
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुलेट ट्रेन ड्रीम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगने की खबर के बीच केन्द्र सरकार की तरफ से सफाई दी गई है कि बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए फंडिंग रोकने का कोई फैसला जापान ने नहीं लिया है. यह सफाई केन्द्र सरकार शामिल राज्य सरकारों की एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी है जिसे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई है.
एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार ने दावा किया था कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की फंडिंग करने वाली जापानी कंपनी जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जीका) ने बुलेट ट्रेल नेटवर्क के लिए फंडिग को रोक दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक जापानी कंपनी ने मोदी सरकार से कहा है कि इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने से पहले उसे देश में किसानों की समस्या पर पहले गौर करने की जरूरत है.
एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन योजना के निर्माण में गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों से जमीन अधिग्रहण का मामला विवादों में पड़ रहा है. इस विवाद को देखते हुए जहां केन्द्र सरकार ने एक स्पेशल कमिटी का गठन किया है वहीं जापानी कंपनी ने फंड रोकते हुए कहा है कि मोदी सरकार को पहले किसानों की समस्या से निपटने की जरूरत है. '
जीका जापान सरकार की एजेंसी है और वह जापान सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक-आर्थिक नीतियों का निर्धारण करती है. वहीं नैशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआरसीएल) को भारत में बुलेट ट्रेल प्रोजेक्ट का जिम्मा मिला है. फिलहाल भारत सरकार की इस एजेंसी को बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में किसानों से जमीन अधिग्रहण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.
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बुटेल ट्रेन प्रोजेक्ट में शामिल दोनों राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में किसान अपनी जमीन के लिए अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इस मुआवजे के अलावा दोनों राज्यों में किसानों ने जमीन देने के लिए शर्त रखी है कि सरकार इन इलाकों में सामान्य सुविधाओं के साथ-साथ साझा तालाब, स्कूल, सोलर लाइट समेत गांव स्तर पर हॉस्पिटल और डॉक्टर की व्यवस्था भी सुनिश्चित करे.इस रिपोर्ट के बाद सरकारी कंपनी ने दावा किया है कि मीडिया में प्रकाशित ऐसी खबरें गलत है. सरकार के मुताबिक इस तरह का कोई फैसला जीका ने नहीं लिया है. वहीं सरकार कंपनी ने दावा किया कि भारत सरकार और जीका के बीच 10 बिलियन येन का लोन एग्रीमेंट किया जा चुका है और जीका की तरफ से प्रोजेक्ट के लिए कोई भी फंड मौजूदा समय तक पेंडिंग नहीं है. वहीं किसानों की समस्या पर कहा है कि कंपनी इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होने वाले किसानों की समस्या से वाकिफ है और प्रभावित होने वाले किसानों की पूरी जिम्मेदारी कंपनी की है.
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गौरतलब है कि 508 किलोमीटर की बुलेट ट्रेन परियोजना में लगभग 110 किलोमीटर का सफर महाराष्ट्र के पलघर से गुजरता है और केन्द्र सरकार को यहां के किसानों से जमीन लेने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. वहीं गुजरात में भी सरकार को लगभग 85द हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण आठ जिलों में फैले 5000 किसान परिवारों से करना है.
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट जहां केन्द्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है वहीं इसकी फंडिंग करने वाली जापानी एजेंसी ने अभीतक महज 125 करोड़ रुपये जारी किए हैं. भारत और जापान के बीच हुए समझौते के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा करने के लिए जापान को लगभग 80,000 करोड़ रुपये का निवेश करना है जबकि बचा हुआ 20,000 रुपये केन्द्र सरकार योजना में लगाएगी. अब फंडिंग रोकने के जापान के फैसले के बाद नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के पास इस प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने के लिए विकल्प की कमी है.