
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के निर्वासन पर स्थानीय मुसलमानों को गलत तरीके से दोषी करार दिया गया है. महबूबा ने कहा कि कश्मीरी पंडितों का दर्द अब कट्टरपंथियों के हाथों का हथियार बन गया है और वे इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अभी कश्मीर में नजरबंद हैं. 4 अगस्त की रात को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से पहले महबूबा मुफ्ती को प्रशासन ने नजरबंद कर रखा है. उनकी ओर से बेटी इल्तिजा उनके ट्विटर अकाउंट को हैंडल कर रही हैं. इस ट्विटर अकाउंट से इल्तिजा ने लिखा कि गांधी जी ने जो धर्मनिरपेक्ष भारत का सपना देखा था, आज वो सत्ता के हाथों में चला गया है.
'मुस्लिमों को गलत तरीके से ठहराया गया दोषी'
महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, "1990 के दशक में कश्मीरी मुसलमानों को घाटी से पंडितों के निर्वासन के लिए गलत तरीके से जिम्मेदार ठहराया जाता है, कश्मीरी पंडितों का दुख तकलीफ आज दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों के हाथों में एक औजार बन गया है. महात्मा गांधी ने एक सेकुलर भारत का जो सपना देखा था, आज वो केन्द्रित सत्ता के हाथों में चला गया है."
कश्मीरी पंडितों ने रातों-रात छोड़ी थी घाटी
1990 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद पनपना शुरू हुआ तो वहां पर रह रहे कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार शुरू हो गया. मस्जिदों से घोषणा की जाने लगी कि यहां रहे कश्मीरी पंडित रातों-रात घर छोड़कर चले जाएं. कई जगह कश्मीरी पंडितों पर हमले हुए. खौफ में आए कश्मीरी पंडितों ने रातो-रात घाटी छोड़ दी. कश्मीरी पंडितों के पास न रहने का ठिकाना था, न जेब में पैसे. इस माहौल में कई कश्मीरी पंडितों ने दिल्ली, जम्मू, इंदौर जैसे इलाकों में अपना ठिकाना बनाया.
घाटी में पंडितों की वापसी एक सियासी मुद्दा बन गया है. कश्मीरी पंडित लंबे समय से घाटी में वापसी की मांग कर रहे हैं. इस बीच महबूबा मुफ्ती का ये बयान आया है. कश्मीरी पंडितों की वापसी को दक्षिणपंथी ताकतें उठाती रहती हैं. बीजेपी के लिए भी ये विषय चुनावी मुद्दा है.