
चुनावी मौसम में राजनीतिक वफादारी गिरगिट की तरह रंग बदल रही है. ताजा उदाहरण बिहार का है. जेडीयू के अहम मुस्लिम चेहरे साबिर अली को बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की नीतियां अच्छी लगने लगी हैं. ये वही साबिर हैं जो कभी गुजरात दंगों के आधार पर मोदी को पानी पी-पीकर कोसा करते थे.
पार्टी लाइन तोड़कर मोदी की तारीफ करने की सजा भी साबिर अली को मिल गई. जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने बताया कि उन्हें जेडीयू से निकाल दिया गया है और शिवहर से उनकी लोकसभा उम्मीदवारी भी खत्म कर दी गई है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि साबिर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो यह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा.
पार्टी से निकाले जाने के बाद साबिर भी भड़क उठे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें मुस्लिम होने की सजा दी गई है और अगर वह कुर्मी के बेटे होते तो ऐसा न होता. उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेजने का वादा किया था, लेकिन लोकसभा कैंडिडेट बना दिया. केसी त्यागी पर निशाना साधते हुए साबिर ने कहा, 'जो लोग यहां मौना बाबा की दलाली कर रहे हैं, अब वो हमें निष्कासित करेंगे? कोई केसी त्यागी कह रहे हैं कि उन्होंने मुझे पार्टी से निकाल दिया है. ये वो लोग हैं जो म्यूनिसिपल चुनाव भी नहीं लड़ सकते. बहुत जल्द मौना बाबा वेंटिलेटर पर होंगे. मैंने किसी का नाम नहीं लिया था. पर देश उनके हाथ में होना चाहिए जो सब कुछ कंट्रोल कर सकें.'
साबिर अली ने कहा कि जब उनके साथ पार्टी ऐसा धोखा कर सकती है तो बिहार की जनता के साथ क्या कुछ नहीं हो सकता. अगर टिकट सही आदमी को दिया जाता तो वह आपत्ति न जताते, लेकिन उन्हें राज्यसभा का टिकट इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि वह मुस्लिम समुदाय से आते हैं.
साबिर ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी जेडीयू को बीजेपी से अलग होने की सलाह नहीं दी थी और यह पूरी तरह से नीतीश कुमार का ही फैसला था. साबिर ने कहा कि उन्हें कभी मोदी को करीब से देखने का मौका भी नहीं मिला है, लेकिन अब वह तय करेंगे कि उन्हें आगे क्या करना है.