Advertisement

''अब यह सचमुच 'एक राष्ट्र, एक बाजार' होगा''

केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा के साथ सरकार की ओर से पारित तीन प्रमुख अध्यादेशों—किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश तथा अनिवार्य वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन—के महत्व पर बात की. प्रमुख अंश:

टि्वटर@डीआररॉनमल्का टि्वटर@डीआररॉनमल्का
राज चेंगप्पा
  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:54 PM IST

केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा के साथ सरकार की ओर से पारित तीन प्रमुख अध्यादेशों—किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश तथा अनिवार्य वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन—के महत्व पर बात की. प्रमुख अंश:

व्यापार और वाणिज्य के नियमों में संशोधन करने वाला अध्यादेश किसानों के लिए कैसे मददगार होगा?

Advertisement

आजादी के बाद जो परितंत्र विकसित किया गया, वह इस तरह तैयार किया गया था कि खाद्य सुरक्षा पक्की करने के लिए पर्याप्त और ज्यादा अनाज उत्पादित किया जा सके. उस अभियान ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया. हम भारत के किसानों के बहुत ज्यादा ऋणी हैं, जिन्होंने दिखा दिया कि वे योग्य, जानकार और सक्षम हैं. लेकिन जहां उनके पास यह विकल्प तो था कि वे जो भी चाहें उगाएं, वहीं उपज की बिक्री नियम-कायदों से बंधी थी—किसानों को अपनी उपज उन्हीं व्यापारियों को बेचनी होती थी, जिन्हें कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी) और दूसरी राज्य संस्थाओं का लाइसेंस प्राप्त था. वक्त के साथ वह परितंत्र खासकर छोटे किसानों के लिए नुक्सानदेह साबित हुआ और इसमें सुधार की जरूरत थी. यह अध्यादेश किसानों को उनकी उपज देश में किसी भी व्यक्ति या संस्था (एपीएमसी सहित) को बेचने की इजाजत देता है.

Advertisement

अब यह सचमुच एक राष्ट्र, एक बाजार होगा—किसान अपनी उपज खेत के दरवाजे पर या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकते हैं. नतीजतन किसानों की आमदनी बढ़ेगी, क्योंकि वे उन्हें मिलने वाली सबसे अच्छी कीमत ले सकेंगे. इससे बर्बादी और मंडियों तक ढुलाई पर होने वाले खर्चों में कटौती होगी, दक्षता और पैदावार की गुणवत्ता बढ़ेगी और साथ ही इससे पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा.

कुछ राज्यों और खासकर पंजाब को लगता है कि यह अध्यादेश संघीय ढांचे का उल्लंघन करता है क्योंकि कृषि राज्य का विषय है.

केंद्र सरकार अपनी कानूनन स्वीकृत सीमाओं से बाहर कदम नहीं रखेगी. समवर्ती सूची के खंड 33 में राज्यों के बीच और एक राज्य के भीतर दोनों व्यापार तथा वाणिज्य समाहित हैं, जिसमें कपास, जूट और दूसरी चीजों के अलावा खाने की चीजों का उत्पादन, आपूर्ति और वितरण भी आता है—तो यह अध्यादेश केंद्र के दायरे के भीतर ही है.

ठेके पर खेती को समर्थ बनाने वाले अध्यादेश का क्या असर होगा?

(व्यावसायिक) खेती के समझौते (आज के) वक्त की जरूरत हैं, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए, जो ऊंचे मूल्य की फसलें उगाना चाहते हैं, लेकिन पैदावार का जोखिम उठाते और घाटा सहते हैं. इस अध्यादेश की बदौलत किसान अपना यह जोखिम कॉर्पोरेट खरीदारों को सौंपकर फायदा हासिल कर सकेंगे. उद्योग के भागीदार किसानों को थोक दामों पर बीज, टेक्नोलॉजी इनपुट और कीटनाशक मुहैया करवा सकेंगे—इसके नतीजतन किसानों को ज्यादा पैदावार, ज्यादा ऊंचे दाम, और इसलिए ज्यादा आमदनी मिल सकेगी.

Advertisement

सरकार देश भर में 10,000 किसान-उत्पादक संगठनों की स्थापना भी कर रही है, जो किसान क्रेडिट कार्ड योजना के साथ मिलकर मार्केटिंग और लॉजिस्टिक सहायता मुहैया करेंगे. केंद्र फसल कटाई के बाद की साज-संभाल के लिए, जिसमें वेयरहाउसिंग, स्टोरेज और पैकेजिंग इकाइयां भी शामिल हैं, 1 लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सुविधा का निर्माण भी कर रहा है. हम कोऑपरेटिव सोसाइटी और ग्राम स्तर पर प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना पर भी विचार कर रहे हैं. हमने तेज गति से सुलह और समाधान के लिए विवाद निवारण तंत्र की स्थापना भी की है, जो ऐसे उल्लंघनों के लिए उद्योगों और व्यापारियों पर भारी जुर्माने आयद करके यह पक्का करता है कि किसानों का शोषण न हो.

अनिवार्य वस्तु कानून में संशोधन से क्या फर्फ पड़ेगा?

यह अनाजों, दलहनों, खाद्य तेल, आलू और प्याज को अनिवार्य वस्तुओं की फेहरिस्त से हटाकर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मुक्त कर देगा. यह निजी उद्यमियों को विश्वास प्रदान करता है और उन्हें इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है, इस तरह किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य पाने में समर्थ बनाता है. इन सभी अध्यादेशों की बदौलत सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य पूरा कर सकेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement