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इसरो के रॉकेट का उपग्रहों के साथ प्रक्षेपण, पीएम ने दी वैज्ञानिकों को बधाई

अंतरिक्ष केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक रॉकेट के साथ भेजे गए उपग्रहों में सर्वाधिक वजनी पृथ्वी की निगरानी करने वाला 'टेलीयॉस' उपग्रह 400 किलोग्राम का है. इसी वजह से इसरो ने इस मिशन का नाम टेलीयॉस मिशन रख दिया है. अन्य पांच उपग्रहों में वेलीयॉक्स-सी 1, वेलीयॉक्स2, केंट रिज-1, गैलेसिया और एथेनोसैट-1 शामिल हैं.

सिंगापुर के छह उपग्रहों के साथ पीएसएलवी रॉकेट का प्रक्षेपण सिंगापुर के छह उपग्रहों के साथ पीएसएलवी रॉकेट का प्रक्षेपण
संदीप कुमार सिंह
  • चेन्नई,
  • 16 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 10:25 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार शाम छह बजे सिंगापुर के छह उपग्रहों के साथ पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) रॉकेट का प्रक्षेपण किया. रॉकेट का प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से किया गया.

अंतरिक्ष केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक रॉकेट के साथ भेजे गए उपग्रहों में सर्वाधिक वजनी पृथ्वी की निगरानी करने वाला 'टेलीयॉस' उपग्रह 400 किलोग्राम का है. इसी वजह से इसरो ने इस मिशन का नाम टेलीयॉस मिशन रख दिया है. अन्य पांच उपग्रहों में वेलीयॉक्स-सी 1, वेलीयॉक्स2, केंट रिज-1, गैलेसिया और एथेनोसैट-1 शामिल हैं.

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पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है.


 

'मल्टिपल बर्न फ्यूल इंजन' का सफल परीक्षण
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) को अंतरिक्ष में पुन: चालू करने का परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया. यह परीक्षण उस समय सफल हुआ, जब इसका इंजन सिंगापुर के छह उपग्रहों को छोड़ने के मिशन के दौरान रॉकेट से अलग हो गया.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार ने कहा, 'इंजन को फिर से चालू करने का परीक्षण सफल रहा. इंजन को लगभग पांच सेकंड तक चालू रखा गया. हम इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल अगले वर्ष कभी करेंगे.'

किरण कुमार के अनुसार, पीएसएलवी रॉकेट के जरिए छोड़े जाने वाले अगले तीन उपग्रह, नौवहन उपग्रह होंगे. उन्होंने कहा कि उसके बाद कुछ बहु उपग्रह प्रक्षेपण होंगे और उसमें इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा. तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक एस. सोमनाथ ने कहा, 'इंजन को फिर से चालू करने की प्रक्रिया सुगमता के साथ सम्पन्न हुई. परीक्षण सफल रहा.'

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सोमनाथ के अनुसार, 'मल्टिपल बर्न फ्यूल इंजन' का इस्तेमाल पीएसएलवी-सी35 रॉकेट में इस्तेमाल किया जाएगा, जो दो उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा. उन्होंने कहा कि एक उपग्रह एक थोड़ी ऊंची कक्षा में छोड़ा जाएगा और दूसरा उपग्रह थोड़ी निचली कक्षा में छोड़ा जाएगा. तकनीकी रूप से कहा जाए तो भारत ने पहली बार किसी 'मल्टिपल बर्न फ्यूल इंजन' का परीक्षण किया है.

पुन: चालू करते समय चौथा इंजन 523.9 किलोमीटर की ऊंचाई पर था, जबकि उपग्रह 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट से अलग हुआ. इंजन के पुन: अलग होने से पहले 524 किलोमीटर की ऊंचाई पर इंजन को कुछ सेकेंड के लिए चालू किया गया.

चंद्रयान-2 2017 में चंद्रमा पर उतारेगा
परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष संबंधी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में घोषणा की कि भारत का चंद्र अभियान चन्द्रयान-2 2017 में चन्द्रमा की धरती पर उतरेगा. अन्य कार्यो के अलावा यह यान दूसरी दुनिया में मौजूद जीवन की संभावनाओं की खोज करेगा. इसी तरह भारत के महत्वपूर्ण सोलर मिशन आदित्य-एल1 को 2019 को प्रक्षेपित किया जाएगा.

पिछले एक साल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की शानदार कामयाबी की तारीफ करते हुए डॉ. सिंह ने सिंगापुर के गणतंत्र की आजादी की स्वर्ण जयंती के मौके पर श्रीहरिकोटा से सिंगापुर के 6 उपग्रहों की कामयाब प्रक्षेपण उड़ान के बारे में जानकारी दी.

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उन्होंने आगे कहा कि यह प्रक्षेपण वाणिज्यिक आधार पर सहमति के बाद किया गया और सिंगापुर सरकार ने इस कार्य के लिए 2.6 करोड़ यूरो का भुगतान किया.

इनपुट...IANS.

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