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राजस्थानः जमीन की लड़ाई में जान देने को मजबूर किसान

राजस्थान सरकार का जयपुर विकास प्राधिकरण भी मंदी की चपेट में है. प्रोपर्टी का बाजार बंद हुआ तो विकास का काम ठप हो गया. इसके लिए धन चाहिए तो किसानों की जमीन लेकर प्लॉट काटकर बेचने की योजना बनाई गई. लेकिन जेडीए के इस कदम के खिलाफ नींदड़ के किसान पूरी ताकत के साथ डट गए हैं.

जेडीए ने किसानों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस थमा रखे हैं. जेडीए ने किसानों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस थमा रखे हैं.
खुशदीप सहगल/शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 06 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:15 PM IST

‘जान दे देंगे, अपनी जमीन नहीं जाने देंगे’... ये कहना है जयपुर के नींदड़ गांव के किसानों का. क्या बुजुर्ग, क्या जवान और क्या महिलाएं, बीते 4 दिनों से इस गांव के किसान जमीन समाधि लिए बैठे हैं. जमीन समाधि के लिए इनका पूरा शरीर गड्ढों के अंदर है, बस सिर ही सिर बाहर है. किसानों ने जमीन बचाने के लिए अपनी तरह का ये अनूठा आंदोलन गांधी जयंती (2 अक्टूबर) से शुरू किया.  

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दरअसल, जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने इस गांव के किसानों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस थमा रखे हैं. सरकार का कहना है कि करीब 1350 बीघा जमीन 2010 में ही कालोनी बनाने के लिए अधिगृहित की जा चुकी है. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार उनकी जमीन को ऊंचे दामों पर बेचकर कॉलोनी बसाना चाहती है.

सरकार ने जमीन का मुआवजा नहीं लेने वाले किसानों का मुआवजा कोर्ट में जमाकर बेदखली की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार का कहना है कि किसान कोर्ट मे जमा मुआवजा ले लें और जमीन खाली कर दें. मुआवजे की बात पर किसान कहते हैं कि हर किसान की थोड़ी-थोड़ी जमीन उनके खुद के रहने के लिए है, उसे कैसे सरकार उनसे ले सकती है. किसानों के मुताबिक जमीन देने से अच्छा है कि वो खुद ही जमीन में रह कर अपनी जान दे दें.  

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किसानों के इस आंदोलन को देखते हुए सरकार बैकफुट पर है. सरकार की ओर से किसानों से कहा जा रहा है कि वो बातचीत के लिए आगे आएं. वहीं किसानों का कहना है कि बातचीत का सवाल ही नहीं है. सरकार यदि किसानों का वाकई हित चाहती है तो उनकी जमीन नहीं लेने का ऐलान करें. ऐसा नहीं होता तो किसान गड्ढों में ही गढ़े रह कर अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी जमीन नहीं जाने देंगे.

बता दें कि राजस्थान सरकार का जयपुर विकास प्राधिकरण भी मंदी की चपेट में है. प्रोपर्टी का बाजार बंद हुआ तो विकास का काम ठप हो गया. इसके लिए धन चाहिए तो किसानों की जमीन लेकर प्लॉट काटकर बेचने की योजना बनाई गई. लेकिन जेडीए के इस कदम के खिलाफ नींदड़ के किसान पूरी ताकत के साथ डट गए हैं.

नींदड़ के जीवत राम. करीब 78 साल के हो गए हैं लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर अपनी जमीन बचाने के लिए गड्ढे में बैठे हैं. उनके दो पड़पोते हैं, और नौ पोते हैं, एक बेटा विकलांग है. जीवत राम का कहना है कि इसी जमीन में वो पले बढ़े, इससे अलग होने की वो सोच भी नहीं सकते. इसी पर मर जाएंगे लेकिन इसे अलग नहीं होने देंगे. इसी तरह 80 साल की धापु की आंखों में जमीन की बात करते-करते आंसू आ जाते हैं.

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गौरतलब है कि सरकार ने 2010 में ही किसानों की जमीन पर कॉलोनी बनाने की योजना बनाई थी लेकिन अब जाकर किसानों को जमीन सरेंडर करने के लिए नोटिस थमाए हैं. इसी के विरोध में जयपुर सीकर हाईवे से सटी जमीन पर किसान ये विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों में इतना गुस्सा है कि कॉलोनी की योजना के तहत जो सड़क बनाई, उसे भी उखाड़ फेंका. इस पर सरकार ने मुकदमा करने की धमकी भी दी है.

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