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अमरनाथ यात्रा से पहले सीजफायर के दौरान हमले के लिए घात लगाए बैठे हैं JeM और लश्कर

बता दें कि 450 आतंकियों में से ज्यादातर जैश ए मोहम्मद के हैं और इन्हें पाकिस्तानी सेना ने न्याली में ट्रेनिंग दी है. पिछले कुछ महीनों में आईएसआई जम्मू कश्मीर में हमले के लिए जैश ए मोहम्मद के आतंकियों को इस्तेमाल कर रही है.

जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर
नंदलाल शर्मा
  • श्रीनगर/नई दिल्ली,
  • 08 जून 2018,
  • अपडेटेड 10:50 AM IST

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के अपने दौरे के पहले दिन बरसों पुरानी समस्या के समाधान के लिए सभी साझेदारों से बातचीत की बात कही, लेकिन इंटेलीजेंस रिपोर्ट की माने तो पाकिस्तान लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के 450 नए आतंकियों के साथ अमरनाथ यात्रा से पहले हमले की ताक में है. इन आतंकियों को पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप और ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस) ने ट्रेनिंग दी है.

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रमजान के दौरान भारत ने एकतरफा सीजफायर की घोषणा की है. इंटेलीजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक हमले की ताक में ये आतंकी सीमा पार 11 लॉन्च पैड पर बैठे हुए हैं. इनमें कील, शरडी, दूधनियाल, अथमुकाम, जूरा, लीपा, पछीबन, ठंडापानी, न्याली, लानजोत और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के निकैल-इन जैसे इलाके शामिल हैं.

बता दें कि 450 आतंकियों में से ज्यादातर जैश ए मोहम्मद के हैं और इन्हें पाकिस्तानी सेना ने न्याली में ट्रेनिंग दी है. पिछले कुछ महीनों में आईएसआई जम्मू कश्मीर में हमले के लिए जैश ए मोहम्मद के आतंकियों को इस्तेमाल कर रही है.

दूसरी ओर पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप ने लश्कर ए तैयबा के 61 आतंकियों को जूरा में ट्रेनिंग दी है, ताकि ये बॉर्डर एक्शन टीम का हिस्सा बन सकें. इनके अलावा लश्कर के कई फिदायीन हमलावरों को बोई, मदरपुर, फगोश और देवलिन में ट्रेनिंग दी गई है.

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रिपोर्ट की माने तो 127 आतंकी भीम्बर गली के ठीक सामने स्थित लॉन्च पैड पर मौजूद हैं. इनमें से 30-30 नौशेरा और पुंछ में हैं. 35 कृष्णा घाटी में, 61 तंगधार में, 50 केरन, 42 माछिल, 16 गुरेज, 47 उरी और नौगाम-रामपुर में 6-6 आतंकी सीमापार लॉन्च पैड पर मौजूद हैं.

सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शंकर प्रसाद ने कहा कि सेना की ओर से सीजफायर या किसी भी तरह की कोई गतिविधि पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर में आतंक को बढ़ावा से नहीं रोक पाएगी. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं और ये कड़वा सच है, लेकिन राजनीति के चलते हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं. हम इस तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि आतंकियों की एक बड़ी संख्या एलओसी पार करने को तैयार है.

प्रसाद ने इंडिया टुडे से कहा कि सीजफायर के दौरान घुसपैठ इसलिए नहीं हो पा रही है, क्योंकि जम्मू कश्मीर में घुसने के लिए सुरक्षा के कई स्तर को पार करना पड़ता है. उन्होंने कहा, 'सेना और अन्य सुरक्षा बल बहुत ही सतर्क हैं. अगर कोई आतंकी पहले स्तर के सुरक्षा घेरे को पार कर लेता है, तो इसके बाद सुरक्षा के दो और घेरे भी हैं. एलओसी पर घुसपैठ रोकने के लिए सेना उच्च स्तर के मानकों का पालन करती है.'

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प्रसाद ने कहा कि कश्मीर के नेताओं को आतंकियों को समझाना चाहिए कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें. बता दें कि रमजान के महीने में आतंकी बिना हथियारों के अपने परिवार से मिलने के लिए लौट रहे हैं. उन्होंने कहा, 'इस समय एमएलए, एमएलसी और सांसदों को आतंकियों के परिवारों के साथ बात करनी चाहिए और युवाओं को समझाना चाहिए कि उन्होंने गलत रास्ता चुना है.'

मेजर जनरल (रिटायर्ड) और सुरक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल ने इंडिया टुडे से कहा कि अगर सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा एक्शन नहीं लिया, तो 2019 के चुनावों में उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.

उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान जैसा छोटा देश, जिसकी अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खस्ता है, आतंकियों के जरिए भारत पर हमला कर रहा है, क्योंकि हम पाकिस्तान के खिलाफ पर्याप्त एक्शन नहीं ले रहे हैं. ये बहुत ही महत्वपूर्ण समय है और भारत को तुरंत ही इन लॉन्च पैड को नष्ट कर देना चाहिए.'

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