
कश्मीर घाटी में बीजेपी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ने के बाद सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए विशेष क्लस्टर जोन्स बनाए हैं. जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र के नए उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा ने बुधवार को 22 जिलों के पंचों और सरपंचों को संबोधित किया. इस मौके पर सुरक्षा का मुद्दा भी उठा.
सूत्रों के मुताबिक निर्वाचित प्रतिनिधियों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के सभी जिला आयुक्तों (डीसी) को राजनीतिक कार्यकर्ताओं और पंचों-सरपंचों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.
CRPF ने संभाली सुरक्षा
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने पंचों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और निर्वाचित प्रतिनिधियों के आवासों को सुरक्षा देने के लिए अहम भूमिका संभाल ली गई है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जहां तक इन जन प्रतिनिधियों के मूवमेंट का सवाल है तो उस वक्त जम्मू-कश्मीर पुलिस के पास सुरक्षा की जिम्मेदारी रहेगी.
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को 5 अगस्त को एक साल पूरा हुआ. केंद्र शासित क्षेत्र में एक महीने से भी कम समय में बीजेपी के 6 स्थानीय नेताओं पर हमले हुए, जिनमें से 5 की मौत हो गई. आजतक ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में ऐसी हत्याओं पर विस्तार से जानकारी दी थी. साथ ही यह भी बताया था कि पिछले कुछ हफ्तों में खौफ के चलते किस तरह पार्टी के 17 कार्यकर्ताओं ने इस्तीफे दे दिए. इन इस्तीफों को उन्होंने सोशल मीडिया पर अपलोड भी किया जिससे कि कोई भी उन्हें पढ़ सके.
हमलों की आशंका बढ़ी
देश का स्वतंत्रता दिवस नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक दलों विशेष कर बीजेपी, से जुड़े स्थानीय नेताओं पर ऐसे हमले और बढ़ने की आशंका जताई गई है. इस स्थिति में कई कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है.
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ये फैसला एक उच्चस्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा के बाद लिया गया. इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह मौजूद रहे.
व्यवस्था से हर कोई संतुष्ट नहीं
लेकिन इस व्यवस्था से हर कोई संतुष्ट नहीं है. सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष नजीर रैना का कहना है, “पंचों और सरपंचों को घरों से उठा कर ऐसी जगह ले जाया गया, जो कैदखाना लगता है. एक-एक कमरे में 4-5 लोगों को रखा गया है. कोई सुविधा नहीं है. खाना जो दिया जा रहा है वो भी खराब है.”
रैना ने साथ ही माना कि सुरक्षा सबसे प्रमुख चिंता है. रैना ने कहा, “हमने पुलिस डीजी को अवगत कराया है कि हमारे परिवारों को भी इसी तरह की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. महामारी के वक्त हम में से अधिकतर परिवारों से दूर हैं. चुने हुए प्रतिनिधियों के नाते हम लोगों से बात भी नहीं कर सकते.”
रैना के मुताबिक, “हालांकि ये व्यवस्था 15 अगस्त तक है, लेकिन इस तरह रहने से आम लोगों से हम पूरी तरह कट गए हैं.”
लंबे समय तक परिवार से दूरी मुमकिन नहीं
रैना कहते हैं, “लंबे समय तक परिवार छोड़ना मुमकिन नहीं. रैना के मुताबिक एलजी और अन्य ने अपने संबोधन में कई मुद्दों को छुआ लेकिन हाल में हुए हमलों में मारे गए पंचों-सरपंचों को किसी ने श्रद्धांजलि नहीं दी.”
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खानबल के पीर अल्ताफ, जो बुधवार को एलजी के संबोधित करते समय, बैठक में नहीं पहुंच पाए थे, ने कहा "मुझे शिफ्ट होने के लिए कहा गया था, मैंने उनसे कहा कि मेरा एक राजनेता दोस्त है, जिसके साथ मैं रहता हूं, उसके पास सुरक्षा है. लेकिन लंबे समय तक घर से दूर रहना संभव नहीं है.”
6 अगस्त को दक्षिण कश्मीर के वेस्सु में सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की उनके घर से 20 मीटर की दूरी पर गोली मार कर हत्या कर दी गई. 48 वर्षीय खांडे हाई सिक्योरिटी वाले रिहाइशी परिसर में रह रहे थे.
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पहले इस स्थान को कश्मीरी पंडित परिवारों के लिए चिह्नित किया गया था. खांडे सुबह परिवार के साथ चाय पी रहे थे, तभी बाइक सवार दो हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी.
इसी हफ्ते के शुरू में सेंट्रल कश्मीर के बडगाम में बीजेपी के ओबीसी जिला अध्यक्ष अब्दुल हामिद नजर को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी. उस वक्त वो टहलने निकले थे. बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.