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झारखंड: नक्सल बेल्ट के 13 जिलों में आती हैं 45 सीटें, बिशनपुर में हुआ था 'अटैक'

झारखंड में नक्सलवाद खात्मे की ओर अग्रसर है. नक्सलियों के ज्यादातर बड़े कमांडर या तो मारे चले गये हैं या आत्मसमर्पण कर सरकार की शरण में आ गए हैं. लेकिन फिर भी देश के 30 अतिनक्सल प्रभावित जिलों में झारखंड के 13 जिले शामिल हैं. यही वजह है कि सभी की नजरें उन जिलों के चुनाव परिणामों पर भी रहती हैं.

झारखंड के कई जिले हैं नक्सल प्रभावित (प्रतीकात्मक तस्वीर) झारखंड के कई जिले हैं नक्सल प्रभावित (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

  • झारखंड विधानसभा चुनाव 5 चरणों में हुआ था
  • झारखंड के 13 जिले अभी भी हैं नक्सल प्रभावित
  • नक्सल प्रभावित जिलों में आती हैं 45 विधानसभाएं

झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के रुझान में यह राज्य भी बीजेपी के हाथ से खिसकता हुआ नजर आ रहा है. पूरे देश को इस राज्य के नतीजों का इंतजार है. पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को मई 2019 के लोकसभा चुनावों में बंपर जीत मिली. उसके बाद ये तीसरा राज्य है जहां चुनाव हुए. हरियाणा में बीजेपी की वापसी हुई लेकिन महाराष्ट्र हाथ से निकल गया. अब झारखंड की बारी है जहां 81 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं.

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झारखंड में नक्सलवाद खात्मे की ओर अग्रसर है. नक्सलियों के ज्यादातर बड़े कमांडर या तो मारे चले गये हैं या आत्मसमर्पण कर सरकार की शरण में आ गए हैं. लेकिन फिर भी देश के 30 अतिनक्सल प्रभावित जिलों में झारखंड के 13 जिले शामिल हैं. यही वजह है कि सभी की नजरें उन जिलों के चुनाव परिणामों पर भी रहती हैं.

झारखंड के 13 जिले हैं नक्सल प्रभावित

आपको बता दें कि खूंटी, गुमला, लातेहार, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, रांची, दुमका, गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा और बोकारो ये सूबे के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले हैं. जबकि सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, धनबाद और गोड्डा में नक्सल समस्या करीब- करीब खत्म हो चुकी है. कोडरमा, जामताड़ा, पाकुड़, रामगढ़, देवघर और साहेबगंज नक्सलमुक्त जिले हो चुके हैं.

13 जिलों में आती हैं 45 सीटें

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जिलेवार सीटों की बात करें तो नक्सल प्रभावित 13 जिलों में कुल 45 सीटें आती हैं. खूंटी जिले में खूंटी (एसटी) और टोरपा (एसटी) 2 विधानसभाएं आती हैं. गुमला में 3 विधानसभाएं, बिशुनपुर (एसटी), गुमला (एसटी), सिसई (एसटी) हैं. लातेहर जिले में लातेहर (एससी और मणिका (एसटी) 2 विधानसभाएं हैं. सिमडेगा जिले में भी 2 विधानसभाएं कोलेबिरा (एसटी) और सिमडेगा (एसटी) हैं. 5 विधानसभा सीटें चाईबासा (एसटी), चक्रधरपुर (एसटी), जगन्नाथपुर (एसटी), मझगांव (एसटी) और मनोहरपुर (एसटी) पश्चिम सिंहभूम जिले में आती हैं.

रांची में 7 और गिरिडीह में 6 विधानसभा सीटें

रांची में 7 विधानसभा हटिया, कांकेर (एससी), खिजरी (एसटी), मांडर (एसटी) रांची, सिल्ली, तमर (एसटी) आती हैं. दुमका जिले में 4 विधानसभा सीटें दुमका (एसटी), जामा (एसटी), जारमुंडी और शिकारीपाड़ा (एसटी) आती हैं. गिरिडीह जिले में 6 विधानसभाएं बागोडार, धनवार, डुमरी, गांडे, गिरिडीह, जमुआ (एससी) आती हैं.

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पलामू जिले में 5 विधानसभाएं बिसरामपुर, छतरपुर (एससी), डॉल्टनगंज, हुस्सैनाबाद और पनकी आती हैं. गढ़वा जिले में 2 विधानसभाएं भवनाथपुर और गढ़वा आती हैं. चतरा जिले में 2 विधानसभाएं चतरा (एससी) और सिमरिया (एससी) सीटें आती हैं. लोहरदगा जिले में सिर्फ 1 विधानसभा लोहरदगा (एसटी) आती है. बोकारो जिले में 4 विधानसभा सीटें बेरमो, बोकारो, चंदनकियारी (एससी) और गोमिया आती हैं.

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पहले चरण की वोटिंग में नक्सलियों ने बिशनपुर को बनाया था टार्गेट

झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में काफी बेहतर मतदान हुआ था. राज्य में छिटपुट हिंसा को छोड़ दें तो मतदान शांतिपूर्ण रहा था. गढ़वा में नक्सलियों ने एक पुल को उड़ा दिया था. सबसे ज्यादा मतदान बिशनपुर विधानसभा में हुआ जहां कुल 67.04 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. कठठोकवा गांव में माओवादियों ने चार शक्तिशाली बम विस्फोट किए. उनकी मंशा पुल को उड़ाने की थी. लेकिन एक ओर जहां नक्सलियों की यह मंशा फेल हुई और पुल को हल्की क्षति पहुंची वहीं दूसरी ओर मतदाताओं ने उस इलाके में जमकर वोट डाले थे.

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