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ऑपरेशन ऑल इन: आतंकियों के लिए मुख्यधारा में लौटने का मौका, फैमिली को समझा रही सेना

शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में सेना का ये प्रयास 'ऑपरेशन ऑल इन' का हिस्सा है, जहां सेना चाहती है कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए एक मौका दिया जाए और राह से भटके युवाओं को मुख्य धारा में लौटने का मौका मिले.

घाटी में घुसपैठ रोकने के लिए मुस्तैद है सेना घाटी में घुसपैठ रोकने के लिए मुस्तैद है सेना
नंदलाल शर्मा
  • श्रीनगर ,
  • 07 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:05 AM IST

कश्मीर घाटी में जारी सीजफायर के बीच सेना को इनपुट मिल रहे हैं कि बड़ी संख्या में स्थानीय आतंकी अपने परिवारों से मिलने के लिए बिना हथियार घर लौट रहे हैं. इस बीच सेना आतंकियों के परिवारों को समझाने की कोशिश कर रही है, ताकि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा में लौटें और बजाय सेना के हाथों एनकाउंटर में मारे जाने के सामान्य जीवन यापन करें.

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शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में सेना का ये प्रयास 'ऑपरेशन ऑल इन' का हिस्सा है, जहां सेना चाहती है कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए एक मौका दिया जाए और राह से भटके युवाओं को मुख्य धारा में लौटने का मौका मिले.

सूत्रों ने कहा, 'बड़ी संख्या में आतंकी अपने परिवार से मिलने के लिए गांव और कस्बों में वापस आ रहे हैं. हम उनके परिवारों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे अपने बच्चों को रोकें और सामान्य जीवन जीने को कहें. अगर वे अपने कॉलेज लौटना चाहें या पहले जो कर रहे थे वो करना चाहें, तो उन्हें ये मौका मिल सकता है.'

सूत्रों ने कहा कि इन आतंकियों के परिजन, जिनमें उनके माता-पिता, परिवारिक सदस्य और गांव के सरपंच भी शामिल हैं, उन्हें भी ये मैसेज दिया गया है कि वे अपने युवाओं को वापस जंगल में लौटने से रोंके. अगर ऐसा नहीं होता है, तो आज या कल वे सेना के हाथों मारे ही जाएंगे और इस तरह उनका जीवन बर्बाद हो जाएगा.

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सूत्रों ने कहा कि रमजान के अंत में ईद के आसपास परिवार से मिलने के लिए वापस लौट रहे आतंकियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है.

साल 2017 में सेना ने कश्मीर घाटी में 200 से ज्यादा आतंकियों को मार डाला था. इनमें से 60 से ज्यादा को सेना ने एलओसी या आतंरिक इलाकों में मारा था. हाल के दिनों में कश्मीर में ट्रेंड ये रहा है कि स्थानीय आतंकी सोशल मीडिया पर प्रोपगेंडा वीडियो शेयर करते हैं और पहचान में आने के साथ कुछ ही दिन के भीतर मारे जाते हैं.

सूत्रों का कहना है कि श्रीनगर स्थित सेना के 15 कॉर्प्स ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन को रोक दिया है. साथ ही आतंकियों के परिवार से मिलने आने की खबरों के बावजूद सेना का रुझान बहुत लचीला है.

दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि जहां कई सारे स्थानीय आतंकी सामान्य जीवन बिताने के लिए अपने घर लौट सकते हैं, वहीं शांति प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पाकिस्तान समर्थित जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले कर सेना को उकसाने की कोशिश में हैं.

इसी के तहत मंगलवार की रात को आतंकियों ने श्रीनगर के पास हाजिन इलाके में 13 राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप पर हमला किया था. यहां आतंकियों ने छोटे हथियारों और ग्रेनेड से हमला किया, लेकिन सेना को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा पाए.

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सेना के पास एलओसी के पार लॉन्च पैड पर पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के मौजूद होने का भी इनपुट है. लिहाजा सेना ने किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए सुरक्षा बढ़ा दिए हैं.

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