
देश की सबसे बड़ी मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन जमियत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी को उम्मीद है कि कांग्रेस मुसलमानों के हित में फैसले लेगी. इसके अलावा वे यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार को मुजफ्फरनगर दंगों के लिए दोषी नहीं मानते. मदनी से इस मसलों पर सवाल किए गए, जिन पर उनके जवाब ये हैं-
मुजफ्फरनगर दंगों पर-
मैंने पहले भी कहा है कि फसाद एडमिनिस्ट्रेशन ने करवाये हैं. सरकार फसाद नहीं चाहती थी. एडमिनिस्ट्रेशन ने सरकार को अंधेरे में रखा. जितना मुआवज़ा मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद मिला, कभी नहीं मिला. जितने कैंप पहले थे, अब नहीं हैं. बहुत से उठ गये हैं, जो बचे हैं वो भी उठ जाएंगे. इसमें अलग-अलग बातें हैं वो बाद में सामने आएंगी. कैंपों को बहरहाल खत्म होना होगा.
सैफई महोत्सव पर-
एक तरफ मुजफ्फरनगर दंगों के बाद लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं और दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी की सरकार सैफई में नाच-गाने में मशगूल है. यही नहीं, उसके कई नेता अब विदेशी दौरे पर भी जा चुके हैं. इस पर मौलाना मदनी ने कहा, सैफई महोत्सव और नेताओं के विदेश दौरे पर मेरी बात हुई है. फिलहाल मैं इस पर कुछ बोलना नहीं चाहता.'
आम आदमी पार्टी को समर्थन पर-
मैं नहीं समझता कि जल्दबाज़ी में कोई फैसला लेना चाहिये. देखना होगा कि उनका रुख क्या है. हमारे कुछ मसले हैं, अगर उनको लेकर आम आदमी पार्टी का रुख सही रहता है, तो हम भी ताली बजाएंगे. एक नई पार्टी है, जिसने कहा है अदल और इंसाफ़ से काम करेंगे. ये आने वाले दिन बताएंगे कि वो क्या करते हैं. कांग्रेस उन्हें समर्थन दे रही है, अच्छी बात है. उन्हें देना भी चाहिये, लेकिन ये समर्थन देना उनके लिये कल को परेशानी का सबब बन सकता है.
साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल पर-
पीएम मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी सब ने कहा है कि ये बिल लाएंगे. मुझे फिलहाल उन पर यकीन है. यदि आखिरी सेशन में भी वे इस बिल को नहीं लाते हैं तो भविष्य के लिये मुसलमान खुद सोचेगा कि उसे क्या करना चाहिये. कांग्रेस को ये बिल जरूर लाना चाहिए. नहीं लाया जाएगा तो जो लोग कांग्रेस के साथ थे, उनका जेहन जरूरत बदलेगा. ये पार्टी के हक़ में नहीं जाएगा.
नरेंद्र मोदी पर मदनी ने कहा-
मुल्क की तबाही के लिए फिरक़ापरस्ती बुनियादी चीज़ है. हमारी भाईचारे की तहज़ीब और तारीख को नरेंद्र मोदी ने मिटाया है. हम कभी भी नरेंद्र मोदी के साथ नहीं जाएंगे. मोदी को भले ही कितनी रेटिंग्स मिले, मोदी का आना इस मुल्क के लिये और इस मुल्क की भाईचारगी के लिये तबाही की सबब होगा. चाहे खुदा ना खास्ता मोदी आ के बैठ जायें, तब भी हमारे नज़रिये में तब्दीली नहीं होगी.