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जानिए 10 प्वाइंट्स में, आखिर क्या है आर्टिकल 370

पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को यह घोषणा करते हुए हड़कंप मचा दिया कि नई सरकार ने अनुच्‍छेद 370 हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया. लेकिन उनके इतना कहते ही बयान वॉर तेज हो गया. जहां जम्‍मू कश्‍मीर के सीएम उमर अब्‍दुल्‍ला ने कहा कि अगर 370 हटाई गई तो जम्मू एवं कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होगा तो वहीं आरएसएस ने पलटवार किया कि राज्य से संविधान की धारा 370 हटे या न हटे, लेकिन यह राज्य भारत का अभिन्न अंग रहेगा. आइए जानते हैं दस प्‍वाइंटों में कि आखिर क्‍या है अनुच्‍छेद 370.

aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 28 मई 2014,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को यह घोषणा करते हुए हड़कंप मचा दिया कि नई सरकार ने अनुच्‍छेद 370 हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया. लेकिन उनके इतना कहते ही बयान वॉर तेज हो गया. जहां जम्‍मू कश्‍मीर के सीएम उमर अब्‍दुल्‍ला ने कहा कि अगर 370 हटाई गई तो जम्मू एवं कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होगा तो वहीं आरएसएस ने पलटवार किया कि राज्य से संविधान की धारा 370 हटे या न हटे, लेकिन यह राज्य भारत का अभिन्न अंग रहेगा. आइए जानते हैं दस प्‍वाइंटों में कि आखिर क्‍या है अनुच्‍छेद 370.

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1. संविधान का अनुच्छेद 370 अस्‍थायी प्रबंध के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा देता है.
2. 370 का खाका 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.
3. शेख अब्दुल्ला ने 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए. उन्होंने राज्य के लिए मजबूत स्वायत्ता की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था.
4. 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य का अनुमोदन चाहिए.
5. इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता. राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.
6. भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं. यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है. एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है.
7. यहां दूसरे राज्य के नागरिक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते.
8. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता.
9. अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है.
10. 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था.

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