
नागरिकता (संशोधन) एक्ट (CAA) के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन देश के कई हिस्सों में हिंसक रूप ले चुका है. दिल्ली में भी इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है. हिंसा को रोकने के लिए प्रशासन ने देश के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है और कई अन्य तरह की रोक लगाई गई हैं.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया राजधानी में सीएए के विरोध का केंद्र बन चुका है और इसकी वजह से जामिया कैम्पस तथा इसके आसपास के इलाकों में हिंसा की घटनाएं भी हुईं. गत 15 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों ने तीन बसों को आग लगा दी जिसके बाद पुलिस यूनिवर्सिटी में घुस गई और कथित रूप से कुछ स्टूडेंट्स की पिटाई भी की गई.
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पुलिस की कार्रवाई के बाद हिजाब लगाई दो लड़कियों की तस्वीर लोग खूब शेयर कर रहे हैं, जो एक लड़के को पुलिस पिटाई से बचाने की कोशिश कर रही थीं. इसके बाद से ही ये दो लड़कियां- लदीदा सखलून और आयशा रेन्ना एन- जामिया के विरोध प्रदर्शन का चेहरा बन गई हैं.
इन लड़कियों को सोशल मीडिया पर ताली और गाली दोनों मिल रही हैं. इनके बारे में बहुत-सी बातें कही जा रही हैं और लोग उनके सही गलत होने को लेकर भ्रम में हैं. आइए हम आपको इन दोनों लड़कियों के बारे में सब कुछ बताते हैं.
कौन है लदीदा फरजाना सखलून
लदीदा सखलून जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बीए अरबिक की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट है. लदीदा सखलून केरल के तटीय शहर कन्नूर की रहने वाली है. उसके फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक (जो अब हटाया जा चुका है), उसने कन्नूर के तालिपरम्बा स्थित सर सैयद कॉलेज में पढ़ाई की है और इकोनॉमिक्स की अंडरग्रेजुएट डिग्री हासिल की है. अब वह जामिया में फिर से अरबी में अंडरग्रेजुएट कर रही है.
लदीदा सखलून का परिवार
आजतक-इंडिया टुडे से केरल से फोन पर बात करते हुए लदीदा ने बताया कि उसके पिता मोहम्मद सखलून एक सेल्समैन हैं. उसका सरनेम वास्तव में फरजाना है और फेसबुक एकाउंट ब्लॉक होने के बाद उसने हाल में @ladeedafarzana नाम से ट्विटर एकाउंट बनाया है. अब उसने नया फेसबुक प्रोफाइल भी बनाया है.
लदीदा की मां एक मदरसे में टीचर हैं, हालांकि उन्होंने एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल से पढ़ाई की है. उन्होंने कन्नूर शहर के दीनउल इस्लाम सभा गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल से पढ़ाई की है. यह सिर्फ लड़कियों का स्कूल है. लदीदा दिल्ली आने से पहले से ही सामाजिक रूप से काफी सक्रिय रही है और वह केरल में स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) से जुड़ी रही है.
SIO की वेबसाइट के मुताबिक, यह 'समाज के पुनर्निर्माण के लिए विद्यार्थियों और युवाओं को तैयार करने वाला देश का एक वैचारिक संगठन है.'
लदीदा विवाहित है और 'द न्यूज मिनट' को दिए गए एक इंटरव्यू में उसने बताया है कि उसके पति एसआईओ के आधिकारिक सदस्य हैं. वह इस्लाम और शिक्षा जैसे मसलों पर काफी सक्रिय और मुखर रही है. साल 2017 में उसने एसआईओ द्वारा पोन्नानी, मलप्पुरम में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में एक पेपर भी पेश किया था. इस पेपर का विषय था, 'विवादों के दौर में धर्म और उदारवादी सोच की सीमाएं'. उसके मलयालम में दिए ये वक्तव्य यूट्यूब पर मौजूद हैं.
ऐसा ही एक भाषण आप यहां देख सकते हैं.
फेसबुक पर विचारों की लड़ाई
लदीदा फेसबुक पर काफी एक्टिव रही है (Facebook ID 1790012747919686). लेकिन अब उसका पुराना फेसबुक एकाउंट डिएक्टिवेट हो गया है.
उसके पुराने फेसबुक पोस्ट देखकर (जो अब डिलीट हो चुके हैं) यह कहा जा सकता है कि वह कट्टर विचारों की लड़की है.
यहां पढ़िए उसका पुराना एक फेसबुक पोस्ट जो डिलीट हो चुका है.
हिजाबी महिला की ताकत!
