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कश्मीर में एक और 'जिन्ना', JK के डिप्टी मुफ्ती को भारत में चाहिए नया पाकिस्तान!

कश्मीर में पत्थरबाज़ों को बेगुनाह बता कर सेना के मेजर पर तो एफआईआर हो जाती है. लेकिन उसी कश्मीर में उस मौलाना पर कोई एक्शन नहीं होता, जो मुस्लिमों से हमदर्दी के नाम पर आज़ाद भारत में नया पाकिस्तान बनाने की बात करता है.

कश्मीर के डिप्टी ग्रैंड मुफ्ती नसीरुल इस्लाम कश्मीर के डिप्टी ग्रैंड मुफ्ती नसीरुल इस्लाम
राम कृष्ण
  • श्रीनगर,
  • 31 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

कश्मीर में पत्थरबाज़ों को बेगुनाह बता कर सेना के मेजर पर तो एफआईआर हो जाती है, लेकिन उसी कश्मीर में उस मौलाना पर कोई एक्शन नहीं होता, जो मुस्लिमों से हमदर्दी के नाम पर आज़ाद भारत में नया पाकिस्तान बनाने की बात करता है. ये नए ज़माने के जिन्ना हैं. जिनका एजेंडा देश का एक और बंटवारा करना है.

कश्मीर के डिप्टी ग्रैंड मुफ्ती नसीरुल इस्लाम को आज़ाद भारत में नया पाकिस्तान चाहिए. कासगंज हिंसा के बीच नसीरुल इस्लाम अपना एजेंडा लेकर आ गए, जिसमें वो मुस्लिमों से हमदर्दी के बहाने अलग देश की बात करने लगे.

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ये झूठी हमदर्दी इस सवाल में छुपी है कि नसीरुल इस्लाम जैसे लोग कश्मीर में जिस सोच को लेकर चलते हैं. उस सोच में ही हिंदुस्तान की जगह कहां है. वो सोच खुद पाकिस्तान के एजेंडे पर चलती है, जिसमें हिंदुस्तान के टुकड़े करने का वर्षों से एजेंडा चल रहा है.

लेकिन अलग देश की बात करने वाले नसीरुल इस्लाम जैसे कश्मीर के मौलाना पहले खुद को देख लें, उन्होंने अपनी सोच से कश्मीर का क्या हाल कर रखा है. उन जैसे लोगों की सोच तो देश से अलग होने की हमेशा रही है.

दरअसल, कश्मीर के डिप्टी मुफ्ती आजम नसीर उल इस्लाम ने भारतीय मुसलमानों को हिंदुस्तान से अलग होने की बात कही थी, जिसके बाद से देश में सियासी तूफान खड़ा हो गया है. जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस्लाम के बयान की कड़ी आलोचना की है.

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कासगंज हिंसा की आड़ में मुस्लिमों से हमदर्दी की आड़ में वो अपना एजेंडा चलाएंगे और कोई इसे समझ नहीं पाएगा, तो ये बहुत बड़े भ्रम में हैं. देश ने एक बंटवारे का दर्द 1947 में देखा है. अब इसके टुकड़े करने की सोच रखने वाले नए जिन्ना कभी कामयाब नहीं होंगे. ये 1947 का नहीं, बल्कि 2018 का भारत है.

वैसे नसीरुल इस्लाम को नया पाकिस्तान बनाने की बात कहने की ज़रूरत ही क्या है, उनकी चाहत तो पाकिस्तान जाकर भी पूरी हो सकती है. शायद नसीरुल इस्लाम को पाकिस्तान में मुस्लिमों के लिए दुनिया की जन्नत दिखती ही होगी.

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