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झारखंड: सुदेश महतो को BJP का वॉकओवर, क्या चुनाव बाद गठबंधन बनेगा रास्ता?

झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) की सियासी राहें जुदा हो गई हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने सिल्ली सीट पर आजसू प्रमुख सुदेश महतो के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी ने क्या सुदेश महतो को वॉकओवर देकर चुनाव बाद गठबंधन का विकल्प खोल रखा है?

सीएम रघुवर दास और आजसू प्रमुख सुदेश महतो सीएम रघुवर दास और आजसू प्रमुख सुदेश महतो
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

  • झारखंड में बीजेपी-आजसू अलग-अलग चुनाव मैदान में
  • सुदेश महतो की सीट पर बीजेपी ने नहीं उतारा प्रत्याशी

झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) की सियासी राहें जुदा हो गई हैं और दोनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक रही हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने आजसू प्रमुख सुदेश महतो से दोस्ती निभाई है. सिल्ली सीट पर सुदेश महतो के खिलाफ बीजेपी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी ने क्या सुदेश महतो को वॉकओवर देकर चुनाव बाद गठबंधन का विकल्प खोल रखा है?

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सुदेश महतो को बीजेपी का वॉकओवर

बीजेपी ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को अपने प्रत्याशियों की पांचवीं और अंतिम सूची जारी की है. बीजेपी ने सुदेश महतो की सिल्ली सीट छोड़कर शेष बची सभी सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने राज्य की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 79 पर प्रत्याशी उतारे हैं.  हुसैनाबाद से बीजेपी ने निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थित उम्मीदवार बनाया है. जबकि, सिल्ली सीट से बीजेपी ने किसी को टिकट नहीं दिया है.

आजसू पर हमले से बच रही बीजेपी

बता दें कि एनडीए से सुदेश महतो के अलग होने के बाद से बीजेपी के नेताओं ने अब तक आजसू और सुदेश महतो पर किसी तरह की तीखी टिप्पणी नहीं की है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी चुनाव बाद की रणनीति को भी ध्यान में रखकर चल रही है. इसीलिए आजसू पर हमले से बीजेपी परहेज कर रही है. बीजेपी को उम्मीद है कि चुनाव के बाद अगर स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में आजसू एनडीए में शामिल होगी. फिलहाल भले ही अभी सीटों लेकर मतभेद पैदा हो गए हों.

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बता दें कि झारखंड बनने के बाद से बीजेपी और आजसू साथ रही हैं, लेकिन इस चुनाव में सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर बात नहीं बन सकी. इसके चलते दोनों पार्टियां अलग-अलग होकर मैदान में उतरी हैं. इसके चलते सियासी परिदृश्य में जहां कई सीटों पर नए समीकरण उभरने लगे हैं तो कई पार्टियों के सामने नई चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं.

2014 में आजसू ने जीती थीं पांच सीटें

2014 में 8 विधानसभा सीटों पर लड़कर पांच सीटें जीतने वाली आजसू इस बार के चुनाव में शुरुआत से ही बीजेपी से 17 सीटें मांगी थीं. एजेएसयू प्रमुख सुदेश महतो ने उन सभी सीटों पर दावेदारी की थी, जिसमें पिछले चुनाव में पार्टी जीती थी, या फिर दूसरे स्थान पर रही थी. बीजेपी के झारखंड प्रभारी ओम माथुर ने कहा था कि एजेएसयू की इस चुनाव में महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई थीं, जिसे पूरा करना आसान नहीं था. इसी के चलते  दोनों के बीच गठबंधन को लेकर सहमति नहीं बन सकी.

सीट शेयरिंग पर नहीं बनी बात

हालांकि बीजेपी नेतृत्व इस चुनाव में एजेएसयू को नौ सीटें और उसके बाद 13 सीटें देने को राजी था. इसके बावजूद दोनों दलों की राहें जुदा हो गईं और दोनों दलों ने अपने-अपने कैंडिडेट इस चुनाव में कई सीटों पर आमने-सामने उतार दिए.आजसू ने 26 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. टिकट कटने से नाराज नेताओं की पहली पसंद भी आजसू बनी, जिसका लाभ सुदेश महतो ने भरपूर तरीके से उठाया है.

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झारखंड की घाटशिला से पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू और छतरपुर से बीजेपी के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण किशोर को उतारकर बीजेपी और विपक्षी दल के गठबंधन को सकते में डाल दिया है. आजसू ने पांच ऐसी सीटों पर भी उम्मीदवार उतारकर बीजेपी को सीधे चुनौती दे दी है, जो फिलहाल बीजेपी के कब्जे में हैं.

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