
वित्तीय मुश्किलों से घिरा जयप्रकाश (जेपी) एसोसिएट्स की कठिनाइयां बढ़ती जा रही है. जेपी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह यमुना एक्सप्रेस वे के आसपास की जमीन को दूसरी कंपनी को 2500 करोड़ में देना चाहता है. कोर्ट ने 23 अक्टूबर तक रकम जमा करने को कहा है.
यानी यमुना एक्सप्रेस-वे के आसपास की जमीन का अधिकार जल्द ही किसी अन्य कंपनी को मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को करेगा.
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए कंपनी को 2000 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था. दरअसल जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया घोषित किए जाने के मामले पर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को यह रकम जमा कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद जेपी इंफ्रा ने कोर्ट से राहत देने की गुहार लगाई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि हम अपने आदेश में कोई संशोधन नहीं करेंगे.
कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणी
इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हम कंपनी के हितों की चिंता नहीं. कंपनी बंगाल की खाड़ी में डूबती है तो डूब जाए, हमें घर खरीदारों की फिक्र है. इन खरीदारों में से ज्यादातर निम्न और मध्यम वर्ग के हैं. फ्लैट खरीदारों का संरक्षण किए जाने की जरूरत है. यह हमारा कर्तव्य है और उन्हें या तो फ्लैट दिया जाना चाहिए या उनका पैसा वापस मिलना चाहिए.