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सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसमें सुधार की जरूरत बताई. शनिवार को जम्मू-कश्मीर के शिक्षा मंत्री सैय्यद अल्ताफ बुखारी ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि सेना प्रमुख एक सम्मानित अधिकारी है। मुझे नहीं लगता कि वह एक शिक्षाविद हैं. यह राज्य का विषय रहा है और हम जानते हैं कि हमें शिक्षा प्रणाली कैसे चलानी है.
आपको बता दें कि सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अपने बयान में कहा था कि जम्मू कश्मीर के स्कूलों, मदरसा और मस्जिद में भारत के साथ-साथ जम्मू कश्मीर का नक्शा अलग से पढ़ाया जा रहा है. इससे युवाओं में कट्टरवादी और अलगाववादी सोच पनप रही है. रावत ने इसके साथ कहा था कि राज्य की शिक्षा प्रणाली की समीक्षा किए जाने की जरूरत है.
वहीं शनिवार को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के आरोपों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री सैय्यद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि राज्य में दो झंडे भी हैं. साथ ही एक जम्मू कश्मीर का संविधान है और एक भारत का संविधान भी है. हर स्कूल में राज्य का नक्शा जरूरी होता है ताकि उन्हें राज्य के बारे में पढ़ाया जा सके.
जनरल रावत ने सेना दिवस पर वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कश्मीर के सरकारी स्कूलों में गलत चीजें पढ़ाई जा रही हैं. सेना पर पत्थर फेंकने वाले मामले इस गलत शिक्षा प्रणाली की वजह से सामने आ रहे हैं. रावत के अनुसार जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया और सरकारी स्कूलों से दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है.
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आरोप लगाया कि हर सरकारी स्कूल की कक्षाओं में जम्मू कश्मीर और भारत के अलग-अलग नक्शे हैं. इस वजह से बच्चों में 'अलग पहचान' का बीज बोया जा रहा है. इन बच्चों को शुरू से ही यह बताया जा रहा है कि वे अलग हैं. किसी भी अन्य राज्य में छात्रों को भारत के साथ-साथ उस राज्य का नक्शा नहीं पढ़ाया जा रहा. उन्होंने कहा कि इससे उन छात्रों के दिमाग में यह बात आएगी कि वे देश के अन्य बच्चों से अलग और विशेष हैं.
मदरसों पर उठाए सवाल
सेना प्रमुख के अनुसार मदरसों और मस्जिदों में भी छात्रों को गलत सूचनाएं दी जा रही है. वहां लगाम लगाने की जरूरत है और हम उस तरफ कोशिश कर रहे हैं. साथ ही सेना प्रमुख ने कहा कि पत्थरबाजों में सरकारी स्कूल के बच्चें शामिल होते हैं. प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को इसमें शामिल होते नहीं देखा गया है. ऐसे में व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट, सीबीएसई और सेना संचालित स्कूलों को खोलने की जरूरत है.