
सीएनटी/एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ झारखंड में विपक्षी पहले ही हमलावर थे, अब शासक दल बीजेपी के अंदर से भी सरकार पर खुलकर हमला शुरू हो गया है. पूर्व में मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा ने राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के नाम बीते दिनों एक पत्र लिखा, जिसके बाद बीजेपी के भीतर ही विवाद शुरू हो गया है. इस पत्र में संशोधन का विरोध करते हुए लिखा गया है कि बीते दिनों राज्य सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के दौरान जिस तरह अफरा-तफरी में विधानसभा में इस विधेयक को पास कराया, वो तरीका गलत था.
मुंडा ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए इस संशोधन को घोर आदिवासी विरोधी करार दिया. बकौल अर्जुन मुंडा इसके लागू होने से यहां के आदिवासी हाशिये पर चले जाएंगे. यही नहीं बदहाल जिंदगी के कारण यहां के आदिवासियों का दूसरे प्रदेशों में पलायन मजबूरी हो जाएगी.
और क्या लिखा है पत्र में
मुंडा ने पत्र में कई बिंदुओं को उठाते हुए लिखा है कि विरोध बढ़ने पर आपके और सरकार की तरफ से जो बयान आए और विधेयक को बिल के रूप में लाकर जिस तरह से आनन-फानन में पास कराया गया, उसने भी भरोसा बढ़ाने की जगह शक की दीवार को खड़ा किया है. मुंडा के मुताबिक पहला बयान यह आया था कि संशोधनों में आवश्यक परिवर्तन कर के यह जोड़ा जाएगा कि कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग होने पर भी रैयतों का 'मालिकाना हक' बना रहेगा. तो प्रश्न यह उठने लगा कि क्या संशोधन के पूर्व स्वरूप में सरकार रैयतों का मालिकाना हक छीन रही थी? फिर जिस तरह से खानापूर्ति करने के लिए टीएसी का लाभ उठाया गया और कई सदस्यों की असहमति के बावजूद उसे अनुमोदित करा कर सदन में बिना किसी बहस या चर्चा के बिल को तीन मिनटों के अंदर पारित घोषित किया गया. वह सब सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता है कि क्या सरकार आदिवासियों की जमीन छीनना चाहती है?
मुंडा ने आशंका जाहिर करते हुए लिखा है कि ये संशोधन इतने संवेदनशील और दूरगामी परिणाम वाले हैं कि उनके लागू होने से न केवल आदिवासी हितों की हानि होगी बल्कि प्रदेश के डेमोग्राफिक स्वरूप में भी आमूल परिवर्तन होने की प्रबल आशंका बन जाएगी.
अर्जुन मुंडा के विरोध का कारण
दरअसल अर्जुन मुंडा प्रदेश बीजेपी में सरकार विरोधी धड़े के अगुआ माने जाते है और कई बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. आदिवासी होने के साथ-साथ प्रखर वक्ता के तौर पर भी उनकी पहचान है, हालांकि बीते चुनाव में मिली हार के बाद वे नेपथ्य चले गए थे, लेकिन सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के बाद मचे बवाल से उन्हें एक बार फिर से आगे आने का मौका मिल गया है.