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जिन्होंने जयललिता को ध्यान से देखा होगा, वे अपनी याददाश्त पर कितना ही जोर डाल लें, लेकिन उनको ये याद नहीं आएगा कि जयललिता कभी पसीने और सिलवट वाली साड़ी में नजर आई हों.
जयललिता को जो करीब से जानते हैं, उनके लिए भी वे उतनी ही अबूझ पहेली रहीं जितनी दूर से उनको देखने वालों के लिए. यहां हम बता रहे हैं उनके बारे में कुछ ऐसी ही अनूठी और हटके बातों के लिए जानी जाती रही हैं 'अम्मा'.
पढ़ने में उस्ताद
जयललिता पढ़ाई में बेहद तेज थीं और इसके लिए उनको स्कॉलरशिप भी मिली थी. लेकिन
जयललिता को कुकिंग, लिखने, तैराकी, घुड़सवारी का भी शौक रहा. जयललिता द्वारा अंग्रेजी और तमिल भाषा में लिखे गए कई लेख और उपन्यास अब तक
प्रकाशित हो चुके हैं. फिल्मों की शूटिंग के दौरान उनको ब्रेक के टाइम पर इंग्लिश की किताबें पढ़ते देखा जा सकता था.
हालांकि इन सभी चीजों के साथ वह क्लासिकल डांस में भी पारंगत थीं.
उनके बाल कभी बिखरे नहीं दिखे
अपनी अपीयरेंस पर जयललिता बहुत ध्यान देती थीं. फिल्म स्टार होने का यह पहलू उनकी शख्सियत के साथ हमेशा जुड़ा रहा और इससे उनके फैन्स में उनकी देवी
सरीखी छवि भी मजबूत रही.
उनकी बिंदी का साइज हमेशा एक जैसा रहा और यह कभी इधर-उधर खिसकी नहीं दिखी. उनकी चोटी भी हमेशा एक ही तरीके से करीने से बनी होती थी.
अमूमन महिलाएं कितना भी ध्यान दे लें, लेकिन उनके बाल या लुक कभी न कभी तो खराब होता ही था. लेकिन उनके लिए 'बैड हेयर डे' जैसी कोई बात
कभी नहीं रही.
साड़ी-जूतों का क्रेज
जयललिता को महंगी साड़ियों और जूतों का काफी क्रेज था. उनके यहां जब CBI के छापे पड़े थे, तब उनके पास से 750 जोड़ी जूते मिले थे. यही नहीं, इस
छापे में कई किलो सोना और डेढ़ किलो रत्नों से जड़ी कमर की पेटी भी जब्त हुई थी.
इसके अलावा, उनके पास से 10,500 बेहद महंगी साड़ियां भी मिली थीं.
एक खास बात ये भी है कि उनको गहरे रंग की साड़ियों से खासा लगाव था. हल्के रंग की साड़ी उन्होंने शायद ही कभी पहनी होगी.
वहीं उनको स्टोल और शॉल ओढ़ने का शौक खासतौर पर रहा है. बताया जाता है कि एक बार उन्होंने बुलेट-प्रूफ जैकेट के ऊपर भी शॉल ओढ़ी थी.
जो चाहिए, सो चाहिए की आदत
जयललिता को गुस्सैल और गजब का जिद्दी भी बताया जाता है. 80 के दशक का एक किस्सा तो आज भी याद किया जाता है-
राज्यसभा की सदस्यता के दिनों वह अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान अकसर तमिलनाडु भवन में रहतीं. उस के लिए वहां का स्टाफ उनकी पसंद का खास ड्रिंक
(जिन और नारियल पानी) बना कर रखना कभी नहीं भूलता था. लेकिन एक बार वहां के कर्मचारी नारियल खरीदना भूल गए. इस बात पर उन्होंने तमिलनाडु
भवन के शीशे तोड़ने शुरू कर दिए.
आखिरकार भवन के अफसरों ने हरियाणा भवन से नारियल पानी मंगा कर जयललिता को उनका पसंदीदा ड्रिंक पेश किया. तब वह शांत हुईं.
छोटी उम्र से काम करने का दुख
उन्होंने कई साल पहले एक तमिल पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनके पिता एक आलसी इंसान थे, जिनका काम करने में मन नहीं लगता था.
उनकी मां ने 16 साल की उम्र में पढ़ाई छुड़वा थी और अभिनय करके पैसा कमाने के लिए मजबूर किया था.
उन्होंने यह भी स्वीकारा था कि बचपन की यादें ताजा होने पर आज भी उनकी की आंखें छलछला जाती हैं. वहीं लोग ये भी कहते हैं कि उनके चिड़चिड़े
व्यवहार के पीछे उनका बिखरा हुआ बचपन ही था.
कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि जयललिता अपनी पहली तमिल फिल्म उस समय देख पाई नहीं थीं. दरअसल इस फिल्म को ए सर्टिफिकेट मिला था
और वह तब मात्र 16 साल की थीं. इस फिल्म का नाम था Vennira Aadai यानी सफेद वस्त्र.
सनक की पक्की
राजनीति के गलियारों में वह एक तानाशाह के तौर पर भी मशहूर रहीं. उनकी पार्टी के लोग उनको दंडवत प्रणाम करते. जयललिता के लिए निष्ठुर व निर्मम आयरन लेडी जैसे शब्द भी प्रयुक्त किए जाते. इसे हालात कहें, वक्त की मार या फिर उनका अपना नेचर. वजह जो भी हो,
वह ग्लैमर, सत्ता व राजनीति के हर खेल की माहिर रहीं.
उनकी सनक और धुन का एक उदाहरण देखें -
1989 में जब उन्होंने विधानसभा में करुणानिधि के बजट पेश करने के दौरान आपत्ति जताई थी तो वहां अफरातफरी मच गई थी. और एक बार तो ऐसी
स्थिति पैदा हो गई थी कि डीएमके के एक वरिष्ठ सदस्य ने उनके कपड़े फाड़ दिए थे. तब उन्होंने कसम खाई थी कि वे विधानसभा में बतौर मुख्यमंत्री ही
आएंगी.
और उन्होंने यह बात पूरी करके भी दिखाई.
महिला अधिकारों की पक्षधर
वह महिला अधिकारों की जबरदस्त पक्षधर भी रहीं. इस दिशा में उन्होंने कई योजनाएं भी चलवाईं. 90 के दशक में तमिलनाडु में मेल-फीमेल रेश्यो बहुत
गिर गया था. कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए उन्होंने बच्चियों को गोद देने की योजना बनाई थी. उनकी सरकार ने पहली बार सिर्फ महिलाओं द्वारा
संचालित किए जाने वाले पुलिस स्टेशन शुरू करवाए थे.
जयललिता ने पुलिस की नौकरियों में महिलाओं के लिए 30% का कोटा रखा था. यही नहीं,
जयललिता की ओर से ऐसी लाइब्रेरी, स्टोर, बैंक आदि भी चलवाए गए थे जिनके संचालन का पूरा जिम्मा महिलाएं उठाती थीं.