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12 लाख में हुई थी डील, DSP देवेंद्र को 2 आतंकियों को करना था आजाद

शनिवार की सुबह श्रीनगर से एक आई-10 कार तेजी से जम्मू की ओर फर्राटा भर रही थी. यह कार मामूली नहीं थी. जम्मू-कश्मीर के खुफिया ब्यूरो के आला अधिकारी इस कार की मूवमेंट पर नजर रखे हुए थे. इस कार में तीन ऐसे टारगेट सवार थे जिनकी इंटेलिजेंस एजेंसियों को बड़ी शिद्दत से तलाश थी. कार तेजी से जम्मू की ओर बढ़ रही थी. तभी दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में जम्मू-कश्मीर पुलिस का नाका आया और कार में बैठी सवारियों की धड़कनें बढ़ गईं.

जम्मू-कश्मीर के डीएसपी देवेंद्र सिंह (फोटो- पीटीआई) जम्मू-कश्मीर के डीएसपी देवेंद्र सिंह (फोटो- पीटीआई)
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 14 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:33 AM IST

  • DSP देवेंद्र ने को मिले थे 12 लाख?
  • आतंकियों को आजाद करने की साजिश
  • कार में हिज्बुल के नंबर-2 के साथ था DSP

शनिवार की सुबह श्रीनगर से एक आई-10 कार तेजी से जम्मू की ओर फर्राटा भर रही थी. यह कार मामूली नहीं थी. जम्मू-कश्मीर के खुफिया ब्यूरो के आला अधिकारी इस कार की मूवमेंट पर नजर रखे हुए थे. इस कार में तीन ऐसे टारगेट सवार थे जिनकी इंटेलिजेंस एजेंसियों को बड़ी शिद्दत से तलाश थी. कार तेजी से जम्मू की ओर बढ़ रही थी. तभी दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में जम्मू-कश्मीर पुलिस का नाका आया और कार में बैठी सवारियों की धड़कनें बढ़ गईं.  

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एक कार में हिज्बुल का नंबर-2  और डीएसपी

इस कार का पीछा कर रहे थे जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीआईजी अतुल गोयल. जम्मू-कश्मीर पुलिस का ये ऑफिसर NIA में कई सालों तक ट्रेनिंग ले चुका था और अब जम्मू-कश्मीर कैडर में वापस आ चुका था. कुलगाम नाका पर थोड़ा सा एक्शन हुआ और डीएसपी देवेंद्र सिंह हिज्बुल मुजाहिद्दीन के दो खूंखार आतंकियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. ये कोई मामूली आतंकी नहीं थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी के साथ बैठा आतंकी हिज्बुल का नंबर 2 नवीद बाबू था और रफी.

57 साल के देवेंद्र सिंह कई हफ्तों से पुलिस के रडार पर थे. शोपियां के एसपी संदीप चौधरी देवेंद्र सिंह से जुड़े संदिग्ध कॉल को रिकॉर्ड करने वाले पहले अधिकारी थे. उन्होंने तुरंत अपने सीनियर अधिकारियों को इसकी सूचना दी. देवेंद्र सिंह आतंकी नवीद बाबू को श्रीनगर लाने कुछ दिन पहले शोपियां गया हुआ था. डीएसपी देवेंद्र सिंह अब नवीद बाबू और रफी को जम्मू भागने में मदद कर रहा था. खुफिया सूत्रों ने बताया, "असली मकसद नवीद बाबू और उसके सहयोगी को कश्मीर से बाहर ले जाना और फिर पाकिस्तान भागने में मदद करना था."

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हिज्बुल के नंबर 2 नवीद बाबू की हिस्ट्री

नवीद बाबू शोपियां में आतंक का चेहरा था. इस आतंकी के ऊपर कई पुलिस अफसरों की हत्या का आरोप है. जम्मू-कश्मीर से जब अनुच्छेद-370 हटाया गया तो वहां हिंसा को अंजाम देने में नवीद बाबू का अहम रोल रहा. हाल में उसने जम्मू-कश्मीर में गैर कश्मीरी ट्रक ड्राइवरों की हत्या की थी. इसके अलावा खौफ कायम करने के मकसद से इसने सेब के किसानों को भी बेरहमी से मारा.

आतंक के साथ-साथ वकालत

डीएसपी देवेंद्र सिंह के साथ मौजूद दूसरा आतंकी रफी वकालत भी कर चुका था. उसे लोगों को फर्जी कागजातों के आधार पर पाकिस्तान ले जाने में महारत हासिल थी. सूत्रों ने बताया कि रफी को दस्तावेज तैयार करने थे जिसके जरिए ये लोग कानूनी तरीके से पाकिस्तान जा सकें. अब इस बात की जांच की जा रही है कि क्या इसके लिए नकली कागजातों का सहारा लिया जा रहा था. सूत्र बताते हैं कि आतंकियों को भागने में मदद करने के लिए देवेंद्र सिंह को 12 लाख रुपये दिए गये थे.  

जवाहर टनल पास करते ही आजाद होते आतंकी

रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों आरोपियों को जवाहर टनल से पहले पकड़ा गया. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर डीएसपी देवेंद्र सिंह आई-10 कार जवाहर सुरंग पास कर जाी तो उनकी कार को पकड़ना बेहद मुश्किल था. जम्मू आते ही ये तीनों भीड़ में गायब हो सकते थे.  

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डीएसपी देवेंद्र के घर हथियारों का जखीरा

देवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने श्रीनगर के इंदिरा नगर स्थित उसके घर की तलाशी ली तो यहां हथियारों का जखीरा मिला. पुलिस ने यहां से 5 ग्रेनेड, 3 एके-47 राइफल बरामद किए हैं. सूत्र बताते हैं कि इस बात की आशंका है कि देवेंद्र सिंह ने पहले भी आतंकियों की मदद की है. अब पुलिस अधिकारी एयरपोर्ट पर सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं.  

बांग्लादेश में डॉक्टरी पढ़ रही हैं बेटियां

रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुका देवेंद्र सिंह की उम्र इस वक्त 57 साल की है. उसकी एक संपत्ति श्रीनगर में दूसरी जम्मू में हैं. इसका परिवार त्राल में रहता है और यहां उसका सेब का बगान है. देवेंद्र के माता-पिता दिल्ली में उसके भाई के पास रहते हैं. देवेंद्र सिंह की पत्नी शिक्षक है और इसके तीन बच्चे हैं. दो बेटियां बांग्लादेश में डॉक्टरी पढ़ रही हैं, जबकि बेटा स्कूल जाता है.

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