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J-K में PDP से हाथ मिलाने को लेकर पसोपेश में कांग्रेस, तौल रही है नफा-नुकसान

दो हफ्ते पहले पीडीपी और बीजेपी का नाता टूटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में गवर्नर रूल लागू है. जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर गौर करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के घर पर पार्टी के प्लानिंग और पॉलिसी ग्रुप की बैठक हुई.

J-K में PDP संग नई सरकार के गठन पर पसोपेश में कांग्रेस J-K में PDP संग नई सरकार के गठन पर पसोपेश में कांग्रेस
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:50 PM IST

जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए पीडीपी के साथ हाथ मिलाने को लेकर कांग्रेस पसोपेश में है. सूत्रों के मुताबिक पीडीपी सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के पास मिलकर सरकार बनाने के लिए संकेत भेजे हैं.

पीडीपी के 28, कांग्रेस के 12 और 4 निर्दलीय विधायकों को मिलाकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा छुआ जा सकता है. 87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की आवश्यकता है.

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मनमोहन सिंह के घर बैठक

दो हफ्ते पहले पीडीपी और बीजेपी का नाता टूटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में गवर्नर रूल लागू है. जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर गौर करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के घर पर पार्टी के प्लानिंग और पॉलिसी ग्रुप की बैठक हुई.

इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, राज्य के लिए पार्टी प्रभारी अम्बिका सोनी और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम भी शामिल हुए.  

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने ये अहम बैठक जम्मू-कश्मीर में गवर्नर रूल लगने के बाद की स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई थी, लेकिन अहम मसला वहां नई सरकार के गठन का भी था. सूत्रों का कहना है कि राज्य में पीडीपी के साथ सरकार बनाने के प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस उलझन में हैं. इस उलझन की 5 बड़ी वजहें बताई जा रही हैं.

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5 बड़ी उलझनें

1. कांग्रेस अपनी पुरानी सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस को किसी सूरत में नाराज नहीं करना चाहती. जाहिर है कांग्रेस ने अगर पीडीपी के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया तो ये फारूक अब्दुल्ला-उमर अब्दुल्ला को नागवार गुजरेगा.

2. कांग्रेस हमेशा पीडीपी को बीजेपी से हाथ मिलाने के लिए कोसते रहने के साथ कश्मीर में हालात खराब करने के लिए जिम्मेदार ठहराती रही है. ऐसे में बीजेपी से अलग होते ही पीडीपी के साथ सरकार बनाने के हर नफा-नुकसान को कांग्रेस तौल रही है.  

कांग्रेस को लगता है कि घाटी में पीडीपी की सियासी हालत खराब है और उसे बीजेपी से हाथ मिलाने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

3. कांग्रेस को यह भी आशंका है कि बीजेपी (25 विधायक) कहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस (15 विधायक)  और निर्दलियों के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश ना करे. हालांकि पार्टी का साथ ही यह भी मानना है कि घाटी में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस परंपरागत सियासी विरोधी है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक आज के हालात में नेशनल कान्फ्रेंस का पलड़ा भारी लगता है, ऐसे में बहुत कम संभावना है कि वो बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हो.

4. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर एनएन वोहरा से कांग्रेस को कोई खास आपत्ति नहीं, लेकिन उनके बदले जाने की सूरत में किसी नए राज्यपाल की भूमिका सवालों के घेरे में आ सकती है. सूत्रों के मुताबिक इस पहलू को सोचते हुए सरकार बनाना बेहतर विकल्प हो सकता है.

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5. ज्यादातर विधायक, चाहे वो किसी भी पार्टी के हों, राज्य में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते, उनका भी दबाव है.

'देखो और इंतजार करो' पर कांग्रेस

सूत्रों की मानें, ये वो सवाल हैं जिनके चलते कांग्रेस फौरन कोई फैसला नहीं करना चाहती. वो 'देखो और इंतजार करो' की रणनीति पर चलना चाहती है, लेकिन अभी पार्टी सरकार बनाने को लेकर जल्दबाजी करती हुई या कोई उतावली करते खुद को दिखाना नहीं चाहती. इसीलिए सियासी लिहाज से पार्टी की राज्य प्रभारी अम्बिका सोनी ने पीडीपी के साथ सरकार बनाने के सवाल पर बैठक के बाद नपा-तुला बयान देते हुए कहा, 'हम जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करके जल्दी चुनाव चाहते हैं.'

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में ग्रासरूट स्तर पर राय जानने के लिए करीब 100 पार्टी नेताओं की मंगलवार को श्रीनगर में बैठक बुलाई है. इस बैठक में सांसद, विधायक, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक समेत तमाम नेता शामिल हैं.

बहरहाल, जम्मू-कश्मीर को लेकर कांग्रेस 'तेल देखो और तेल की धार देखो' वाली रणनीति पर चल रही है. पर्दे के पीछे बेशक जो भी चल रहा हो, लेकिन पार्टी सामने से कोई लाइन लेते फिलहाल दिखना नहीं चाहती.

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