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12वीं पास इस शख्स ने बनाया ईको-फ्रेंडली स्टोव, जानें खासियत

इस शख्स ने बना दिया ईको-फ्रेंडली स्टोव, महिलाओं को मिलेगी मदद. 

जयप्रकाश (फोटो साभार: फेसबुक) जयप्रकाश (फोटो साभार: फेसबुक)
प्रियंका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:55 PM IST

आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ईको-फ्रेंडली स्टोव के आविष्कार से सभी को चौंका दिया. 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई कर चुके जयप्रकाश को आर्थिक स्थिति की वजह से पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी. लेकिन वह हमेशा से जीवन में कुछ अलग करना चाहते थे. जिसके बाद उन्होेंने  ईको-फ्रेंडली स्टोव का आविष्कार किया.

महिलाओं का संघर्ष देख मिली प्रेरणा

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जयप्रकाश केरल के रहने वाले हैं. एक वेबसाइट के मुताबिक उन्होंने बताया कि जब वह छोटे थे तब उनकी मां कोयंबटूर से स्टोव खरीदकर लाती थीं और बेचती थीं. इस काम में जयप्रकाश मां का हाथ बंटाया करते थे. लेकिन वह जानते हैं थे चुल्हे से निकलने वाला धुंआ सबसे ज्यादा खतरनाक होता है. उन्हें अक्सर अपनी मां की चिंता सताती थी.

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जिसके बाद उन्होंने चुल्हे में एक छोटा सा पाइप स्टोव के पीछे लगाने के बारे में सोचा, जो एक चिमनी की तरह काम करें. इस तरह से उन्हें शुरुआती सफलता मिली. जिसके बाद उन्होंने अपने इस आइडिया पर और ज्यादा काम करना शुरू कर दिया.

ऐसे तैयार हुआ पहला कम्युनिटी स्टोव

जयप्रकाश की किस्मत उस वक्त खुली जब उन्हें एजेंसी फॉर नॉन-कन्वेन्शनल एनर्जी ऐंड रूरल टेक्नॉलजी (एएनईआरटी) के साथ जुड़ने का मौका मिला. एजेंसी सोलर एनर्जी पर 10 दिनों का ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करा रही थी. जिसमें जयप्रकाश को काफी कुछ सीखने को मिला. बता दें, जयप्रकाश को एक अस्पताल ने 20 हजार रुपए दिए गए. जिसमें अस्पताल की गंदगी को जलाने के लिए एक स्टोव तैयार किया. बता दें, वह अभी तक 8 हजार स्टोव बेच चुके हैं और उनका बनाया हुआ स्टोव लगातार लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है.

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जानें स्टोव की खासियत

जयप्रकाश का स्टोव स्टेनलेस स्टील और कास्ट आयरन से बने है. उनके इस स्टोव मॉडल में, जलने की प्रक्रिया दो चरणों में है (बर्निंग का टू-टियर सिस्टम). जिसका मतलब है कम से कम धुंआ पैदा होना. उन्होंने ने बताया कि किस तरह कई के बाद वह अपने फाइनल मॉडल तक पहुंचे. जिसमें सेरेमिक पाइप में छेद किए गए ताकि पर्याप्त ऑक्सीजन उपल्बध हो और दूसरे चरण में कार्बन पार्टिकल्स पूरी तरह से जल सकें. आपको बता दें, कि जलने की प्रक्रिया में ऑक्सीजन गैस सहायक होती है. ऐसा करने से कम धुआं पैदा होता है.

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सुरक्षित है ईको-फ्रेंडली स्टोव

जयप्रकाश ने बताया उनका ईको-फ्रेंडली स्टोव बच्चों और महिलाओं के लिए भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं. इसे इस्तेमाल करने से उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. बता दें, साल 1998 में केरल के ऊर्जा प्रबंधन केंद्र की ओर से ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार मिला. साल 2012 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की ओर से नेशनल इनोवेशन अवॉर्ड से नवाजा गया था.

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