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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना जापान के सहयोग से बनाई जानी है. इसके लिए दोनों देशों की सरकारों के बीच अहम करार भी हो चुके हैं, लेकिन हाल ही में जापान में एक बड़ा स्टील स्कैंडल हुआ है. इस स्कैंडल में सामने आया है कि जापान की बुलेट ट्रेन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला स्टील तय मानकों के मुताबिक नहीं है. इससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या इसका मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन पर भी कोई असर पड़ेगा या नहीं.
कोबी स्टील पर लगे हैं आरोप
दरअसल जापान की कंपनी कोबी स्टील लिमिटेड पर बुलेट ट्रेन के लिए घटिया माल खपाने का आरोप लगा है. कंपनी ने आशंका जताई है कि कोबी स्टील के रिसर्च सेंटर में कुछ छेड़छाड़ की गई है. कंपनी की तरफ से भेजे गए स्टील को अधोमानक पाया गया. इसकी खबर मीडिया में आने के बाद कंपनी के मैनेजमेंट ने इसके लिए माफी भी मांग ली है.
सुरक्षा को कोई खतरा नहीं
सेंट्रल जापान रेलवे और यहां बुलेट ट्रेन का संचालन करने वाली कंपनियों ने हालांकि साफ किया है कि इससे सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है. कंपनी की तरफ से भेजा गया स्टील मानकों पर खरा नहीं उतरा है. जापान सरकार फिलहाल इस मामले की जांच में जुटी है.
भारत के लिए कितना चिंताजनक
भारत की पहली बुलेट ट्रेन जापान के सहयोग से ही बन रही है. ऐसे में जापान में बुलेट ट्रेन से जुड़ा स्कैंडल सामने के आने के बाद भारत में भी चर्चा शुरू होने लगी है. यहां सवाल उठने लगे हैं कि इस घोटाले का भारत पर क्या असर पड़ सकता है. हालांकि भारत की बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट परियोजना में जापान के सहयेाग को देखें, तो इसका कोई असर इस पर पड़ता नहीं दिख रहा है.
मेक इन इंडिया पर है फोकस
भारत की पहली बुलेट ट्रेन तैयार करने के लिए जापान टेक्नोलॉजी और वित्तीय मदद दे रहा है. भारतीय बुलेट ट्रेन का खाका भी जापान ने ही तैयार किया है. हालांकि बुलेट ट्रेन बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कलपुर्जे और अन्य चीजें स्वदेश में ही बनाई जाएंगी. भारत सरकार इसके जरिये 'मेक इन इंडिया' कैंपेंन को बढ़ावा देना चाहती है. ऐसे में कोबी के इस स्कैंडल का कोई भी असर भारत पर होना न के बराबर है.
असुरक्षित नहीं, अधोमानक की है शिकायत
जापान में सामने आए इस घोटाले की बात करें, तो इसमें कंपनी पर आरोप है कि उन्होंने बुलेट ट्रेन के लिए जो स्टील इस्तेमाल किया, वह अधोमानक है. बुलेट ट्रेन का संचालन करने वाली कंपनियों ने साफ किया है कि इससे बुलेट ट्रेन की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
भारत के पास कई हैं विकल्प
ऐसे में अगर भविष्य में भारत सरकार जापान से स्टील मंगाती भी है, तो कोबी के अलावा कई बड़ी जापानी कंपनियां हैं, जिनसे वह स्टील ले सकती है. जापान की स्टील इंडस्ट्री में जेएफई होल्डिंग्स समेत अन्य कंपनियों की भागीदारी 75 फीसदी से भी ज्यादा है. कोबी स्टील इस इंडस्ट्री का एक छोटा सा हिस्सा है.
बेहतर है जापान का ट्रैक रिकॉर्ड
जापान में चलने वाली बुलेट ट्रेन का अब तक रिकॉर्ड है कि इसकी वजह से कोई हादसा नहीं हुआ है. जिसका सीधा मतलब है कि यहां की बुलेट ट्रेन के सुरक्षा मानक काफी कड़े हैं. भारत में चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन भी जापान की तकनीक के बदौलत बनने वाली है. ऐसे में जापान का ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए इस तकनीक पर भरोसा जताया जा सकता है.