
देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी INFOSYS ने चौथी तिमाही नतीजों में गुरुवार बताया कि कंपनी को 31 मार्च 2017 को खत्म हुई तिमाही में कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट 3,603 करोड़ रुपये का हुआ है. बीती तिमाही के मुकाबले कंपनी को 2.83 फीसदी कम मुनाफा दर्ज हुआ है. पिछली तिमाही में कंपनी को 3,708 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.
हालांकि 2017 वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में डॉलर आय पिछली तिमाही से 0.7 फीसदी अधिक रही है. चौथी तिमाही में कंपनी को कुल 257 करोड़ डॉलर की आय रही. जबकि 31 दिसंबर को खत्म हुई तीसरी तिमाही में कंपनी की डॉलर आय 255 करोड़ डॉलर रही.
चौथी तिमाही के दौरान इंफोसिस की आय में भी 0.9 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. जहां तीसरी तिमाही में कंपनी की आय 17,273 करोड़ रुपये थी वहीं वित्त वर्ष 2017 की आखिरी तिमाही में कंपनी की आय घटकर 17,120 करोड़ रुपये हो गई.
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कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने चौथी तिमाही के नतीजे घोषित करने के साथ ही 14.75 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड का भी ऐलान किया है. बोर्ड ने शेयरधारकों को वित्त वर्ष 2018 में 13,000 करोड़ रुपये बतौर डिविडेंड अथवा शेयर बायबैक देने की बात कही है. हालांकि कंपनी ने अलगे वित्त वर्ष 2018 के लिए उम्मीद से कम गाइडेंस दिया है.
गौरतलब है कि इंफोसिस के ये नतीजे देश के आईटी सेक्टर के लिए बेहद अहम हैं. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद से एच1बी वीजा पर उठे विवाद से देश की आईटी कंपनियों को दबाव महसूस हो रहा है. वहीं इंफोसिस में बीते वित्त वर्ष के दौरान अंदरूनी कलह और सीईओ विशाल सिक्का और इंफोसिस फाउंडर नारायणमूर्ति के बीच विवाद से भी चौथे तिमाही में कम मुनाफा की उम्मीद थी.
उल्लेखनीय है कि कंपनी के संस्थापक मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वेतन वृद्धि, पुराने कर्मचारियों को ज्यादा पैकेज देने और कंपनी के परिचालन मानकों इत्यादि के बारे में सार्वजनिक तौर पर चिंता जता चुके हैं. इंफोसिस के चेयरमैन आर. सेशासयी ने एक बयान में कहा, कंपनी की रणनीति को लागू करने में रवि प्रबंधन के साथ निदेशक मंडल की संबद्धता बढ़ाने में मदद करेंगे. गौरतलब है कि वेंकटेसन अप्रैल 2011 से ही कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्य हैं.