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झारखंड विधानसभा चुनाव: रघुबर दास के लिए सरयू राय कितने खतरनाक होंगे

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास और पूर्व मंत्री और भाजपा नेता सरयू राय के बीच लड़ाई तीखी और तल्ख होने के साथ निजी रूप धर चुकी है. अब झारखंड विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. अब रघुबर दास का राजनीतिक करियर तभी आगे बढेगा, जब वह सरयू राय को हरा देते हैं. अगर दास चुनाव हार जाते हैं तो उनकी सियासी पारी पर विराम लगने का खतरा मंडराएगा

फोटोः सरयू राय का फेसबुक पेज फोटोः सरयू राय का फेसबुक पेज
मंजीत ठाकुर
  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

ऐसा माना जा रहा था कि झारखंड में विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly election 2019)  में महागठबंधन (Mahagathbandhan) की टक्कर भाजपानीत एनडीए (NDA) और रघुबर दास (Raghubar Das) से होगी. भाजपा (BJP) कार्यकर्ताओं ने 'घर-घर रघुबर' और 'अबकी बार पैंसठ पार' का अति उत्साही नारा भी दिया था. पर ऐसा लगता है कि झारखंड की सियासत, खासकर भाजपा में कद्दावर हैसियत रखने वाले सरयू राय (Saryu Rai) के बागी होने और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के खुलकर खम ठोंकने के बाद भाजपा महागठबंधन (Mahagathbandhan) की बजाए अपनो से लड़ने में मुब्तिला हो गई है.

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यह लड़ाई इतनी तल्ख है कि बागी हो चुके सरयू राय (Saryu Rai) ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास (Raghubar Das), जिनकी कैबिनेट में वह खुद रविवार तक खाद्य और आपूर्ति मंत्री थे, के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट से परचा दाखिल कर दिया है. अब लड़ाई सीधी हो गई है. रघुबर दास भी (Raghubar Das) जमशेदपुर पूर्वी सीट से ही लड़ते हैं.

असल में, सरयू राय को इस चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था. तब शनिवार को जमशेदपुर में राय ने एक संवाददाता सम्मेलन में गुस्से में कहा था, ‘पार्टी नेतृत्व से सीट की भीख मांगना मेरे लिए उपयुक्त नहीं है. इसलिए मैंने उनसे मेरे नाम पर विचार नहीं करने को कहा है.’

रविवार को ही राय ने विधायक पद के साथ-साथ मंत्रीपद से भी त्यागपत्र दे दिया. पर गौरतलब है कि राय ने भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है.

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महागठबंधन (Mahagathbandhan) ने इस मौके को फौरन लपका, पर राय का समर्थन करने से हिचक गया. पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने सरयू राय के इस क़दम का स्वागत किया और रांची में कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वे सरयू राय (Saryu Rai) के साथ खड़े हैं. उनके इस बयान के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस पार्टी ने जमशेदपुर पूर्व सीट से अपने चर्चित प्रवक्ता गौरव वल्लभ को पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर दी.

पर सरयू राय (Saryu Rai) आखिर रघुबर दास (Raghubar Das) के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं? झारखंड की राजनीति में सरयू राय (Saryu Rai) की अहमियत क्या है? इसका जवाब हैः बहुत. बिहार-झारखंड में हुए चारा घोटाले को जनता के सामने लाकर उसकी अदालती जांच को अंजाम तक पहुंचाने में सरयू राय (Saryu Rai) की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. सरयू राय (Saryu Rai) ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को जेल भिजवाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी. झारखंड में उनकी प्रतिष्ठा इससे काफी बढ़ गई.

रघुबर दास ने जमशेदपुर पूर्वी सीट से पहला चुनाव 1995 में लड़ा था. तब भाजपा ने अपने निवर्तमान विधायक दीनानाथ पांडेय का टिकट काटकर उन्हें चुनाव लड़ाया था. पांडेय ने शिवसेना के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ा और रघुबर दास (Raghubar Das) बमुश्किल चुनाव जीत पाए थे. पर उसके बाद से रघुबर दास (Raghubar Das) लगातार इस सीट पर जीत हासिल करते रहे. 2009 में वह पहली बार झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने और साल 2014 में मुख्यमंत्री.

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2014 में पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने 70,000 से भी अधिक वोटों के अंतर से जीता था. तब यहां भाजपा को 61.5 फ़ीसद वोट मिले थे. तब कांग्रेस 19.8 फ़ीसद वोट लेकर दूसरे स्थान पर रही थी. भाजपा उम्मीदवार के तौर पर दास को 1,03,427 वोट मिले थे. 

अब इस तीखी और तल्ख लड़ाई के निजी रूप धरने के बाद से झारखंड विधानसभा चुनाव  (Jharkhand Assembly election 2019) काफी दिलचस्प हो गया है. आखिर, रघुबर दास (Raghubar Das) का राजनीतिक करियर तभी आगे बढ़ेगा, बल्कि चमकेगा अगर वह सरयू राय को हरा देते हैं. अगर दास चुनाव हार जाते हैं तो उनकी सियासी पारी पर विराम लगने का खतरा मंडराएगा. 

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