
दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में पिछले साल 15 दिसंबर को जो बवाल हुआ उसपर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है. रविवार को इस मसले से जुड़े तीन वीडियो सामने आए जिसने बहस का रुख मोड़ दिया है. पहले वीडियो में दिल्ली पुलिस के जवानों द्वारा छात्रों पर बरसाए गए डंडों को दिखाया गया है तो अन्य वीडियो में उपद्रवी छात्रों ने किस तरह लाइब्रेरी को छुपने की जगह बनाया उसे दिखाया गया. अब तक इन तीन वीडियो को लेकर क्या निष्कर्ष निकल रहा है, यहां समझिए...
पहला वीडियो
जामिया के छात्रों की ओर से जारी वीडियो में जो तस्वीर बयां की गई है, उसमें दिल्ली पुलिस के एक्शन पर सवाल हो रहा है. पहले वीडियो में लाइब्रेरी में कुछ छात्र पढ़ रहे हैं..माहौल पूरी तरह से शांत है और अचानक हलचल तेज हो जाती है. कुछ ही सेकेंड में कुछ नकाबपोश तो कुछ सिर पर हेलमेट लगाए-हाथ में डंडे लिए पैरामिलिटी फोर्स के जवान आते हैं और छात्रों पर टूट पड़ते हैं. इस वीडियो के सामने आने के बाद एक बहस शुरू हुई और दिल्ली पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े हुए.
दूसरा वीडियो
पहले वीडियो पर बहस चल ही रही थी कि एक और वीडियो सामने आया. दिल्ली पुलिस की ओर से जारी वीडियो में लाठीचार्ज से पहले के सीन को दिखाया गया है. वीडियो में दावा किया गया है कि कुछ उपद्रवी छात्र जामिया की लाइब्रेरी में जमा होते हैं, जिनके हाथों में पत्थर हैं. इस वीडियो में दिखाया गया है कि उपद्रवी छात्र लाइब्रेरी में घुसते ही हलचल तेज करते हैं और वहां पड़ी मेज से दरवाजे बंद करते हैं.
तीसरा वीडियो
दिल्ली पुलिस की ओर से दूसरे के बाद तुरंत ही तीसरा वीडियो जारी किया गया. दिल्ली पुलिस के वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा कि ये 15 दिसंबर की शाम 6 बजकर 5 मिनट का वीडियो है. जिसमें कई छात्रों के हाथ में डंडे दिख रहे हैं और छत से पुलिस पर पत्थर फेंकने की कोशिश हो रही है.
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वीडियो बनाम वीडियो की लड़ाई सवालों पर आई!
नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 15 दिसंबर को जामिया की यूनिवर्सिटी में जो हुआ उसपर वीडियो के दावों ने हर किसी को हिला दिया. लेकिन जो भी वीडियो अभी तक सामने आए हैं, वो कई तरह के सवाल खड़े करते हैं. इन वीडियो की पुष्टि दिल्ली पुलिस कर रही है.
जामिया के छात्रों की ओर से जो वीडियो जारी कर दिल्ली पुलिस की बर्बरता का दावा किया गया, उससे जामिया यूनिवर्सिटी ने अपने हाथ पीछे खींच लिए. यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि ये वीडियो किसी छात्र द्वारा ट्वीट किया है, ऐसे में वो उसकी पुष्टि नहीं करते हैं.
अभी किसी की ओर से भी वीडियो की पुष्टि का दावा नहीं किया जा रहा है, लेकिन हर किसी को इंतजार है कि इस बर्बरता की पीछे की सच्चाई क्या है.
वीडियो में दिख रहे उपद्रवी कौन हैं, क्या ये जामिया में पढ़ने वाले छात्र हैं या फिर वो बाहरी हैं जिनको लेकर दिल्ली पुलिस जांच में लगातार सवाल उठाती रही है. क्या दिल्ली पुलिस जामिया प्रशासन की हामी के बाद ही लाइब्रेरी में घुसी थी, ऐसे कई सवाल हैं जो इन वीडियो के सामने आने से खड़े होते हैं और हर कोई इनके जवाब तलाश रहा है.
गर्मा गया राजनीतिक माहौल!
जैसे ही जामिया की लाइब्रेरी में दिल्ली पुलिस के एक्शन का वीडियो आया तो राजनीतिक बयानबाजी की धार तेज हुई. विपक्ष के निशाने पर सीधा दिल्ली पुलिस और मोदी सरकार आई. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सोमवार सुबह एक कविता ट्वीट कर सरकार को घेरा और कहा कि दिल्ली पुलिस कई सच छुपा रही है. कांग्रेस नेता ने कहा कि पुलिस पहले कह रही थी कि वो लाइब्रेरी में नहीं गए और अब इस तरह के वीडियो सामने आए हैं.
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RJD के मनोज झा का कहना है कि आज जेएनयू को देशद्रोहियों का अड्डा बताया गया, जामिया को आतंकियों की जगह बताया गया. आज केंद्र सरकार देश के छात्रों की आवाज़ नहीं सुन रही है.
गौरतलब है कि 15 दिसंबर 2019 को दिल्ली में जामिया के छात्रों ने नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन और मार्च के बाद शाम को स्थिति गंभीर हो गई थी. कुछ हिंसक प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बसों, संपत्तियों, बाइक, कार में आग लगा दी थी और तोड़फोड़ कर दी थी. इसी के बाद जब भीड़ पर दिल्ली पुलिस ने एक्शन लिया तो कई उपद्रवी जामिया कैंपस में घुस गए थे.