Advertisement

झारखंड: मुख्य सचिव और DGP पर लगे आरोप से घि‍री BJP सरकार

राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर चारा घोटाले में लगे आरोपों के बाद अब राज्य के पुलिस महानिदेशक डी. के. पाण्डेय पर भी बकोरिया नक्सली मुठभेड़ काण्ड की जांच धीमा करने के आरोप लगे हैं.

सीएम रघुवर दास (फाइल) सीएम रघुवर दास (फाइल)
रणविजय सिंह/धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 13 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST

राज्य सरकार के दो बड़े प्रशासनिक अफसरों पर आरोपों के बाद रघुवर दास सरकार की परेशानी बढ़ गयी है. राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर चारा घोटाले में लगे आरोपों के बाद अब राज्य के पुलिस महानिदेशक डी. के. पाण्डेय पर भी बकोरिया नक्सली मुठभेड़ काण्ड की जांच धीमा करने के आरोप लगे हैं. विपक्ष अब राज्य सरकार से इन्हें तुरंत पद से हटाने की मांग कर रहा है.

Advertisement

क्या है मामला ?

मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को सीबीआई ने चारा घोटाले में उनकी भूमिका को संदिग्ध मानते हुए 2003 में एक नोटिस भेजकर कुछ बिन्दुओं पर राय मांगी थी. चारा घोटाले के दौरान वर्मा पश्चिम सिंहभूम जिले में उपायुक्त थीं. जहां के चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से पैसे निकाले गए थे. 2003 के बाद सीबीआई जवाब के लिए 30 रिमाइंडर भेज चुकी है. अंतिम रिमाइंडर बीते नवम्बर में भेजा गया था. दूसरी तरफ CID के ADG एम वी राव ने पद से तबादले के बाद खुलासा किया कि उनका तबादला पलामू के बकोरिया काण्ड की जांच तेज करने की वजह हुआ है. बताया जाता है कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र में इसका खुलासा किया है. पत्र में एमवी राव ने लिखा है कि बकोरिया कांड में डीजीपी ने जांच धीमी करने का निर्देश दिया था. डीजीपी ने कहा था कि न्यायालय के किसी आदेश से चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है.

Advertisement

राव ने यह भी लिखा है कि उन्होंने डीजीपी के इस आदेश का विरोध करते हुए जांच की गति सुस्त करने, साक्ष्यों को मिटाने और फर्जी साक्ष्य बनाने से इनकार कर दिया. इसके तुरंत बाद उनका तबादला सीआईडी से नयी दिल्ली स्थित ओएसडी कैंप में कर दिया गया, जबकि यह पद स्वीकृत भी नहीं है. दरअसल 8 जून, 2015 को पलामू के सतबरवा इलाके के बकोरिया में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में कुल 12 लोग मारे गये थे. उनमें से एक डॉ. आरके उर्फ अनुराग के नक्सली होने का ही रिकॉर्ड पुलिस के पास उपलब्ध था. वहीं, बकोरिया की घटना के ढाई साल बीतने के बाद भी मामले की जांच कर रही सीआईडी ने न तो तथ्यों की जांच की, न ही मृतक के परिजनों और घटना के समय पदस्थापित पुलिस अफसरों का बयान दर्ज किया.

विपक्ष का आरोप- सरकार मामले को रफा-दफा करने की कोशिश में लगी

बताया जाता है कि जब-जब किसी अफसर ने बकोरिया मामले की जांच में तेजी लाने की कवायद की उसका तबादला कर दिया गया. अबतक बीते ढाई साल में आधा दर्जन से अधिक अफसर बदले जा चुके हैं. झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि सीएस राजबाला वर्मा और डीजीपी डीके पांडेय को पद पर बनाए रखना अपराध है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव से 2003 से अब तक 23 बार स्पष्टीकरण मांगा जा चुका है, लेकिन एक बार भी जवाब देना उचित नहीं समझा. उनके लिए कोई कानून नहीं है. सरकार नोटिस जारी कर मामले को दबाने और लीपा-पोती करने की साजिश कर रही है. वहीं, बकोरिया कांड में डीजीपी जांच को प्रभावित कर रहे हैं. ऐसे में सीएस और डीजीपी को पद पर बनाए रखना अपराध है. विधानसभा के बजट सत्र में विपक्ष इन मामलों को जोरशोर से उठाने की तैयारी में है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement