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झारखंड: कटेंगे आधे विधायकों के टिकट? दोबारा नहीं चुनती प्रदेश की जनता

झारखंड के सियासी रण में 50 फीसदी से ज्यादा विधायक अपनी सीट नहीं बचा पाते हैं और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ता है. ऐसे में सियासी दल अपने-अपने मौजूदा विधायकों में से बड़ी संख्या में टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगा सकते हैं.

झारखंड, सीएम रघुवर दास झारखंड, सीएम रघुवर दास
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST

  • झारखंड में 50% मौजूदा MLA दोबारा नहीं जीत पाते
  • राजनीतिक दल वोटिंग ट्रेंड के चलते काट सकते हैं टिकट

झारखंड विधानसभा चुनाव की जंग जीतने के लिए राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण सेट करने में जुट गई हैं. पिछले चुनावी ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो प्रदेश में दूसरी बार चुनावी जंग फतह करना विधायकों के लिए मुश्किल भरा होता है. झारखंड में 50 फीसदी से ज्यादा विधायक अपनी सीट नहीं बचा पाते हैं और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ता है. ऐसे में सियासी दल अपने-अपने मौजूदा विधायकों में से बड़ी संख्या में टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगा सकते हैं.

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मौजूदा समय में झारखंड में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी है. सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी हरसंभव कोशिश में जुट गई है और उसने 65 प्लस सीटें जीतने का टारगेट रखा है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी अपने मौजूदा तीन मंत्रियों और लगभग एक दर्जन विधायकों को दोबारा से मौका देने के मूड में नहीं है. ऐसे में चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार पर ही दांव खेलने की योजना बनाई है. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) भी अपने कई विधायकों का टिकट काटकर उनकी जगह नए चेहरे उतार सकती है.

बता दें कि झारखंड बनने के बाद से अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. 2005 से लेकर 2014 तक हुए चुनाव के वोटिंग ट्रेंड को देखें तो प्रदेश की जनता बदलाव के लिए वोट करती आ रही है. झारखंड बनने के बाद पहली बार 2005 में विधानसभा चुनाव में हुए तो राज्य के कुल 81 विधायकों में से 50 विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा.

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2005 में 50 विधायकों को हार का सामना करना पड़ा

2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 32 मौजूदा विधायकों में से 19 को हार का मुंह देखना पड़ा था और महज 13 ही जीतकर दोबारा विधानसभा पहुंच सके थे. ऐसे में जेएमएम के 12 में से 6 विधायक हार गए थे और 6 जीतकर दोबारा आए थे. कांग्रेस के 11 में से 7 विधायक हार गए और 4 जीतकर आए थे. ऐसे ही आरजेडी के 9 विधायकों में से 7 हार गए थे और 2 जीतकर दोबारा आए थे.  समता पार्टी (मौजूदा समय जेडीयू) के आठ विधायकों में से पांच हार गए थे और तीन ही जीत सके थे.

2009 में 61 मौजूदा विधायक नहीं बचा पाए सीट

2009 में झारखंड के विधानसभा चुनाव में कुल 81 मौजूदा विधायकों में से 61 विधायकों को हार का सामना करना पड़ा था. इस तरह से महज 20 विधायक ही दोबारा से विधानसभा पहुंचने का जनता ने मौका दिया था. 2009 में जेएमएम के 17 में से 12 विधायकों को हार का सामना करना पड़ा था और महज 5 विधायक ही जीत सके थे. ऐसे में कांग्रेस के 9 में से 7 विधायक हार गए थे और दो ही जीत सके थे. आरजेडी के सात में छह विधायकों को हार का सामना करना पड़ा था और एक को ही जीत मिल सकी थी. एजेएसयू के दो विधायक मैदान में उतरे थे और दोनों को हार का मुंह देखना पड़ा था.

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2014 में 55 विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा

2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में कुल 81 विधायकों में से 55 विधायकों को जनता ने नकार दिया था. ऐसे में जेजेएम के 18 विधायकों में से 11 को हार का सामना करना पड़ा था और 7 दोबारा से विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे. ऐसे ही बीजेपी के 18 में से 8 विधायकों को हार झेलनी पड़ी थी और 10 जीतकर आए थे. एजेएसयू के पांच विधायको में दो हार गए और तीन जीते थे. जबकि आरजेडी के पांचों विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा था.

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