अपने 13 दिसंबर के पोस्ट में उसने जामिया के प्रदर्शन के दौरान लगाए गए 'अल्ला हू अकबर' के नारे को सही ठहराया है. इस पर लोगों की आपत्ति को खारिज करते हुए वह कहती है, 'आप अपनी सेकुलर निष्ठा साबित करने की जल्दबाजी में हो सकते हैं, लेकिन हम नहीं हैं...हम आपके सेकुलर नारों को काफी पहले छोड़ चुके हैं.'
फेसबुक से हटा दिए गए कट्टर पोस्ट के बारे में जब लदीदा से हमने पूछा तो उसने इसे सही ठहराने की कोशिश की. लेकिन जब हमने यह पूछा कि एक सेकुलर देश में रहते हुए वह सेकुलरिज्म के विरोध को वाजिब कैसे ठहरा सकती है तो उसने कोई जवाब नहीं दिया और फोन काट दिया.
दिलचस्प यह है कि साल 2017 में उसने फेसबुक पर ऑटोमेटिक राइफल लिए एक हिजाब वाली महिला की फोटो पोस्ट की और लिखा, ' डोन्ट अंडरस्टीमेट द पावर ऑफ हिजाबी'.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उसके कई फेसबुक पोस्ट, जो डिलीट या आर्काइव्ड किए जा चुके हैं, उनको आप यहां देख सकते हैं.
लदीदा और आयशा रेन्ना के डिलीट हुए फेसबुक पोस्ट के बारे में एक और खबर आप 'पंजाब केसरी' हरियाणा के इस फेसबुक पेज पर देख सकते हैं.
कौन है आयशा रेन्ना एन
लदीदा की तरह ही आयशा रेन्ना भी केरल से है. वह मलप्पुरम जिले के एक छोटे से कस्बे कोनडोट्टी की है. वह जामिया से इतिहास में मास्टर कोर्स कर रही है. उसके डिलीट हो चुके फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक उसने साल 2018 में मलप्पुरम के फारूक कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था. उसने पूरी पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से की है.
आयशा ने कोनडोट्टी के मर्कज उलूम हायर सेकंडरी स्कूल से हाईस्कूल पास किया है. इसके पहले उसने सेंट गेम्मा गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल से पढ़ाई की.
पत्रकार से की है शादी
आयशा की शादी पत्रकार अफसल रहमान सीए से हुई है.
आयशा और अफसल की शादी पिछले साल हुई है. उसका पति भी केरल से है और इसके पहले नोएडा के एक निजी टीवी चैनल में काम कर चुका है. अफसल के फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक फिलहाल वह एक न्यूज पोर्टल 'इंडिया टुमारो इंग्लिश' में काम करता है. उसने बाबरी मस्जिद की तस्वीर को अपने फेसबुक प्रोफाइल की कवर फोटो बनाई है.
अफजल और याकूब के लिए दिल में नरमी
पिछले साल 12 जनवरी को जब यह खबर आई कि अफजल गुरु के बेटे ने 12वीं क्लास डिस्टिंक्शन से पास किया है, तो अफसल रहमान ने फेसबुक पर लिखा कि अफजल गुरु और याकूब मेनन को याद रखना सबका कर्तव्य है. यह पोस्ट अब हटाया जा चुका है.
अपने पति की तरह आयशा भी इस बात पर दुख जताती है कि मुंबई बम विस्फोट के गुनहगार याकूब मेनन को फांसी पर लटका दिया. उसने तब फेसबुक पर यह पोस्ट लिखी थी कि इस 'फासिस्ट देश' में वह असहाय महसूस कर रही है और ' एक गुड़िया की तरह पश्चाताप कर सकती है.'
31 जुलाई 2015 का यह पोस्ट डिलीट हो चुका है, लेकिन इसके आर्काइव्ड वर्जन को यहां देखा जा सकता है. आयशा मोदी सरकार की सख्त आलोचक है और उसे 'फासीवादी' बताती है.
आयशा साल 2016 से ही केरल की एक स्वयंसेवी संस्था 'यस इंडिया' से जुड़ी है जो कि 'समाज के हाशिए के स्टूडेंट्स के शैक्षणिक विकास के लिए काम करती है.' लदीदा की तरह आयशा भी फेसबुक पर काफी एक्टिव रही है, लेकिन उसने 16 दिसंबर के बाद कुछ पोस्ट नहीं किया है. @AyshaRenna के हैंडल से किए गए एक ट्वीट में दावा किया गया है कि उसके फेसबुक एकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया है और वह फेसबुक पर कुछ पोस्ट नहीं कर पा रही. यह ट्विटर एकाउंट कुछ दिनों पहले ही बनाया गया है.