
मोदी के सामने कौन? ये वो बड़ा सवालिया तीर है, जिसके वार ने कांग्रेस को सबसे ज्यादा कमजोर किया है. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से बीजेपी हो या कांग्रेस विरोधी दूसरे दल, हर तरफ से एक ही सवाल उछाला जाता है कि मोदी के सामने कोई मजबूत चेहरा विपक्ष के पास नहीं है. इस तरह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का राजनीतिक कद और उनकी नेतृत्व क्षमता लगातार चर्चा का केंद्र रही है. लोकसभा चुनाव 2019 में भी इसका असर देखने को मिला, जब राहुल गांधी की भरपूर कोशिश के बावजूद कांग्रेस की स्थिति नहीं सुधर पाई. नतीजा ये हुआ कि राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान फिर से संभाल ली. हालांकि, एक दिलचस्प तथ्य ये भी है लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने वाली कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण राज्य भी जीते और अब जबकि राहुल अध्यक्ष नहीं हैं तब भी कांग्रेस राज्यों में अच्छा प्रदर्शन कर रही है.
राहुल गांधी ने दिसंबर 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली. ये वो मौका था, जब गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे और कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था. इसके बाद दिसंबर 2018 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे तीन महत्वपूर्ण राज्यों से बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया और इसका श्रेय राहुल गांधी को ही दिया गया. राजस्थान में कांग्रेस के पास अशोक गहलोत और सचिन पायलट का चेहरा था. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल राहुल गांधी के सबसे बड़े सारथी बने. जबकि मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दो दिग्गजों के साथ मिलकर राहुल गांधी ने कांग्रेस को लीड किया.
क्या फेल हो रही है PM मोदी की 'डबल इंजन' थ्योरी? झारखंड ने भी नकारा
इन नतीजों के बाद कहा गया कि राजस्थान में वसुंधरा राजे का स्वभाव बीजेपी को भारी पड़ा गया. जबकि छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए कांग्रेस सरकार के लोक-लुभावन वादों ने रमन सिंह की तीन बार की सत्ता को उखाड़ने में अहम भूमिका निभाई. मध्य प्रदेश में हालांकि शिवराज सिंह बहुत कम अंतर से चूक गए और कांग्रस को सत्ता मिल गई.
लोकसभा में मिली हार तो छोड़ा पद
2018 में राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन 2019 में उनके अध्यक्ष रहते हुए भी कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पाई. आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुछ खास हाथ नहीं आया. साथ ही लोकसभा चुनाव में मोदी के सामने सब फेल हो गए और कांग्रेस 2014 की तुलना में 44 से बढ़कर महज 52 तक पहुंच पाई. इसका असर ये हुआ कि राहुल गांधी ने नतीजों की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
हरियाणा में बेहतर कमबैक, महाराष्ट्र-झारखंड भी मिले
राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया. लंबी खींचतान के बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया. महाराष्ट्र और हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हुए. बीजेपी ने चुनाव प्रचार में धारा 370 का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने जमकर रैलियां कीं. जबकि दूसरी तरफ सोनिया गांधी पूरी तरह चुनाव प्रचार से दूर रही हैं और राहुल गांधी ने भी गिनती की रैलियां कीं. बावजूद इसके हरियाणा में कांग्रेस सत्ता के नजदीक तक पहुंचने में कामयाब रही. कांग्रेस 15 सीटों से 31 तक पहुंच गई.
दो में साफ, एक में हाफ, सात महीने में बीजेपी ने गंवा दी ये सरकारें
महाराष्ट्र में सीटों के लिहाज से तो कांग्रेस का प्रदर्शन 2014 के आसपास ही रहा, लेकिन उसकी सहयोगी एनसीपी 41 से बढ़कर 54 तक पहुंच गई. सबसे बड़ी बात ये रही कि शिवसेना ने जब बीजेपी को साथ छोड़ा तो कांग्रेस ने एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल होने का फैसला लिया और बीजेपी को आउट करने में अहम रोल निभाया.
झारखंड में बीजेपी सत्ता से बाहर
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का राज्यों के चुनाव में पूरे दमखम से साथ न उतरने का असर झारखंड में भी दिखाई दिया. सोनिया गांधी ने वहां बिल्कुल प्रचार नहीं किया, जबकि राहुल गांधी भी कम ही रैलियां कर पाएं. बावजूद इसके कांग्रेस-जेएमएम-आरजेडी गठबंधन को जनता ने स्वीकार किया और बीजेपी यहां भी सत्ता से बाहर होती दिखाई दे रही है. हालांकि, इससे जुड़े सवाल पर कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने आजतक से बातचीत में कहा है कि राहुल गांधी रैली करें या ना करें, उससे फर्क नहीं पड़ता. वो नेता हैं और उनका प्रभाव सब जगह हर हालत में रहता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने तीन राज्य जीते और देशभर के कार्यकर्ता फिर चाहते हैं कि राहुल गांधी कमान संभालें.