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नोटबंदी लागू होने के 50 दिन पूरे होने वाले हैं. ऐसे में विपक्ष एक बार फिर एकजुट होकर सरकार को घेरने की योजना बना रहा था, लेकिन अब इसमें फूट पड़ती दिख रही है. 30 दिसंबर को पुराने नोट जमा करने की अवधि समाप्त हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हालात सामान्य करने के लिए जनता से 50 दिन का समय मांगा था. ऐसे में 27 दिसंबर को विपक्षी दलों ने एक होकर आगे की रणनीति पर विचार करने का फैसला किया था.
27 दिसंबर को होने वाली 16 विपक्षी दलों की मीटिंग से पहले ही इसमें फूट की खबरें आने लगी हैं. वाम दलों इसमें शामिल होने की संभावना नहीं है. सिर्फ वाम दल ही नहीं जेडीयू के भी इसमें शामिल होने की संभावना अब ना के बराबर है. जेडीयू ने बैठक से पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम की मांग की है. सीताराम येचुरी ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की मंगलवार को होने वाली जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं होंगे. येचुरी ने कहा कि सभी 16 विपक्षी दलों वहां नहीं होंगे. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री वहां होंगी तो तो क्यों नहीं असम, त्रिपुरा और अन्य विपक्षी राज्य क्यों नहीं? योजना ठीक से नहीं बनाई गई है. अगर प्रधानमंत्री नए घोषणा लेकर आते हैं तो वाम दल प्रदर्शन करेंगे, निर्भर करता है कि वो क्या करेंगे.
वहीं जेडीयू के केसी त्यागी ने कहा कि इस बैठक के पीछे की असली भावना के बारे में पता नहीं है. विपक्षी पार्टियों की मीटिंग के लिए कॉमन एजेंडा, जो कि होना चाहिए नहीं मिला है. ममता चाहतीं हैं कि फैसला वापस हो, लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते. विपक्ष के कुछ ईर्ष्यालु नेताओं द्वारा नीतीश कुमार को गलत समझा गया. उन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया था, मोदी या अन्य मुद्दों का नहीं.