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इंडो बॉर्डर तिब्बत पुलिस (ITBP) के जवानों को अपने इस मददगार साथी पर नाज है. ये मददगार है ‘बघेरा’. डॉबरमैन नस्ल के ऐसे कुत्ते नक्सलियों के खिलाफ मिशन में ना बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं बल्कि जवानों को हमले से बचाने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इन्हें PEDD (पेट्रोल एक्सप्लोसिव डिटेक्टशन डॉग) भी कहा जाता है.
‘बघेरा’ की देखभाल हवलदार पी संभा शिवा राव के जिम्मे है. राव ने इंडिया टुडे को बताया कि बघेरा ने किस तरह 29 जुलाई को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में मानपुर-बसेली रोड पर नक्सलियों की ओर से जमीन के नीचे दबाए गए 20 किलो IED विस्फोटक को ढूंढ निकाला. बघेरा ने विस्फोटक ढूंढ कर ना सिर्फ जवानों की जान बचाई बल्कि धमाके के बाद होने वाले संभावित बड़े नक्सली हमले को भी टाला. अतीत में नक्सलियों की ओर से जवानों पर घात लगाकर हमले के लिए ऐसे ही तरीके अपनाए जाते रहे हैं.
जो IED बरामद हुआ उससे बाइक में इस्तेमाल किए जाने वाला स्पार्क प्लग जुड़ा मिला. ऐसा नक्सलियों की ओर से पहली बार किया गया है. स्पार्क प्लग IED का इसतेमाल पहले ISI की ओर से प्रशिक्षित तालिबान की ओर से किया जाता रहा है.
नक्सलियों ने अपनी ओर से ITBP जवानों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने का इंतजाम किया था. IED को वैक्यूम पैक की पांच सतहों में लपेटने के बाद पॉली कवर चढ़ाया गया था जिससे विस्फोटक की गंध का K9 स्क्वॉड पता ना लगा सके. लेकिन बघेरा जैसे ही विस्फोटक वाले स्पॉट पर पहुंचा, उसने अपने हैंडलर को संकेत देने में 5 सेकेंड भी नहीं लगाए.
ITBP की 27वीं बटालियन के कमांडेंट विशाल आनंद की ओर से असिस्टेंट कमांडेंट सूबे सिंह की कमान में K9 स्क्वॉड की 29 जुलाई को क्षेत्र में 14 किलोमीटर लंबी अहम सड़क को सेनेटाइज करने की ड्यूटी लगाई गई थी. उमस वाली गर्मी के बावजूद बघेरा ने अपने काम को बाखूबी अंजाम दिया.
ITBP पहला सुरक्षाबल है जिसने डॉबरमैन कुत्तों की सेवाएं दोबारा लेना शुरू किया है. ITBP ने 2016 में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जिन 20 खालिस डॉबरमैन कुत्तों को अपने साथ जोड़ा उनमें बघेरा भी शामिल है.