को अपने हथियार बनाने में अमेरिका और जर्मनी से काफी मदद मिलती है, लेकिन दोनों देशों इजरायल से कई तरह के हथियार भी खरीदते हैं.

क्या कहता है रक्षा बजट?

इजरायल अपने रक्षा बजट पर काफी ध्यान देता है. 2016 में इजरायल ने 17.8 बिलियन डॉलर रुपये अपने रक्षा बजट में खर्च किए थे, जो कि उसकी जीडीपी की 5.8 फीसदी है. वहीं भारत ने 2016 में 55.9 बिलियन डॉलर अपने रक्षा बजट पर खर्च किए थे, जो कि जीडीपी का मात्र 2.5 फीसदी है.

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क्या है इजरायल की ताकत..?

DELILAH CRUISE MISSILE

यह एक मध्यम श्रेणी, आईडीएफ का सबसोनिक क्रूज मिसाइल है जो एक मिनी टॉमहॉक मिसाइल की तरह है. 250 किलोमीटर की सीमा के अंदर का सबसे हल्का और कॉम्पैक्ट मिसाइल है, इसे एफ -15/16 और यूएच -60 हेलीकॉप्टर से भी लांन्च किया जा सकता है. यह माक 0.3-0.7 की गति से यात्रा करता है इसकी 30 किलोग्राम युद्धपोत एसएएम साइटों और चलती वाहनों जैसे छोटे लक्ष्यों के खिलाफ इसका उपयोग सीमित करती है. हल्के प्रकृति, लंबी दूरी की सटीकता और सटीकता को देखते हुए यह एक बहुत ही खतरनाक हथियार बनाते हैं.

TAVOR/ MICRO-TAVOR ASSAULT RIFLE

यह काफी अपडेटड मिसाइल है, जिसे इजरायल मिलिट्री इंडस्ट्रीज के द्वारा बनाया जाता है. ये हल्की है, विश्वसनीय, टिकाई और M4A1 कार्बाइन की तुलना में ज्यादा सटीक निशाना साधती है. इसमें कैलिबर 5.56 × 45 कैलिबर नाटो गोलियों जोकि 30 राउंड मैगजीन में इस्तेमाल किया जाता है इस्तेमाल किया जाता है. इस राइफल के कई रूप हैं और प्रमुख है.

ARROW 3 ABM

इजराइल द्वारा कई बैलिस्टिक मिसाइलों को बनाया गया है, लेकिन सबसे कम और शायद सबसे शक्तिशाली एरो 3 एंटी बैलिस्टिक मिसाइल (एबीएम) प्रणाली है. इस मिसाइल को अमेरिकी एमआईएम -104 पैट्रियट एबीएम सिस्टम की तुलना में अधिक प्रभावी बनाने के लिए विकसित किया गया था. एरो इजरायल के अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों की सीमा से बचाता है. यह लक्ष्य सूचना प्रदान करने के लिए 'ग्रीन पाइन' रडार के साथ एकीकृत है. ग्रीन पाइन के पास लगभग 400 किमी की खोज और ट्रैक सीमा है जो आसानी से पूरे इजराइल को कवर कर सकते हैं. 

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IRON DOME

इजरायल मिलिट्री इंडस्ट्रीज का सबसे प्रसिद्ध हथियार आयरन डोम इंटरसेप्टर सिस्टम है. यह एक सी-रैम (काउंटर-रॉकेट आर्टिलरी मोर्टार) मिसाइल प्रणाली है जो ताइर इंटरसेप्टर मिसाइल का उपयोग अपने लक्ष्य को साधने के लिए करता है. यह मिसाइल इस्राइल को छोटे खतरों (रॉकेट, आर्टिलरी गोले, मोर्टार) से बचाने के लिए जरूरी है. इजरायल आयरन डोम प्रणाली द्वारा 87 फीसदी सफलता का दावा करता है. इस प्रणाली को किसी भी प्रकार के हवाई रॉकेट और तोपों के हमले के खिलाफ 100 फीसदी कवरेज प्रदान करने के लिए 2018 तक 'आयरन बीम' लेजर सिस्टम और 'डेविड स्लिंग' मिसाइल सिस्टम से लैस किया जाएगा.

MERKAVA 3/4 MBT

1980 के दशक की शुरुआत में मर्केवा टैंक को इजरायल की सैन्य आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन किया गया था. यह डिजाइन पिछले कुछ वर्षों में काफी विकसित हुआ है और मर्केवा 3 और 4 इसका सबसे अच्छा रूप है. सबसे नया मर्केवा 4 है, जिसमें अपने पूर्ववर्तियों पर कई सुधार शामिल हैं. एमके 4 में 120 एमएम की एक SMOOTH GUN भी शामिल है. इसकी खास खूबी है कि यह एंटी टैंक मिसाइल 'लाहत' से लैस है जो इसे दुश्मन के टैंकों को दूरी से नष्ट करने की खूबी देता है.

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