
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर ने पाकिस्तान को आगाह किया है कि वह अमेरिका के आगे न झुके और उसकी मांगों पर अमल न करे. जबकि अमेरिका चाहता है कि पाक अपने यहां से सभी आतंकी संगठनों का खत्मा करे.
एक ऑडियो में अजहर ने कहा कि पाकिस्तानी मीडिया और बौद्धिक वर्ग से जुड़े लोग ट्रंप की मांग को पूरा करने की सलाह देकर अपने देश के लोगों के अंदर डर पैदा कर रहे हैं. अजहर का बयान उस समय आया जब अमेरिका ने पाकिस्तान को 'धोखेबाज और धूर्त' कहते हुए सैन्य मदद पर रोक लगा दिया कि वह अपने यहां आतंकी संगठनों को पनाह दे रहा है. इस बयान के बाद पाकिस्तान को मिलने वाले 1.3 अरब डॉलर की मदद को अमेरिका ने रोक दिया है.
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'जो तालिबान को नहीं हरा सका वो क्या कर लेगा'
आर्थिक मदद रोके जाने के बाद पाकिस्तान में यह बहस चल रही है कि हक्कानी नेटवर्क पर रोक लगाया जाना चाहिए या नहीं. ऐसे नेटवर्क पाकिस्तान में आतंकी हमले के बजाए जनकल्याण कार्यक्रम का आयोजन करते रहते हैं, लेकिन यही भारत, अफगानिस्तान समेत अन्य मुल्कों में आतंकी वारदात को अंजाम देते हैं.
मसूद कहता है कि पाकिस्तान ट्रंप के ट्वीट के बाद डर गया है, जबकि उसे पता है कि उसके पास एक बड़ी फौज है और खुद एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है. पाकिस्तान को अमेरिका से समझौता नहीं करनी चाहिए. उसे नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका अकेला नहीं है, उसके साथ भारत भी है.
अजहर ने कहा, "अगर पाकिस्तान खुद को बचाना चाहता है तो उसे अमेरिका से मुक्त होना होगा. जो अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबान को नहीं हरा पाया वो क्या पाकिस्तान को कुछ नुकसान पहुंचा पाएगा."
अजहर ऑडियो में यह कहते सुना जा रहा है कि 16 साल पहले पाकिस्तानी हुक्मरानों ने अमेरिकी ताकतों को अफगानिस्तान पर हमला करने के लिए जमीन मुहैया कराई. उसने कहा, "उन्होंने जमीनी और हवाई सुविधा दी. हर तरह की व्यवहारिक सुविधाएं दी गईं. लड़ाई में अरब और अफगान पकड़े गए और मारे गए. इस कारण हमारे देश ने अफगान में नरसंहार करने का पूरा मौका दे दिया."
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अजहर को 1994 में भारतीय सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन 5 साल बाद 1999 में कंधार विमान अपहरण कर आतंकियों ने विमान में सवार बंधकों के बदले उसे छुड़ाने में कामयाब हो गए.
अजहर के जैश-ए-मोहम्मद और अन्य संगठनों के अस्तित्व पर संकट के बादल आ जाएंगे, अगर पाकिस्तान अमेरिकी दबाव में आकर उन पर कोई कार्रवाई करता है. दूसरी ओर, ये आतंकी संगठन पाकिस्तानी सेना के बेहद करीब और भरोसेमंद हैं. माना जाता है कि पाक सेना इन संगठनों को हथियार और वित्तीय मदद भी देती है.