
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) झारखंड में न सिर्फ चुनाव हारी बल्कि मुख्यमंत्री सहित पार्टी का कोई भी नेता अपनी छाप नहीं छोड़ पाया. 2014 में भाजपा ने जिन सीटों पर बड़े अंतर से जीत हासिल की थी, इस बार उन ज्यादातर सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं जिन सीटों पर पिछले चुनाव में पार्टी मामूली अंतर से हारी थी उनमें ज्यादातर सीटों पर भाजपा प्रत्याशी इस बार बड़े अंतर से चुनाव हार गए हैं.
जमशेदपुर पूर्वी सीट से मुख्यमंत्री रघुवर दास पिछले चुनाव में 70 हजार वोटों से चुनाव जीते थे. इस बार अपने पूर्व सहयोगी मंत्री रहे और निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय से 10 हजार से अधिक वोटों से पीछे चल रहे हैं. बेरमो सीट पिछले चुनाव में भाजपा के योगेश्वर महतो 12 हजार से अधिक वोटों से जीते थे इस बार 25 हजार से अधिक वोटों से वह पीछे चल रहे हैं. भाजपा के लिए सिर्फ यही चिंता की बात नहीं है. जिन सीटों को भाजपा इस बार भी जीत रही है उस पर जीत का अंतर बड़े अंतर से सिकुड़ता दिख रहा है. बोकारो सीट भाजपा ने 2014 में 72 हजार से अधिक वोटों से जीती थी. इस बार लगभग 4 हजार वोटों से ही भाजपा के प्रत्याशी आगे चल रहे हैं. खीजरी सीट भाजपा पिछले चुनाव में 64 हजार से अधिक वोटों से जीती थी. इस बार इस सीट पर भाजपा 11 हजार से अधिक वोटों से पीछे चल रही है.
इस तरह के दर्जनों सीटे हैं जहां भाजपा की स्थिति कमोवेश यही है. शहरी क्षेत्रों में भी भाजपा को कुछ खास हाथ नहीं लगा. फिलहाल वोटों की गिनती अपने अंतिम चरण में है. जेएमएम के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनना तय हो गया है. भाजपा के सामने इस वक्त अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए सिर्फ एक विकल्प शेष दिख रहा है कि वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन जाए. हालांकि, इसकी संभावना भी प्रबल नहीं दिख रहा है क्योंकि जेएमएम और भाजपा दोनों फिलहाल 28-28 सीटों पर लीड कर रही है और अंतिम नतीजे आने तक भाजपा यह मौका भी गंवा दे इसके आसार दिख रहे हैं क्योंकि 2 सीटों पर भाजपा महज कुछ सौ वोटों से ही आगे चल रही है.
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