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दिल्ली विधानसभा में पेश नहीं हो पाया जनलोकपाल

दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल शुक्रवार को भी पेश नहीं हो पाया. बिल सदन में पेश किया जाए या नहीं, इस पर वोटिंग भी कराई गई जिसमें बीजेपी-कांग्रेस के विधायकों ने बिल को पेश किए जाने का विरोध किया. बिल पेश करने के पक्ष में 27 वोट पड़े और विरोध में 42. इसके बाद विधानसभा के स्पीकर एम एस धीर ने कहा कि जनलोकपाल बिल सदन में पेश नहीं होगा.

विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश कर दिया गया विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश कर दिया गया
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 14 फरवरी 2014,
  • अपडेटेड 12:33 AM IST

दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल शुक्रवार को भी पेश नहीं हो पाया. बिल सदन में पेश किया जाए या नहीं, इस पर वोटिंग भी कराई गई जिसमें बीजेपी-कांग्रेस के विधायकों ने बिल को पेश किए जाने का विरोध किया. बिल पेश करने के पक्ष में 27 वोट पड़े और विरोध में 42. इसके बाद विधानसभा के स्पीकर एम एस धीर ने कहा कि जनलोकपाल बिल सदन में पेश नहीं होगा.

आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हम घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं. असेंबली ने हमें जनलोकपाल बिल नहीं रखने दिया. इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस ने हाथ जोड़ लिए. ये हमारी मुख्य चुनावी मांग थी. मगर रास्ता रोक दिया गया. मगर अभी असेंबली चल रही है क्योंकि राजकाज चलाने के लिए जरूरी फैसले लिए जाने हैं.

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज तक को जानकारी दी कि बिल को पेश करने को लेकर कुछ कंफ्यूजन हुई है. उन्होंने स्पीकर से बिल पेश करने की अनुमति मांगी थी.

शुक्रवार को कई बार सदन की कार्रवाई स्थगित होने के बाद शाम को जब करीब सवा चार बजे दोबारा शुरू हुई तो बीजेपी विधायक डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ये लोकपाल बिल पेश करने की प्रक्रिया असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि जब एलजी पहले ही कह चुके हैं कि बिल सवैंधानिक तौर पर मान्य नहीं है तो उसे इस तरह पेश नहीं किया जाना चाहिए. हम इसे गलत मानते हैं. हम सरकार से अपील करते हैं कि वह बिल को संवैधानिक तरीके से पेश करे, अगर वह ऐसा करती है तो हम बिल का समर्थन करेंगे.

कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने भी विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह तय प्रक्रियाओं के खिलाफ है. उन्होंने कहा, ‘विधेयक मतदान के जरिये पेश करना था, ना कि स्पीकर की अनुमति से. जब भी विधानसभा में कोई विधेयक पेश किया जाता है तो इस पर विधानसभा में उसी दिन चर्चा नहीं की जाती. सदस्यों को विधेयक का अध्ययन करने के लिए समय चाहिए होता है. खासतौर पर तब जबकि उपराज्यपाल ने कोई सलाह दी हो.’

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सिंह ने कहा, ‘अगर आप चर्चा कराते हैं तो यह सदन का सबसे बड़ा अपमान होगा. यह सदन की कार्यवाही के खिलाफ है. हम आपसे अनुरोध करते हैं.’ स्पीकर ने कहा कि विधेयक पेश करने के लिए सदन की अनुमति मांगी गयी है. जिसके बाद सदन में विधायकों ने मतदान किया.

इससे पहले बीजेपी और कांग्रेस के विधायकों ने उपराज्यपाल द्वारा विधानसभा को भेजे संदेश को पेश करने की मांग करते हुए हंगामा किया. थोड़ी देर शोर-शराबे और कुछ देर के स्थगन के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उपराज्यपाल का संदेश पढ़ा.

पत्र की विषयवस्तु पढ़ते हुए स्पीकर एम एस धीर ने कहा कि दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 22 (3) के तहत जनलोकपाल विधेयक को वित्त विधेयक होने के नाते सिफारिश के लिए उपराज्यपाल को भेजा जाना है.

उपराज्यपाल ने कहा है कि दिल्ली सरकार के कामकाजी नियमों, 1993 के नियम 55 (1) के अनुसार विधेयक को विधानसभा में पेश किये जाने से पहले उपराज्यपाल द्वारा केंद्र को पूर्व में जानकारी देना जरूरी है.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने अभी तक कथित विधेयक मेरे समक्ष पेश नहीं किया है.’ उपराज्यपाल के मुताबिक, ‘क्योंकि प्रक्रिया का पालन किये बिना विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पेश किया जा रहा है. मैं दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 9 (2) के तहत संदेश देता हूं कि विधेयक पर तब तक विचार नहीं किया जाए जब तक इसे उपराज्यपाल की सिफारिशों के साथ पेश नहीं किया जाता.’ जब स्पीकर ने उपराज्यपाल का संदेश पढ़ लिया तो सदन में हंगामे की स्थिति बनी रही.

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